Bihar: केंद्रीय स्‍वास्‍थ्‍य राज्‍य मंत्री अश्‍व‍िनी चौबे के क्षेत्र में 40 घंटे से बगैर डॉक्‍टर के चल रहा अस्‍पताल

केंद्रीय स्‍वास्‍थ्‍य राज्‍य मंत्री के संसदीय क्षेत्र में 40 घंटे से बिना चिकित्सक के चल रहा सरकारी अस्पताल मरीजों की बढ़ी परेशानी कोविड-19 वैक्सीनेशन कार्य भी हो रहा प्रभावित बीडीओ की जांच में खुली व्यवस्था की पोल अग्रेतर कार्रवाई के लिए भेजा प्रतिवेदन

By Shubh Narayan PathakEdited By: Publish:Sun, 04 Apr 2021 10:23 AM (IST) Updated:Sun, 04 Apr 2021 10:23 AM (IST)
Bihar: केंद्रीय स्‍वास्‍थ्‍य राज्‍य मंत्री अश्‍व‍िनी चौबे के क्षेत्र में 40 घंटे से बगैर डॉक्‍टर के चल रहा अस्‍पताल
सिमरी सामुदायिक स्‍वास्‍थ्‍य केंद्र में खाली पड़ी डॉक्‍टर की कुर्सी और केंद्रीय मंत्री अश्व‍िनी चौबे की फाइल फोटो

बक्सर, जागरण संवाददाता। केंद्र से लेकर राज्य सरकारों द्वारा स्वास्थ्य सुरक्षा को लेकर भले ही नित्य नए कदम उठाए जा रहे हैं तथा हेल्थ फॉर ऑल की अवधारणा को सर्व सुलभ बनाने के लिए सरकार द्वारा लाख प्रयास किए जा रहे हों, मगर चिकित्सकों की मनमानी के चलते उसका लाभ लोगों को नहीं मिल पा रहा है। हालात तो यहां तक पहुंच गए हैं कि बक्सर के  सिमरी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पिछले 40 घंटों से बिना चिकित्सक के ही संचालित हो रहा है। आलम यह है कि चिकित्सक के अभाव में ग्रेड वन नर्स के भरोसे संचालित स्वास्थ्य व्यवस्था से मरीजों की जान को हर वक्त खतरा बना रहता है।

शुक्रवार की शाम तीन बजे से ही डॉक्‍टर गायब

सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र सिमरी में शुक्रवार शाम 3:00 बजे से ही प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डाॅ. प्रेमचंद प्रसाद बीमार होने का हवाला देकर गायब हैं। केंद्र पर प्रतिनियुक्त अन्य चिकित्सकों का भी कुछ अता-पता नहीं है। प्रसूति विभाग जीएनएम के हवाले है। इतना ही नहीं कोविड-19 वैक्सीनेशन लेने आए लोगों को भी बिना चिकित्सकीय परामर्श ग्रेड वन नर्स द्वारा वैक्सीन लगाया जा रहा है। ऐसी स्थिति में लोगों को स्वास्थ्य सुविधा का कितना लाभ मिल पा रहा है इसका सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है।

केंद्रीय स्‍वास्‍थ्‍य राज्‍य मंत्री का इलाका है बक्‍सर

सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर इलाके के कई सुदूर गांवों से इलाज कराने आए मनोज कुमार, विमला देवी, सुधीर राम, आकाश कुमार सहित कई अन्य मरीजों ने बताया कि केंद्र पर चिकित्सक नहीं होने के बारे में सिविल सर्जन को लगातार सूचित किया जाता रहा, मगर उन्होंने इसे गंभीरता से नहीं लिया। मरीजों का कहना है कि केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री के संसदीय क्षेत्र में स्वास्थ्य सुविधा की यह स्थिति न सिर्फ व्यवस्था की पोल खोल रही है, बल्कि इसको लेकर अब तरह-तरह के सवाल भी खड़े होने लगे हैं।

बीडीओ के निरीक्षण में गायब मिले चिकित्सक

ऐसी सूचना मिलने के बाद शनिवार को प्रखंड विकास पदाधिकारी अजय कुमार सिंह द्वारा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का औचक निरीक्षण के दौरान अस्पताल में कोई चिकित्सक मौजूद नहीं मिला। कर्मचारियों ने बताया कि एएनएम और जीएनएम के भरोसे ही अस्पताल की सारी व्यवस्था संचालित हो रही है। इतना ही नहीं, कोविड-19 वैक्सीनेशन कार्य भी उन्हीं के भरोसे है। इसकी जानकारी देते बीडीओ ने बताया कि अस्पताल में चिकित्सक का नहीं होना काफी गंभीर बात है। इस मामले में तत्काल अग्रेतर कार्रवाई के लिए वरीय अधिकारियों को प्रतिवेदन भेजा जा रहा है।

क्या कहते हैं सिविल सर्जन

इस मामले में जब सिविल सर्जन जितेंद्रनाथ से संपर्क स्थापित किया गया तो उन्होंने बताया कि अस्पताल की व्यवस्था को सही ढंग से चलाने में असफल रहे प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डाॅ. प्रेमचंद प्रसाद को पद मुक्त करते हुए डाॅ. संतोष कुमार को वहां की जिम्मेदारी सौंपी गई है। मगर जब उनसे यह पूछा गया आदेश के बावजूद आज तक उनके द्वारा प्रभार नहीं लिया जाना क्या लोगों के स्वास्थ्य सुविधा के प्रति उनकी असंवेदनशीलता को इंगित नहीं कर रहा है? तब सवाल का जवाब देने में सिविल सर्जन टालमटोल करने लगे।

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