कोरोना के बहाने फिर आई शहाबुद्दीन की याद, उस एसिड बाथ डबल मर्डर से आज भी सिहर जाता है सिवान

बिहार के बाहुबली मो. शहाबुद्दीन को दिल्‍ली की तिहाड़ जेल में उम्रकैद की सजा काटने के दौरान कोरोनावायरस संक्रमण हो गया है। शहाबुद्दीन को जिस एसिड बाथ डबल मर्डर के लिए उम्रकैद की सजा मिली है उसे याद कर आज भी बिहार का सिवान शहर सिहर जाता है।

By Amit AlokEdited By: Publish:Wed, 21 Apr 2021 04:12 PM (IST) Updated:Wed, 21 Apr 2021 04:13 PM (IST)
कोरोना के बहाने फिर आई शहाबुद्दीन की याद, उस एसिड बाथ डबल मर्डर से आज भी सिहर जाता है सिवान
बाहुबली आरजेडी नेता व पूर्व सांसद मो. शहाबुद्दीन। फाइल तस्‍वीर।

पटना, ऑनलाइन डेस्‍क। दिल्‍ली की तिहाड़ जेल (Tihar Jail) में उम्र कैद की सजा काट रहे बिहार के बाहुबली राष्‍ट्रीय जनता दल (RJD) नेता व पूर्व सांसद मो. शहाबुद्दीन (Md. Shahabuddin) को कोरोनावायरस का संक्रमण (CoronaVirus Infection) हो गया है। यह बाहुबली आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad Yadav) का करीबी भी माना जाता है। लालू के समर्थक शहाबुद्दीन ने एक बार नीतीश कुमार (Nitish Kumar) को 'परिस्थियों का मुख्‍यमंत्री' तक बताया था। कोरोनावायरस संक्रमण को लेकर एक बार फिर शहाबुद्दीन से जुड़ी सिवान में तेजाब से नहलाकर दो भाइयों की हत्‍या (Acid Bath Double Murder) की वह घटना भी याद आ गई है, जिसके लिए वह आज तिहाड़ जेल में है।

लालू की छत्रछाया में शुरू की थी राजनीति

तत्‍कालीन जनता दल (अब आरजेडी) सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव की छत्रछाया में राजनीति शुरू करने वाला शहाबुद्दीन 1990 में पहली बार निर्दलीय विधायक बना। इसके बाद वह लालू प्रसाद यादव के करीबी हो गया। लालू ने उसे अपना छोटा भाई भी कहा था। शहाबुद्दीन सिवान से चार बार बने सांसद तथा दो बार विधायक बना।

तिहाड़ जेल में हुआ कोरोनावायरस संक्रमण

लालू का यह करीबी बिहार का बाहुबली आरजेडी नेता व पूर्व सांसद मो. शहाबुद्दीन तिहाड़ जेल संख्या दो में उम्रकैद की सजा काट रहा है। जेल में कोरोनावायरस संक्रमण होने के बाद उसका इलाज दिल्‍ली के हरि नगर स्थित दीन दयाल उपाध्याय अस्पताल में चल रहा है। विदित हो कि तिहाड़ की जेल संख्‍या दो में कोरोनावायरस का संक्रमण फैल गया है। इस जेल परिसर में हीं जेल की कई फैक्ट्रियां है। साथ ही अंडरवर्ल्ड डॉन छोटा राजन व कुख्यात नीरज बवानिया भी रखे गए हैं। इस जेल में संक्रमण फैलने से जेल प्रशासन चिंतित है।

सिहरा देती है एसिड बाथ मर्डर की कहानी

खैर, बात शहाबुद्दीन की हो रही है। अपराध की सीढि़यां चढ़ते-चढ़ते राजनीति के गलियारे में धमक देने वाले शहाबुद्दीन को अभी तक दो उम्रकैद और 30 साल जेल की सजाएं हो चुकी हैं। सिवान के चर्चित एसिड बाथ डबल मर्डर मामले में मिली उम्रकैद के तहत उसे तिहाड़ जेल में रखा गया है। उस वारदात के एकमात्र चश्‍मदीद गवाह दोनों मृतकों के तीसरे भाई की भी हत्‍या हो चुकी है। हालांकि, उसने जो कहानी सुनाई थी, वह रोम-रोम सिहरा देती है।

बेटों की हत्‍या पर लड़ी न्‍याय की कठिन जंग

बिहार के सिवान जिले के प्रतापपुर गांव की पहचान मो. शहाबुद्दीन से होती है। कहना नहीं होगा कि यह शहाबुद्दीन का गांव है। यहीं पर 16 अगस्त 2004 की रात सिवान के चर्चित व्‍यवसायी चंदा बाबू के दो बेटों की तेजाब से नहलाकर हत्‍या शहाबुद्दीन के आदेश पर कर दी गई थी। दोनों की तड़प-तड़पकर मौत के बाद शवों को टुकड़ों में काटकर बोरियों में भर ठिकाने लगा दिया गया। घटना को दोनों मृतकों का तीसरा भाई दूर से छिपकर देख रहा था। अपराधी उसे भी पकड़कर लाए थे, लेकिन वह किसी तरह भागने में सफल रहा था। घटना के बाद जब वह छिपते-छिपाते हुए घर पहुंचा, तब लोगों को इसकी जानकारी मिली। इसके बाद चंदा बाबू ने बहादुरी के साथ किसी भी धमकी की परवाह किए बगैर न्‍याय की जंग लड़ी और शहाबुद्दीन को उसके अंजाम तक पहुंचाया। हालांकि, इस दौरान घटना के गवाह उनके तीसरे बेटे की भी हत्‍या कर दी गई।

क्‍यों हुई तेजाब से नहलाकर हत्‍या, जानिए

सवाल उठता है कि आखिर हत्‍या, वह भी तेजाब से नहलाकर क्‍यों? इसकी भी एक कहानी है। सिवान के गौशाला रोड के निवासी व्यवसायी चन्द्रकेश्वर प्रसाद उर्फ चंदा बाबू अब नहीं रहे, लेकिन कुछ साल पहले उन्‍होंने jagran.com से बातचीत में घटना की जानकारी दी थी। उनके अनुसार 16 अगस्त 2004 की सुबह भूमि-विवाद के निपटारे को लेकर पंचायत के दौरान मारपीट हो गई। इस दौरान किसी ने घर में रखा तेजाब फेंका। यह मामला शहाबुद्दीन तक पहुंचा। उसी दिन चंदा बाबू के तीन बेटों गिरीश, सतीश व राजीव रोशन का अपहरण कर लिया गया। इस बीच उनकी मां के बयान पर अज्ञात के विरुद्ध अपहरण की एफआइआर दर्ज कराई गई। चंदा बाबू ने बताया था कि उनके तीनों बेटों को शहाबुद्दीन के गांव प्रतापपुर ले जाया गया। फिर शाम के धुंधलके में वहां शहाबुद्दीन पहुंचा और उसके आदेश पर खौफनाक हत्‍याकांड को अंजाम दिया गया।

भागकर आए तीसरे बेटे ने सुनाई कहानी

चंदा बाबू ने बताया कि इसके पहले उनका एक अपहृत बेटा राजीव किसी तरह भागकर छिप गया था। उसने ही हत्‍याकांड की पूरी कहानी सुनाई थी। घटना के एकमात्र गवाह रहे राजीव रोशन की भी 16 जून 2014 को हत्‍या कर दी गई, हालांकि मरने के पहले उसने कोर्ट में अपना बयान दे दिया था।

मिली उम्रकैद तो साहेब गए तिहाड़ जेल

आगे निचली अदालत ने 11 दिसंबर 2015 को शहाबुद्दी को उम्रकैद की सजा दी, जिसपर 30 अगस्त, 2017 को पटना हाईकोर्ट ने तो 29 अक्‍टूबर 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने भी मुहर लगा दी। शहाबुद्दीन, जिसे सिवान में लोग 'साहेब' नाम से भी जानते हैं, फिलहाल दिल्ली की तिहाड़ जेल में उम्रकैद की सजा काट रहा है।

शहाबुद्दीन के अपराध, एक नजर 19 साल की उम्र में पहला अपराध किया। 1986 में दर्ज पहला मुकदमा दर्ज हुआ था। अब तक हत्या, अपहरण, रंगदारी, दंगा व घातक हथियार रखने के दर्जनों मामले। साल 2007 में मिली पहली सजा- दो साल कैद। अब तक आठ मामलों में करीब 30 साल तथा दो मामलों में उम्रकैद की सजाएं। सिवान के व्‍यायासी चंदा बाबू के दो बेटों को तेजाब से नहलाकर मारने के मामले में उम्रकैद। भारतीय कम्‍युनिस्‍ट पार्टी (मार्क्‍सवादी-लेनिनवादी) के कार्यकर्ता छोटेलाल गुप्ता की हत्या के मामले में भी उम्रकैद। सिवान के तत्‍कालीन एसपी एसके सिंघल पर हमला मामले में 10 साल की सजा। आर्म्स एक्ट के एक मामले में 10 साल की सजा। साल 2005 में दिल्ली से गिरफ्तार, कुछ समय छोड़कर तब से विभिन्‍न जेलों में बंद। साल 2001 के चर्चित सिवान के प्रतापपुर मुठभेड़ में दो पुलिसकर्मियों समेत आठ की मौत। साल 2005 में शहाबुद्दीन के पास से एके-47 सहित कई घातक हथियार बरामद। साल 1997 में जेएनयू छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष चंद्रशेखर व श्याम नारायण की हत्‍या।

chat bot
आपका साथी