स्कूलों ने भेजा 50 हजार तक का बिल तो अभिभावकों का छूटा पसीना- अब नाम काटने की चेतावनी

निजी स्कूल मार्च के दूसरे हफ्ते के बाद से ही बंद रहे हैं। इस दौरान ऑनलाइन क्लास के नाम पर बच्चों को हर रोज कुछ घंटे मार्गदर्शन दिया गया लेकिन इसका फायदा हर स्कूल में एक बराबर नहीं मिला।

By Edited By: Publish:Thu, 24 Sep 2020 01:39 AM (IST) Updated:Thu, 24 Sep 2020 01:54 PM (IST)
स्कूलों ने भेजा 50 हजार तक का बिल तो अभिभावकों का छूटा पसीना- अब नाम काटने की चेतावनी
अनलॉक की तैयारी शुरू होते ही स्कूल अभिभावकों को बकाया फीस का बिल भेजने लगे हैं।

पटना। अपने बच्चों को निजी स्कूलों में पढ़ा रहे अभिभावक 'लॉकडाउन का बिल' भरने में पसीने से तरबतर हो रहे हैं। निजी स्कूल मार्च के दूसरे हफ्ते के बाद से ही बंद रहे हैं। इस दौरान ऑनलाइन क्लास के नाम पर बच्चों को हर रोज कुछ घंटे मार्गदर्शन दिया गया, लेकिन इसका फायदा हर स्कूल में एक बराबर नहीं मिला। अब अनलॉक की तैयारी शुरू होते ही स्कूल अभिभावकों को बकाया फीस का बिल भेजने लगे हैं। एक बार में 30 से 50 हजार का बिल पाने वाले अभिभावक हैरान हैं।

मांग लिया इकट्ठा पैसा

राजीवनगर निवासी अशोक कुमार की लड़की राजधानी के एक बड़े मिशन स्कूल में पढ़ती है। उन्होंने आर्थिक तंगी के कारण मार्च के बाद कोई फीस नहीं दी। पहले तो स्कूल फीस को लेकर चुप रहा। सितंबर में स्कूल ने परीक्षा ली और रिजल्ट देने के लिए अभिभावकों को स्कूल बुलाना शुरू कर दिया है। रिजल्ट उन्हीं अभिभावकों को दिया जा रहा है, जिन्होंने फीस जमा कर दी है। इस तरह की हालत किसी एक मिशन स्कूल की नहीं है, बल्कि राजधानी के अधिकांश स्कूलों की हालत यही है। अपने ही कहे से मुकर रहा प्रशासन लॉकडाउन की शुरुआत में प्रशासन ने सभी अभिभावकों को निर्देश दिया था कि इस अवधि में केवल ट्यूशन फीस ही जमा करें। कोई भी स्कूल फीस के लिए अभिभावकों पर दबाव नहीं बनाएगा और न ही छात्रों के नाम काटे जाएंगे, लेकिन अब स्थिति बदल गई है।

फीस न देने की बात पर नाम काटने की चेतावनी

अब स्कूल अभिभावकों पर बकाया जमा करने के लिए दबाव भी बना रहे हैं और फीस नहीं जमा करने पर नाम काटने की चेतावनी भी दे रहे हैं। अभिभावकों को समझ नहीं आ रहा है कि एक बार में इतनी बड़ी रकम जुटाएं कहां से। बाजार, नौकरी एवं अन्य कारोबार की स्थिति अभी भी खराब है। लोगों को परिवार चलाने में ही पसीना छूट रहा है। अभिभावकों की बात सुनने के लिए न तो स्कूल प्रबंधन तैयार है और न ही सरकार।

32 स्कूलों के खिलाफ शिकायत, कार्रवाई एक पर भी नहीं

इस वर्ष विभिन्न अभिभावकों ने कुल 32 स्कूलों के खिलाफ फीस को लेकर शिकायत की थी। फीस को लेकर प्रमंडलीय आयुक्त की अध्यक्षता में बार-बार बैठक होती रही, लेकिन कार्रवाई के नाम पर कुछ भी नहीं हुआ। आखिरकार अभिभावकों को विवश होकर स्कूलों के मनमानी के समझ झुकना पड़ रहा है।

अभिभावक चाहते फीस में मिले रियायत

राजापुल के रहने वाले दिनेश कुमार का कहना है कि स्कूलों को ट्यूशन फीस को छोड़कर अन्य सभी तरह का शुल्क माफ करना चाहिए। किदवईपुरी की सीमा का कहना है कि स्कूल बस, बिजली, कंप्यूटर, प्रयोगशाला, पुस्तकालय और मेंटेनेंस के नाम पर लिया जाने वाला शुल्क तो छोड़ ही सकते हैं। दानापुर के राजेंद्र कुमार का कहना है कि स्कूल प्रबंधन को जिम्मेदार संस्थान की तरह व्यवहार करते हुए इस मुश्किल वक्त में सहानुभूति दिखानी चाहिए। फीस को लेकर अभी तक किसी स्कूल के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है। सरकार ने फीस माफ नहीं की है। ऐसी स्थिति में अभिभावकों को फीस जमा करनी होगी। सुरेंद्र कुमार सिन्हा, क्षेत्रीय उप शिक्षा निदेशक, पटना

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