बिहार: लॉकडाउन में छूट के साथ शुरू हुआ रिवर्स माइग्रेशन, श्रमिकों को बुलाने के लिए आने लगीं बसें

प्रवासी श्रमिकों को राज्‍य में ही रोजगार देने के प्रयासों के बीच बिहार में रिवर्स माइग्रेशन का दौर भी शुरू हो गया है। कई राज्‍यों से श्रमिकों को बुलाने को बसें आने लगी हैं।

By Amit AlokEdited By: Publish:Sat, 06 Jun 2020 11:39 AM (IST) Updated:Sun, 07 Jun 2020 06:19 PM (IST)
बिहार: लॉकडाउन में छूट के साथ शुरू हुआ रिवर्स माइग्रेशन, श्रमिकों को बुलाने के लिए आने लगीं बसें
बिहार: लॉकडाउन में छूट के साथ शुरू हुआ रिवर्स माइग्रेशन, श्रमिकों को बुलाने के लिए आने लगीं बसें

पटना, अरुण अशेष। कोरोना संकट के दौर में घर लौटने को मजबूर हुए राज्य के श्रमिक इन दिनों जॉब ऑफर से परेशान हैं। दूसरे राज्यों के किसान उनके लिए वातानुकूलित बसें भेज रहे हैं। तेलांगना और तमिलनाडु की रीयल एस्टेट कंपनियां तो हवाई जहाज भेज रही हैं। इस रिवर्स माइग्रेशन के बीच बिहार सरकार कह रही है कि घर में ही रहिए, यहीं रोजगार मिल जाएगा। श्रमिक दुविधा में हैं। फिर भी उनका बड़ा हिस्सा काम की पुरानी जगह पर लौटने का मन बना रहा है। कुछ लोग लौट भी रहे हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कहते हैं- मजबूरी में कोई श्रमिक बाहर नहीं जाएगा। हां, विशेष हुनर वाले श्रमिकों को कहीं ऑफर मिले तो जा सकते हैं।

पंजाब, हरियाणा व हिमाचल से आ रहीं लग्जरी बसें

फिलहाल इन श्रमिकों को वापस ले जाने के  लिए पंजाब, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश से लग्जरी बसें आ रही हैं। पहली बस शिवहर जिले में आई थी। उससे 30 श्रमिक गए। दूसरी और तीसरी बसें मुजफ्फरपुर जिले के मीनापुर में आईं थीं। अब श्रमिकों को हिमाचल से आने वाली बसों का इंतजार है। एक जून से ट्रेनों की आवाजाही सामान्य होने के बाद श्रमिक अपने स्तर से भी टिकट कटा कर लौट रहे हैं। लेकिन उन श्रमिकों के मन में भय बना हुआ है, जिन्हें बुरे दौर में नियोजकों ने उपेक्षित छोड़ दिया था।

बिहार आने के साथ ही लौटने लगे थे श्रमिक

रिवर्स माइग्रेशन की शुरूआत तीन मई को ही हो गई थी। उस दिन प्रवासियों को लेकर पहली ट्रेन तेलांगना से खगडि़या आई थी। लौटती में उसी ट्रेन पर सवार होकर 222 श्रमिक तेलांगना लौट गए थे। ये श्रमिक  होली की छुट्टी में गांव आए थे। लॉकडाउन हुआ तो घर पर ही रह गए।  इनके लिए रेल टिकटों का बंदोबस्त तेलांगना के उस चीनी मिल मालिकों ने किया था, जिसमें वे काम करते थे।

मई के अंत में तेज हो गया रिवर्स माइग्रेशन

लॉकडाउन में छूट के साथ मई के आखिरी सप्ताह में श्रमिकों का रिवर्स माइग्रेशन तेज हो गया। नई खबर यह है कि दक्षिण भारत की कई रियल एस्टेट कंपनियों ने श्रमिकों की वापसी के लिए चाटर्ड प्लेन और हवाई टिकट का इंतजाम किया। केरल सरकार ने इनके लिए मुफ्त आवास और चिकित्सा सुविधा देने की घोषणा की है।

अब तक 20 लाख से अधिक श्रमिक लौटे घर

राज्य के सूचना सचिव अनुपम कुमार के मुताबिक 14850 स्पेशल ट्रेनों से 20 लाख 51 हजार श्रमिक बिहार लौटे हैं। राज्य सरकार उनके लिए नियोजन का इंतजाम कर रही है। सरकार की विभिन्न योजनाओं में इनके लिए श्रम दिवस सृजित किए जा रहे हैं। श्रमिकों के हुनर की जांच हो रही है। इसका डाटा बैंक बन रहा है। उद्यमियों को कहा जा रहा है कि वे अपनी जरूरत के हिसाब से इन हुनरमंद श्रमिकों को नियोजित करें। एक अनुमान के मुताबिक कोरोना के दौर में राज्य में 25 लाख से अधिक श्रमिक आए हैं। इनमें बड़ी संख्या अकुशल मजदूरों की है।

राज्‍य सरकार कर रही रोकने के कई इंतजाम

ऐसी बात नहीं है कि राज्य सरकार श्रमिकों को रोकने का इंतजाम नहीं कर रही है। रोजगार का भरोसा देने के अलावा उनके बच्चों के स्कूलों में दाखिला कराने का भी उपाय हो रहा है। लघु उद्योगों के लिए सरकार की कई योजनाएं पहले से चला रही हैं। योजना है कि इनमें बाहर से आए श्रमिकों को उद्यमी बनने का अवसर दिया जाए। उधर दूसरे राज्यों से पहले की तुलना में कहीं अधिक आकर्षक प्रस्ताव मिलने के कारण राज्य सरकार के लिए इन श्रमिकों को बिहार में रोक कर रखना कठिन हो सकता है।

कुछ राज्यों का बुरा अनुभव, जाने से करेंगे परहेज

श्रमिकों के पास कुछ राज्यों का बुरा अनुभव है। इनमें महाराष्ट्र और गुजरात शामिल हैं। बाकी राज्यों के बारे में उनकी अच्छी राय है। खासकर पंजाब, हरियाणा, कर्नाटक और केरल की सरकारों ने कोरोना काल में भी इन श्रमिकों के साथ अच्छा और मानवीय व्यवहार किया था। नई स्थिति में ये श्रमिक इन राज्यों में जाने से कतई घबरा नहीं रहे हैं। हां, महाराष्ट्र और गुजरात जाने के नाम पर जरूर इनका मन छोटा हो जाता है।

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