इंजीनियरिंग कॉलेजों में शिक्षकों की कमी दूर होगी: जय कुमार

बिहार सरकार के सात निश्चय योजना के तहत हर जिले में एक पॉलीटेक्निक एवं अभियंत्रण कॉलेजों की स्थापना की गई है। अब इनमें शिक्षकों की कमी दूर की जाएगी।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 29 Feb 2020 01:27 AM (IST) Updated:Sat, 29 Feb 2020 01:27 AM (IST)
इंजीनियरिंग कॉलेजों में शिक्षकों की कमी दूर होगी: जय कुमार
इंजीनियरिंग कॉलेजों में शिक्षकों की कमी दूर होगी: जय कुमार

पटना। बिहार सरकार के सात निश्चय योजना के तहत हर जिले में एक पॉलीटेक्निक एवं अभियंत्रण महाविद्यालय की स्थापना हुई है। अब जल्द ही शिक्षकों की कमी दूर करने का प्रयास सरकार कर रही है। आने वाले दिनों में राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के मौके पर स्कूल और कॉलेजों में बड़े कार्यक्रम कराने की जरूरत है। उक्त बातें बिहार सरकार के विज्ञान प्रौद्योगिकी मंत्री जय कुमार सिंह ने शुक्रवार को नवीन राजकीय पॉलीटेक्निक संस्थान में विज्ञान दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में कही। उद्घाटन मंत्री के अलावा विज्ञान प्रौद्योगिकी विभाग के प्रधान सचिव चैतन्य प्रसाद, संस्थान के प्राचार्य डॉ. चंद्रशेखर सिंह ने संयुक्त रूप से किया।

कार्यक्रम में मंत्री ने संस्थान की वार्षिक पत्रिका का विमोचन किया। छात्रों द्वारा लगाई गई विज्ञान प्रदर्शनी का भी मंत्री ने अवलोकन किया। इस दौरान उनका मनोबल बढ़ाया। दिवस को लेकर संस्थान में चलने वाले प्रतियोगिता में भाग लेने वाले प्रतिभागियों को पुरस्कृत कर हौसला बढ़ाया गया। चैतन्य प्रसाद ने कहा कि बिहार में प्रतिभा की कोई कमी नहीं है। बस जरूरत है ऐसी प्रतिभा को पहचान कर उनका आत्मविश्वास बढ़ाने का। उन्होंने कहा कि सरकार भी राज्य में बेहतर शिक्षा देने को लेकर प्रयासरत है। विज्ञान के विकास में प्रयोग की भूमिका अहम: विज्ञान के विकास में प्रयोग की भूमिका अहम है। प्रयोग से नई-नई चीजें सामने आती हैं। उक्त बातें शुक्रवार को विज्ञान के विकास में प्रयोगों की भूमिका विषय पर आयोजित बैठक को संबोधित करते हुए ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. राजमणि प्रसाद सिंहा ने कही। वे राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के अवसर पर कॉलेज ऑफ कॉमर्स आर्ट्स एंड साइंस पटना में आयोजित कार्यक्रम को सम्बोधित कर रहे थे।

राजमणि ने कहा कि किरचॉफ ने 1769 में अपने प्रयोगों के आधार पर पता लगाया की सूर्य की सतह पर सोडियम है। बाद में फ्रॉनहॉफर ने अपने प्रयोगों में सोडियम डी लाइंस की पहचान कर इसे स्थापित किया। अध्यक्षता प्रधानाचार्य प्रो. तपन कुमार शाडिल्य ने की। शंडिल्य ने कहा कि विज्ञान में हर घटना के पीछे एक कारण होता है। इसकी अभिव्यक्ति प्रायोगिक परिणामों के रूप में होती है।

वनस्पति विज्ञान विभाग ने भी जैव प्रौद्योगिकी की उपयोगिता विषय पर व्याख्यान का आयोजन किया था। पं. दीनदयाल उपाध्याय विश्वविद्यालय के वनस्पति के विभागाध्यक्ष प्रो. एनएन त्रिपाठी ने जैव प्रौद्योगिकी के जन्म और विकास के बारे में बताया। संचालन प्रो. संतोष कुमार ने किया।धन्यवाद ज्ञापन प्रो. कल्पना शाही ने किया। डॉ. मनोज कुमार, प्रो. सत्येंद्र नारायण, प्रो. रेणुबाला, प्रो. अशुतोष कुमार सिन्हा, प्रो. एके भास्कर, प्रो. एके नाग भी थे।

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