बिहार में राजद नेता की भविष्यवाणी, अध्यक्ष के लिए इस नाम पर नहीं लगी मुहर तो जदयू में होगी टूट

दिल्ली के जंतर-मंतर स्थित जदयू के राष्ट्रीय कार्यालय में पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में ललन सिंह को जदयू का राष्ट्रीय अध्यक्ष चुन लिया गया है। राजद प्रवक्ता ने दावा किया है कि नीतीश कुमार दोबारा अध्यक्ष नहीं बनाए गए तो पार्टी में टूट होगी।

By Akshay PandeyEdited By: Publish:Sat, 31 Jul 2021 03:44 PM (IST) Updated:Sat, 31 Jul 2021 03:44 PM (IST)
बिहार में राजद नेता की भविष्यवाणी, अध्यक्ष के लिए इस नाम पर नहीं लगी मुहर तो जदयू में होगी टूट
केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह और बिहार के सीएम नीतीश कुमार। जागरण आर्काइव।

जागरण टीम, पटना। हाल ही में बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने जनता दल यूनाइटेड (जदयू) अध्यक्ष का पद आरसीपी सिंह को सौंप दिया था। अब आरसीपी केंद्र में इस्पात मंत्री हैं। एक व्यक्ति एक पद के सिद्धांत पर चलते हुए जदयू नए चेहरे की तलाश कर रही थी। दिल्ली के जंतर-मंतर स्थित जदयू के राष्ट्रीय कार्यालय में पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में लोकसभा में जदयू संसदीय दल के नेता राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह को जदयू की कमान सौंप दी गई है। इसी के साथ केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह ने अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया। इस बीच बिहार में विपक्षी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के प्रवक्ता शक्ति यादव ने दावा किया है कि नीतीश कुमार दोबारा जदयू के अध्यक्ष नहीं बनाए गए तो पार्टी में टूट निश्चित है। 

शक्ति यादव ने शनिवार को मीडिया से कहा कि जदयू का अध्यक्ष कौन बनेगा यह तो पार्टी का आंतरिक मामला है, पर इतना जरूर है कि जदूय के अंदर काफी बेचैनी है। इधर-उधर से अगर पार्टी अध्यक्ष बनाया गया तो जदयू चार खंडों में बंट जाएगा। उन्होंने कहा कि ये सारी रस्साकशी नीतीश कुमार को दोबारा अध्यक्ष बनाए जाने के लिए चल रही है। अगर कोई दूसरा जदयू का अध्यक्ष बना तो पार्टी टूट जाएगी। शक्ति यादव के बयान देने के कुछ देर ही बाद ललन को जदयू की कमान सौंप दी गई। 

एक व्यक्ति एक पद का सिद्धांत

बता दें कि हाल ही में जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष को नरेंद्र मोदी मंत्रिमंडल में स्थान मिला है। आरसीपी के केंद्रीय इस्पात मंत्री बनने के साथ ही जदयू के नए अध्यक्ष के लिए कयास लगाए जाने लगे थे। एक व्यक्ति एक पद के सिद्धांत के तहत आरसीपी और नीतीश को छोड़कर किसी नाम पर पार्टी को अपनी सहमति बनानी थी। ऐसे में ललन के अनुभव को देखते हुए उन्हें जनता दल यूनाइडेट (जदयू) की कमान सौंप दी गई। 

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