Bihar Migrant News: लौटने का नया ट्रेंड, बिहार के गांवों से अब जाने को तैयार हैं कुछ 'नए प्रवासी'; जानें वजह
शहरों में नौकरी की भरमार होने की खबरें पहुंच रही हैं गांवों में। बेरोजगारों को मिल रहे ऑफर। कष्ट झेल लौटे प्रवासी अभी सोच-विचार कर रहे। इसे अवसर मान नए लोग शहर होने लगे रवाना।
पटना, जागरण टीम। Bihar Migrant News: जो प्रवासी लौटे हैं, उनमें से चुनिंदा ही लौट रहे, लेकिन एक नया ट्रेंड दिखा है। गांवों से वैसे युवा दिल्ली, मुंबई, गुजरात, पंजाब और कोलकाता जाने की कोशिश में जुट गए हैं, जो बेरोजगार थे। उन्हें यह समझ में आया है कि प्रवासियों के लौटने से बड़े शहरों और औद्योगिक-कारोबारी इलाकों में नौकरियों की भरमार होगी। वह चाहें, तो उन इलाकों में नौकरी मिल सकती है। कुछ लोगों को को कनेक्शन मिले हैं। वह बारगेनिंग करने की स्थिति में भी हैं...।
लॉकडाउन से लौट आए प्रवासी अभी सोच-विचार की मुद्रा में हैं, इस बीच बिहार के गांवों में कुछ नए लोग 'प्रवासी' बनने को तैयार हैं। दरअसल यह संदेश अब गांव तक फैल गया है कि बड़ी संख्या में प्रवासियों की वापसी से अब शहरों में नौकरी की भरमार है। जाते ही नौकरी लग जाएगी। ऑफर आ रहे। कोरोना का डर थोड़ा कम हुआ है। बेरोजगारी का दंश झेल रहे या फिर अपने हुनर का पूरा मूल्य नहीं कमा पा रहे, लोग शहर जाने को तैयार होने लगे हैं। इनमें कुशल और अकुशल दोनों तरह के बेरोजगार हैं।
अब तक 20 लाख से अधिक प्रवासी लौटे
कोरोना संकट के दौर में राज्य में अब तक 20 लाख से अधिक प्रवासी लौट आए हैं। बड़ा तबका अकुशल मजदूरों का है। ये पंजाब-हरियाणा के खेतों में या दिल्ली और एनसीआर में मेहनत मजदूरी कर जी रहे थे। बिहार सरकार ने भरोसा दिया है कि राज्य में ही उनके लिए रोजगार का इंतजाम कर दिया जाएगा। कृषि, सड़क निर्माण और मनरेगा के अलावा औद्योगिक क्षेत्रों में भी रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने के उपाय किए जा रहे हैं। दूसरी तरफ बाहर के प्रदेशों के कारखानेदार और किसान अपने एजेंटों के जरिए श्रमिकों को फिर से काम पर बुलाने की कोशिश कर रहे हैं। लॉकडाउन के दौर में बुरे अनुभवों से गुजर चुके मजदूरों का बड़ा तबका वापसी के मूड में नहीं है। मगर, उन्हीं के गांव-घर से वैकेंसी को भरने के लिए नौजवान तैयार हो रहे हैं।
कुछ पुराने लोग भी बना रहे हैं नई टीम
पटना के धनरुआ थाना क्षेत्र के कैली गांव के दर्जनभर युवा पंजाब की निजी कंपनी में काम करते हैं। इनमें से एक राधवेंद्र पासवान के पास कंपनी के मैनेजर ने बुधवार को कॉल किया था। कंपनी में काम शुरू हो गया। कुछ दिनों बाद वहां लौटेंगे। राधवेंद्र ने बताया कि इस बार गांव के कुछ नए साथी भी वहां काम के लिए जाएंगे। सब गांव में रहते थे। अब उन्हें नौकरी का मौका लग गया है।
ऑफर को सहर्ष स्वीकार कर रहे हैं युवा
दूसरे प्रदेशों से रोजगार का ऑफर आने के बाद युवा सहर्ष स्वीकार कर रहे हैं। समस्तीपुर जिले के रोसड़ा अनुमंडल के बिथान, सिंघिया और शिवाजीनगर में कई ऐसे युवा हैं, जो रोजगार के लिए पंजाब, हरियाणा और राजस्थान जाते हैं। सिंघिया के 35 वर्षीय जीवछ लाल इन्हीं लोगों में शामिल हैं। रोहतक में डेयरी उद्योग में काम करते थे। उन्हीं के यहां के बृजलाल कहते हैं कि रोहतक में ही एक ऑटोमोबाइल्स वर्कशॉप में काम करते थे। लॉकडाउन में काम बंद हो गया। अब उन्हें काम पर बुलाया जा रहा। अब उनके साथ जाने के लिए गांव के कई अन्य बेरोजगार भी तैयार हैं, क्योंकि कुछ पुराने लोग नहीं लौट रहे। जो लोग नए हैं, उन्होंने कंपनी के प्रबंधक से बात की है। अपनी शर्तें बताई हैं। शर्तें मान ली गई हैं। शीघ्र नई टीम के साथ वह लोग रवाना होंगे।
गांवों में दिख रही दो तरह की तस्वीर
राज्य के ग्रामीण इलाके में दो तस्वीरें एक साथ नजर आ रही हैं। दूसरे राज्यों से लौटे प्रवासी दुविधा में हैं। उन्हें राज्य सरकार से भरोसा मिला है कि घर में ही नौकरी का बंदोबस्त हो जाएगा। वे थोड़ा रूक कर राज्य सरकार के भरोसे की परख कर लेना चाहते हैं। दूसरी तस्वीर उन नौजवानों की है, जिन्हें लग रहा है कि प्रवासियों के आने से परदेश में वैकेंसी हुई है, उसे जल्द से जल्द जाकर भर दें। पता नहीं, बाद में मौका मिले न मिले।
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