मगही, मैथिली, भोजपुरी, अंगिका व बज्जिका भाषाओं में पढ़ेंगे बिहार के स्‍कूली बच्‍चे, हर तबके से हो रहा स्‍वागत

बिहार के सरकारी स्कूलों में अपनी मातृभाषा में पढ़ेंगे बच्चे शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी की घोषणा का बिहार के सभी राजनीतिक दलों ने किया स्‍वागत प्रारंभिक कक्षाओं के लिए मगही मैथिली भोजपुरी अंगिका बज्जिका समेत क्षेत्रीय भाषा में तैयार होंगे पाठ्यक्रम

By Shubh Narayan PathakEdited By: Publish:Sat, 06 Mar 2021 09:51 AM (IST) Updated:Sat, 06 Mar 2021 10:33 AM (IST)
मगही, मैथिली, भोजपुरी, अंगिका व बज्जिका भाषाओं में पढ़ेंगे बिहार के स्‍कूली बच्‍चे, हर तबके से हो रहा स्‍वागत
बिहार के स्‍कूलों में मातृ भाषा में पढ़ेंगे बच्‍चे। प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर

पटना, राज्य ब्यूरो। बिहार के सरकारी विद्यालयों के बच्चों के लिए यह बड़ी खुशखबरी है। बच्चे अब अपनी मातृभाषा में पढ़ेंगे-सीखेंगे। शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी की इस घोषणा से बिहार के स्‍कूली बच्‍चों और शिक्षकों में उत्‍साह है। बिहार के सभी राजनीतिक दल इसका स्‍वागत कर रहे हैं। कांग्रेस नेता प्रेमचंद मिश्रा ने कहा कि उनका दल काफी पहले से स्‍थानीय भाषाओं को बढ़ावा देने की मांग कर रहा था। सरकार के इस फैसले से शिक्षकों और छात्रों में भी उत्‍साह है। लेकिन, सरकार की इस घोषणा को अमली जामा पहनाना आसान नहीं होगा। इसकी राह में न सिर्फ बजट, बल्कि अन्‍य कई तरह की बाधाएं भी हैं।

व्‍याकरण और शब्‍दकोष को लेकर हो सकती है परेशानी

मंत्री ने पिछले दिनों सदन में कहा था कि प्रारंभिक विद्यालयों में बच्चों को मातृभाषा व क्षेत्रीय भाषा में शिक्षा दी जाएगी। इसके लिए बिहार में प्रचलित मगही, मैथिली, भोजपुरी, अंगिका व बज्जिका के साथ ही उर्दू आदि भाषाओं में किताबें और अन्‍य पाठ्य सामग्री तैयार कराई जाएगी। इस नई व्‍यवस्‍था को लागू करने के लिए सरकार को इन सभी भाषाओं के व्‍यापकरण के मानकीकरण और शब्‍दकोष को समृद्ध बनाने का काम करना होगा। यह काम समाज के सहयोग से ही हो सकता है। उर्दू और मैथिली में यह समस्‍या थाेड़ी कम होगी, लेकिन बिहार की दूसरी भाषाओं में यह समस्‍या अधिक होगी। भोजपुरी में लेखन करने वाले राकेश कुमार सिंह का कहना है कि सरकार चाहेगी तो यह मुश्किल दूर हो जाएगी। इसी तरह गया के एक छात्र रोहित ने कहा कि मगही में सभी किताबें पढ़ाने के लिए शब्‍दकोष पर काफी काम करना होगा।

उच्च गुणवत्ता वाली पाठ्य-पुस्तकें होंगी तैयार

केंद्र सरकार की ओर से जारी नई शिक्षा नीति में ही प्राथमिक शिक्षा के लिए मातृ भाषा को माध्‍यम बनाने की बात कही गई है। इसमें पांचवीं तक अनिवार्य रूप से पढ़ाई का माध्‍यम मातृभाषा या क्षेत्रीय भाषा रखने की बात कही गई है। बिहार सरकार की कोशिश इसी दिशा में है। बिहार सरकार के मंत्री ने कहा कि राज्‍य सरकार इसके लिए बिहार में प्रचलित सभी भाषाओं में किताबें तैयार कराएगी।

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