बिहार के मंदिरों के आय-व्‍यय पर धार्मिक न्‍यास बोर्ड की टेढ़ी नजर, महंतों को दी हटाने की चेतावनी

बिहार राज्य धार्मिक न्यास पर्षद (Bihar State Religious Trust Board) ने राज्य के मठ-मंदिरों के महंतों से आय-व्यय की जानकारी लेनी शुरू कर दी है। न्यास की इस सख्ती से हड़कंप मच गया है। लेखा-जोखा दुरुस्‍त करने की कवायद तेज हो गई है।

By Vyas ChandraEdited By: Publish:Fri, 24 Sep 2021 09:00 AM (IST) Updated:Fri, 24 Sep 2021 09:00 AM (IST)
बिहार के मंदिरों के आय-व्‍यय पर धार्मिक न्‍यास बोर्ड की टेढ़ी नजर, महंतों को दी हटाने की चेतावनी
मठ-मंदिरों के आय-व्‍यय पर धार्मिक न्‍यास बोर्ड की नजर। सांकेतिक तस्‍वीर

पटना, जागरण संवाददाता। बिहार राज्य धार्मिक न्यास पर्षद (Bihar State Religious Trust Board) ने  राज्य के मठ-मंदिरों के महंतों से आय-व्यय की जानकारी लेनी शुरू कर दी है। न्यास की इस सख्ती से हड़कंप मच गया है। न्यास बोर्ड के अध्यक्ष अखिलेश कुमार जैन का कहना है कि राज्य के प्रत्येक निबंधित मठ-मंदिर को न्यास पर्षद को प्रति वर्ष आय-व्यय की सही-सही जानकारी देनी है। कई मठ-मंदिरों के महंत द्वारा आय-व्यय की जानकारी नहीं दी जा रही है। कुछ दे रहे हैं तो मात्र दान स्वरूप कुछ रुपये। लेकिन ऐसा नहीं चलेगा। सही आय-व्यय नहीं देने पर मठ-मंदिरों के महंत हटाए जाएंगे। 

खाकी बाबा ठाकुरबाड़ी के महंत ने नहीं दी सही जानकारी

उन्होंने नालंदा के हिलसा में खाकी बाबा ठाकुरबाड़ी के महंत वाल्मिकी दास पर आय-व्यय की सही जानकारी नहीं देने का आरोप लगाया है। मंदिर के पास 66 दुकानें हैं। इसके अलावा एक बड़ा गोदाम है। मंदिर के पास 35 बीघा16 धुर जमीन है, लेकिन इस वर्ष न्यास पर्षद को मात्र 12,600 रुपये दिए गए।  न्यास पर्षद ने महंत वाल्मिकी दास को सख्त चेतावनी देते हुए कहा कि 18 अक्टूबर को मंदिर के आय-व्यय के लेखा-जोखा के साथ पर्षद कार्यालय में उपस्थित हों, नहीं तो आपको क्यों न हटा दिया जाए? साथ ही बोर्ड ने मंदिर के सभी किरायेदारों को भी उस दिन उपस्थित होने का निर्देश दिया है। बोर्ड ने न्यास गठन के लिए हिलसा के एसडीओ से स्थानीय लोगों की सूची भी मांगी है।

बता दें कि बिहार के कई बड़े मठ-मंदिरों को न्‍यास ने अपने अधीन ले लिया है। इनके आय-व्‍यय का प्रापर ब्‍योरा रखा जाता है। लेकिन कई जगहों से इसमें घालमेल की शिकायतें आने के बाद न्‍यास गंभीर है। ऐसे में आने वाले दिनों में न्‍यास की ओर से कार्रवाई भी की जा सकती है। ऐसे में हड़कंप मचना स्‍वाभाविक है। अब देखना है कि नालंदा की ठाकुरबाड़ी मामले में बोर्ड क्‍या एक्‍शन लेता है। 

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