बिहार: महागठबंधन में सीटों के बंटवारे के लिए अभी राहुल की रैली का है इंतजार, जानिए
महागठबंधन में सीट शेयरिंग का पेंच अबतक अटका हुआ है। कांग्रेस और राजद को मिलकर इसे तय करना है। अब लगता है कि कांग्रेस अपने पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी की रैली के बाद ही तय करेगा।
पटना, जेएनएन। एनडीए ने तो अपने सीटों का बंटवारा कर लिया लेकिन महागठबंधन में अभी तक सीटों का बंटवारा नहीं हो सका है। कहा जा रहा था कि खरमास के बाद बंटवारा कर लिया जाएगा लेकिन अब तो खरमास के बीते हुए भी तीन दिन बीत गए हैं।
अभी तक की बात करें तो सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक जिस फार्मूले पर कांग्रेस आगे बढ़ रही है उसमें राजद के साथ लगभग 16-16 सीटों पर सहमति बन रही है। शेष छह सीटें अन्य सहयोगी दलों और निर्दलीय के लिए छोड़ी जानी हैं।
लेकिन अब लगता है कि कांग्रेस तीन फरवरी को पटना में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की रैली में अपना जमीनी दमखम दिखाने के बाद ही सीटों के बंटवारे के लिए सहयोगियों के साथ बैठक कर तय करेगी।
हालांकि, कांग्रेस बिहार में महागठबंधन को लेकर आश्वस्त है लेकिन विधानसभा चुनाव की तरह अपने हिस्से की सीटों को लेकर समझौता नहीं चाहती है। बता दें कि 2014 में कांग्रेस ने दो संसदीय क्षेत्रों पर जीत दर्ज की थी। कांग्रेस ने बीते एक साल में बिहार में खुद को जमीनी तौर पर तैयार किया है खासकर अगड़ी जाति का प्रदेश अध्यक्ष बनाकर राजनीतिक संदेश और गणित को भी अपनी तरफ से दुरुस्त किया है।
बिहार में गठबंधन को लेकर कांग्रेस नेता तारिक अनवर का कहना है कि एनडीए छोड़कर उपेंद्र कुशवाहा के साथ आने से उनकी बिरादरी का 4-5 फीसदी का वोट बैंक भी हमारे साथ जुड़ेगा। उनका कहना है कि महागठबंधन में छोटे-छोटे समूहों जैसे मछली पालन और मखाना उत्पादकों के संगठन हमारे साथ जुड़े हैं, सीट बंटवारे में उनकी भागीदारी हो।
राजद नेता तेजस्वी यादव की बसपा नेता मायावती से मुलाकात और महागठबंधन में शामिल होने के सवाल पर उनका कहना है कि बिहार में बसपा का जनाधार है और साथ आने पर दिक्कत भी नहीं है लेकिन उन्हें जो आमंत्रित करेगा वही अपने हिस्से की सीट देगा।
उन्होंने बताया कि सहयोगियों के साथ सीट बंटवारे पर तीन फरवरी को कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की रैली के बाद ही कोई फैसला होगा। इस रैली में बिहार राज्य से जुड़े दलों के नेताओं को भी आमंत्रित किया जा रहा है।