Bihar Elections 2019: रोम पोप का मधेपुरा गोप का, यहां दांव पर नीतीश-लालू की प्रतिष्‍ठा

बिहार के रोम मधेपुरा में फिर यादवी संघर्ष का ताना-बाना बुना दिख रहा है। यहां का अगला सांसद भी कोई यादव ही होगा यह तय दिख रहा है।

By Amit AlokEdited By: Publish:Mon, 22 Apr 2019 07:33 PM (IST) Updated:Tue, 23 Apr 2019 02:18 PM (IST)
Bihar Elections 2019: रोम पोप का मधेपुरा गोप का, यहां दांव पर नीतीश-लालू की प्रतिष्‍ठा
Bihar Elections 2019: रोम पोप का मधेपुरा गोप का, यहां दांव पर नीतीश-लालू की प्रतिष्‍ठा

पटना [अमित आलोक]। बिहार में लोकसभा चुनाव के तीसरे चरण में जिन पांच लोकसभा सीटों पर मतदान हो रहा है, उनमें शामिल मधेपुरा पर पूरे देश की नजर है। मधेपुरा के बारे में एक कहावत है, 'रोम पोप का और मधेपुरा गोप का' यानि मधेपुरा में किसी यादव उम्मीदवार को हराना लगभग नामुमकिन है। वर्ष 1967 में अस्तित्‍व में आए इस लोकसभा क्षेत्र में अब तक हुए सभी 14 लोकसभा चुनाव में मतदाताओं ने हर बार यादव समुदाय के प्रत्याशी को ही विजयी बनाया है। यहां जाति की राजनीति में विकास के असली मुद्दे गौण होते रहे हैं। इस बार भी सभी प्रमुख प्रत्‍याशी यादव समुदाय के ही हैं।

हाशिए पर विकास के असली सवाल
आज सहरसा से चलने वाली इंटरसिटी एक्सप्रेस में की जनरल बोगी की भारी भीड़ में पिसते मजदूर से लेकर छात्र-नौजवान तक में अधिकांश पटना से दिल्‍ली-पंजाब की गाडि़यां पकड़ने वाले दिखे। बिहार के सर्वाधिक पलायन वाले इस इलाके में रोजगार के अवसर बेहद सीमित हैं। किसानों की बात करें तो मक्के की खूब उपज के बावजूद 1700 रुपये की सरकारी दर पर खरीद नहीं होती। ट्रनों में दमघोंटूं भीड़ कोछोड़ दें तो सड़कों की हालत यह है कि सहरसा व मधेपुरा के बीच की एनएच पर 20 किमी की दूरी तय करने में करीब डेढ़ घंटे लगते हैं।
मधेपुरा के व्‍यवसायी संजय यादव मानते हैं कि यहां विकास के असली सवाल गुम होते या हाशिए पर जाते रहे हैं। वोट का आधार हमेशा जातीय ही रहा है। मधेपुरा की रहने वाली दिल्‍ली विश्‍वविद्यालय की छात्रा रश्मि राज कहतीं हैं कि यहां असली मुद्दों पर वोट किसी चमत्‍कार से कम नहीं।

मैदान में पुराने महारथी, लड़ाई त्रिकोणीय
मधेपुरा में शरद यादव के कंधे पर राष्‍ट्रीय जनता दल (राजद) सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव अपनी लड़ाई लड़ रहे हैं। उन्‍हें चुनौती दे रहे हैं राष्‍ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के जनता दल यूनाइटेड (जदयू) प्रत्‍याशी दिनेश चंद्र यादव तथा गत लोकसभा चुनाव में राजद के टिकट पर जीते व अब जन अधिकारी पार्टी के संरक्षक पप्‍पू यादव। पप्‍पू यादव 2014 में मोदी लहर में भी मधेपुरा में जदयू के शरद यादव को करीब 56000 मतों से हराने में कामयाब रहे थे। ऐसे में वे दोनों प्रमुख गठबंधनों (राजग व महागठबंधन) के बीच लड़ाई को त्रिकोणीय बनाते दिख रहे हैं।

निर्णायक स्थिति में यादव मतदाता
सवाल यह कि मधेपुरा में हमेशा से यादव समुदाय के वर्चस्‍व का राज क्‍या है? बिहार की जाति आधारित राजनीति में इसका उत्‍तर बड़ा आसान है। यहां यादव मतदाता सर्वाधिक व निर्णायक संख्‍या में हैं। आंकड़ों की बात करें तो यहां के कुल 18.74 लाख मतदाताओं में यादवों की संख्या सर्वाधिक 22.26 फीसद है। दूसरे स्‍थान पर मुस्लिम (12.14 फीसद) हैं। अन्‍य समुदायों में पचपनिया छोड़ किसी की स्थिति निर्णायक नहीं है।

सर्वाधिक तीन बार जीते शरद यादव
पार्टियों की बात करें तो समाजवादियों की यह जमीन कांग्रेस के लिए उर्वर साबित नहीं हुई है। मधेपुरा लोकसभा क्षेत्र के 1967 में अस्तित्व में आने के बाद 14 चुनाव व उपचुनाव हो चुके हैं। इनमें सर्वाधिक तीन बार जीत का रिकार्ड समाजवाद की पृष्‍ठभूमि से आने वाले शरद यादव के नाम है। इस बार वे राजद के टिकट पर मैदान में हैं।

दो-दो बार जीते पप्‍पू यादव व लालू प्रसाद
शरद के मुकाबले में खड़े निवर्तमान सांसद पप्‍पू यादव भी मधेपुरा से राजद के टिकट पर दो बार चुनाव जीत चुके हैं। खुद राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव भी यहां से दो-दो बार सांसद चुने गए हैं। दो बार सांसद बनने वालों में बीपी मंडल व राजेंद्र प्रसाद यादव भी शामिल रहे हैं।

1991 से राजद व जदयू की रही अहम भूमिका
समाजवाद की इस धरती पर हुए अधिकांश चुनावाें में समाजवादी प्रत्‍याशी ही विजयी रहे हैं। साथ ही 1991 से अब तक यहां राजद व जदयू की अहम भूमिका रही है। 1991 व 1996 में शरद यादव ने जनता दल के टिकट पर जीत दर्ज की। फिर 1999 व 2009 में वे बतौर जदयू प्रत्‍याशी विजयी रहे। 1998 और 2004 में लालू प्रसाद यादव मधेपुरा से निर्वाचित हुए। 2004 में फिर हुए चुनाव में राजद के टिकट पर राजेश रंजन (पप्पू यादव) ने जीत दर्ज की। गत लोकसभा चुनाव में भी पप्‍पू यादव राजद के टिकट पर ही जीते थे।

शरद के साथ लालू का एम-वाइ समीकरण
लालू के प्रत्‍याशी शरद यादव के साथ उनका एम-वाइ (मुस्लिम-यादव) समीकरण है। उनके निशाने पर केंद्र व राज्‍य की राजग सरकारें हैं। शरद यादव कहते हैं कि यह लड़ाई संविधान को बचाने के लिए है। लालू व शरद दोनों यादवों के दो बड़े नेता माने जाते हैं। इस बार दोनों साथ हैं। ऐसे में दोनों की प्रतिष्‍ठा फंसी हुई है।

पप्‍पू ने क्षेत्रीय व बाहरी को बनाया मुद्दा
शरद को चुनौती देने वाले जन अधिकार पार्टी (जाप) के पप्पू यादव भी कभी लालू के सिपहसालार ही थे। लेकिन बदले राजनीतिक समीकरण में अब वे मधेपुरा में लालू-शरद के प्रभुत्‍व को चुनौती दे रहे हैं। वे क्षेत्रीय और बाहरी को मुद्दा बनाकर जीत हासिल करना चाहते हैं।

लालू के साथ नीतीश की प्रतिष्‍ठा भी दांव पर
मधेपुरा में राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के साथ जदयू सुप्रीमो व मुख्‍यमंत्री नीतीश की भी प्रतिष्‍ठर भी दांवपर लगी है। वहां जदयू प्रत्‍याशी व बिहार सरकार में मंत्री दिनेश चंद्र यादव को सरकार के विकास कार्यों का भरोसा है। मधेपुरा में पचपनिया मतदाताओं के वोट निर्णायक हैं। यह समुदाय नीतीश कुमार को अपना नेता मानता है। इस बार जदयू प्रत्‍याशी दिनेश चंद्र यादव के लिए खुद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने चुनाव प्रचार की कमान संभाली थी।

मोदी लहर के बावजूद भाजपा की हुई थी हार
2014 में नरेंद्र मोदी की लहर के बावजूद मधेपुरा सीट पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की हार हुई थी। तब राजद के टिकट पर चुनाव लड़ रहे पप्पू यादव ने जदयू प्रत्याशी शरद यादव और भाजपा के विजय कुमार सिंह को हराया था। माना जाता है कि नीतीश कुमार की अपील पर पचपनिया वोट तब जदयू प्रत्‍याशी रहे शरद यादव को मिले थे। इस कारण भाजपा की हार हो गई थी।

जदयू से अलग होकर राजद के हो गए शरद
जदयू के महागठबंधन छोड़ने और भाजपा के साथ दोबारा सरकार बनाने की वजह से शरद काफी नाराज थे। इसी वजह से शरद ने जदयू छोड़कर नई पार्टी बना ली और महागठबंधन में शामिल हो गए। महागठबंधन में सीटों के बंटवारे में शरद के लोकतांत्रिक जनता दल को सीट नहीं मिली। तय हुआ कि शरद राजद के सिंबल पर चुनाव लड़ेंगे और चुनाव बाद उनकी पार्टी का विलय राजद में हो जाएगा।

2014 में किसे मिले कितने वोट, एक नजर पप्पू यादव (राजद): 368937 (36 फीसद शरद यादव (जदयू): 312728 (31 फीसद विजय कुशवाहा (भाजपा): 252534 (25 फीसद)

2009 में किसे मिले कितने वोट, एक नजर शरद यादव (जदयू): 3,70,585 रवींद्र चरण यादव (राजद): 1,92,964 डॉ. तारानंद सादा (कांग्रेस): 67,803

मधेपुरा से निर्वाचित अब तक के सांसद 1967: बीपी मंडल (एसएसपी) 1971: राजेंद्र प्रसाद यादव (कांग्रेस) 1977: बीपी मंडल (बीएलडी) 1980: राजेंद्र प्रसाद यादव (कांग्रेस) 1984: महावीर प्रसाद यादव (कांग्रेस) 1989: रमेंद्र कुमार रवि (जनता दल) 1991: शरद यादव (जनता दल) 1996: शरद यादव (जनता दल) 1998: लालू प्रसाद यादव (राजद) 1999 शरद यादव (जदयू) 2004 लालू प्रसाद (राजद) 2004: पप्पू यादव (राजद) 2009: शरद यादव (जदयू) 2014: पप्‍पू यादव (राजद)

मधेपुरा लोकसभा क्षेत्र में विधानसभा क्षेत्र आलमनगर बिहारीगंज मधेपुरा सोनबरसा सहरसा महिषी।

इस बार भी दिख रहा यादवी संघर्ष
बिहार के 'रोम' मधेपुरा में इस बार भी यादवी संघर्ष का ताना-बाना बुना दिख रहा है। यहां का अगला सांसद कौन होगा, इसके लिए भले ही इंतजार करना हो, लेकिन इतना तो तय दिख रहा कि है वह होगा तो कोई यादव ही। 

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