बिहार में डीलैम्प मॉडल से छह हजार कोरोना मरीजों का घर में हुआ उपचार, जानें क्या है ये

कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर में लोगों को अस्पताल में एक बेड के लिए मारामारी करनी पड़ रही है। इससे छुटकारा पाने के लिए अखिल भारतीय आयुॢवज्ञान संस्थान (एम्स) पटना के ट्रॉमा मेडिसिन विभाग के इंचार्ज डॉ. अनिल कुमार ने डीलैम्प का विकल्प दिया है।

By Akshay PandeyEdited By: Publish:Tue, 04 May 2021 04:31 PM (IST) Updated:Tue, 04 May 2021 04:31 PM (IST)
बिहार में डीलैम्प मॉडल से छह हजार कोरोना मरीजों का घर में हुआ उपचार, जानें क्या है ये
कोरोना का घर में इलाज के लिए डीलैम्प का विकल्प दिया है। प्रतीकात्मक तस्वीर।

जागरण संवाददाता, पटना: कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर में लोगों को अस्पताल में एक बेड के लिए मारामारी करनी पड़ रही है। इससे छुटकारा पाने के लिए अखिल भारतीय आयुॢवज्ञान संस्थान (एम्स), पटना के ट्रॉमा मेडिसिन विभाग के इंचार्ज डॉ. अनिल कुमार ने डीलैम्प का विकल्प दिया है। इसके माध्यम से छह हजार से अधिक लोगों का घर पर ही उपचार संभव हो सका है। 

उपचार के लिए हर दिन दर्जनों कॉल

डॉ. अनिल ने बताया कि उनके पास बेड और उपचार के लिए हर दिन दर्जनों कॉल आते हैं। इसके बाद उन्होंने डीलैम्प कांसेप्ट पर आधारित एक वीडियो तैयार किया है। इसे वह कॉल करने वाले उन मरीजों को भेजते हैं। 99 फीसद लोगों ने वीडियो देखने के बाद खुद का केयर किया और रिजल्ट को बेहतर बताया। लोग आइसोलेशन की बारीकियों से अवगत होकर खुद और स्वजनों को स्वस्थ करने में सहायता पा रहे हैं।

क्या है डीलैम्प


डॉ. अनिल ने बताया कि डीलैम्प दवाओं का शॉर्ट नाम है। इसमें डी से डेक्सामेथासोन, एल से लो मॉलिक्यूलर वेट हेपरिन के इंजेक्शन या अपिक्सबन टैबलेट, ए से एजिथ्रोमाइसिन टैबलेट, एम से मोंटेलुकास्ट एवं लिवो सिट्रीजीन तथा पी से पारासिटामोल है। इस दवाओं के सेवन से भी मरीज एक सप्ताह से 10 दिन में स्वस्थ्य हो जा रहे हैं। सिर्फ गंभीर मरीजों को ही अस्पताल आने की जरूरत पड़ती है।

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