बिहारः प्याज प्रोसेसिंग यूनिट लगाइए, 15 प्रतिशत तक अनुदान देगी बिहार सरकार; जानें क्या है स्कीम

शेखपुरा में सरकार ने प्याज उत्पादक किसानों तथा इसके कारोबार से जुड़े लोगों को नया अवसर दिया है। अवसर का यह द्वार बागवानी मिशन के तहत खोला गया है। इसमें जिला में प्याज का प्रोसेसिंग यूनिट लगाने का मौका सरकार ने दिया है।

By Akshay PandeyEdited By: Publish:Sat, 12 Jun 2021 12:51 PM (IST) Updated:Sat, 12 Jun 2021 12:51 PM (IST)
बिहारः प्याज प्रोसेसिंग यूनिट लगाइए, 15 प्रतिशत तक अनुदान देगी बिहार सरकार; जानें क्या है स्कीम
प्याज उत्पादक किसानों तथा इसके कारोबार से जुड़े लोगों को नया अवसर दिया है।

जागरण संवाददाता, शेखपुरा: गुलाबी प्याज के लिए सात समंदर पार तक मशहूर शेखपुरा में सरकार ने प्याज उत्पादक किसानों तथा इसके कारोबार से जुड़े लोगों को नया अवसर दिया है। अवसर का यह द्वार बागवानी मिशन के तहत खोला गया है। इसमें जिला में प्याज का प्रोसेसिंग यूनिट लगाने का मौका सरकार ने दिया है। इसके लिए सरकार बैंक से ऋण देने के साथ अपनी तरफ से अनुदान भी देगी। जिला बागवानी पदाधिकारी शैलेंद्र कुमार ने बताया प्याज के प्रोसेसिंग यूनिट के लिए सरकार ने कोई सीमा निर्धारित नहीं किया है। इसमें लोग अपनी क्षमता के मुताबिक यूनिट की स्थापना कर सकते हैं। इसमें न्यूनतम 25 लाख से 5 करोड़ रुपये तक का प्रोजेक्ट लगा सकते हैं। इसमें सरकार कारोबारी को 15 प्रतिशत का अनुदान देगी। अनुदान की राशि आधा-आधा करके दो किश्तों में भुगतान किया जायेगा। पहली किश्त यूनिट की स्थापना होने पर और दूसरी यूनिट के काम शुरू होने पर। इसके इच्छुक लोग सीधे कृषि कार्यालय में बागवानी शाखा से संपर्क कर सकते हैं।

जिला में इसका है बाद स्कोप

शेखपुरा जिला में प्याज प्रोसेसिंग यूनिट का स्कोप काफी बड़ा है। जिला में 5 हजार हेक्टर से अधिक भूमि में प्याज की खेती होती है। शेखपुरा में प्याज की खेती पिछले 5 दशक से अधिक समय से होती है। यहां का गुलाबी प्याज बंगाल तथा असम की देशी मंडियों के अलावे काफी मात्रा में बांग्लादेश निर्यात किया जाता है, जिससे सरकार विदेशी मुद्रा भी कमाती है।

बंद है पेस्ट निर्माण का की यूनिट

जिला में प्याज की खेती को नया रूप देने के लिए ढ़ाई साल पहले जिला प्रशासन ने पहल करके प्याज का पेस्ट बनाने की छोटी यूनिट खड़ी किया था। चांदी गांव में यूनिट स्थापित करके इसके संचालन का जिम्मा जीविका समूह को दिया गया था। मगर डेढ़ साल से अधिक समय से यह यूनिट बंद पड़ी है। इसके पीछे कच्चे माल की कमी तथा लॉकडाउन के साथ संचालन की व्यवाहरिक कठिनाइयां वजह है।

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