पटनाः रेमडेसिविर के बाद अब ब्लैक फंगस के इंजेक्शन के नाम पर वसूली, तीन गुना मांग रहे अधिक

बिहार में ब्लैक फंगस के दस्तक देते ही कालाजार रोग के उपचार में काम आने वाले लाइपोसोमल एम्फोटेरिसिन-बी इंजेक्शन की मांग बढ़ गई है। बाजार में उपलब्ध नहीं होने पर एम्स पटना आइजीआइएमएस और रूबन मेमोरियल ने स्वास्थ्य विभाग से इसकी व्यवस्था कराने की मांग की।

By Akshay PandeyEdited By: Publish:Sat, 15 May 2021 12:10 PM (IST) Updated:Sat, 15 May 2021 12:10 PM (IST)
पटनाः रेमडेसिविर के बाद अब ब्लैक फंगस के इंजेक्शन के नाम पर वसूली, तीन गुना मांग रहे अधिक
रेमडेसिविल के बाद अब ब्लैक फंगस के इंजेक्शन की कालाबाजारी शुरू हो गई है। प्रतीकात्मक तस्वीर।

जागरण संवाददाता, पटना : बिहार में ब्लैक फंगस के दस्तक देते ही कालाजार रोग के उपचार में काम आने वाले लाइपोसोमल एम्फोटेरिसिन-बी इंजेक्शन की मांग बढ़ गई है। बाजार में उपलब्ध नहीं होने पर एम्स पटना, आइजीआइएमएस और रूबन मेमोरियल ने स्वास्थ्य विभाग से इसकी व्यवस्था कराने की मांग की। औषधि विभाग ने बाजार में पड़ताल की तो पता चला कि भारत सरकार कालाजार रोगियों के लिए यह दवा उपलब्ध कराती है। बाजार में इसकी मांग नहीं के बराबर होने से सामान्यत: दुकानदार इसे नहीं रखते हैं। वहीं, आइजीआइएमएस व गोविंद मित्रा रोड के कुछ दुकानदार 200 में बिकने वाली प्लेन लाइपोसोमल दवा को ढाई से तीन हजार रुपये में धड़ल्ले से बेच रहे हैं। यही नहीं वे मरीजों के स्वजन को अपने मन से वैकल्पिक दवाएं भी सुझाकर थमा रहे हैं। 

ब्लैक फंगस के बाद कंपनियों ने भी बढ़ाए दाम

कोरोना से उबरने के लिए पहले रेमडेसिविर इंजेक्शन और अब लाइपोसोमल एम्फोटेरिसिन-बी इंजेक्शन की कालाबाजारी शुरू हो गई है। यही नहीं थोक विक्रेताओं के अनुसार कुछ समय पहले तक फुटकर में दो हजार रुपये में बिकने वाला यह इंजेक्शन वे 1750 रुपये में बेचा करते थे। अचानक मांग बढ़ने के बाद कंपनियों ने ही इसकी एमआरपी 5800 रुपये कर दी है। वे फुटकर दुकानदारों को 5400 में देते थे। हालांकि, खपत बढऩे के कारण कंपनी इस दर में भी उपलब्ध नहीं करा रही है। कोरोना के पहले कभी-कभार ही ब्लैक फंगस के रोगी आते थे इसलिए वे बहुत स्टाक  नहीं रखते थे। 

वैकल्पिक दवा का दाम 16 हजार पांच सौ

प्रभारी औषधि नियंत्रक विश्वजीत दास गुप्ता ने बताया कि एंटीफंगल लाइपोसोमल एम्फोटेरिसिन-बी इंजेक्शन अभी नहीं है। इसके कैस्पोफेरेंजिल एसीटेट जैसे विकल्प पर डॉक्टरों से विमर्श किया जा रहा है। हालांकि, इसका दाम 16 हजार पांच सौ रुपये हैं। 

कालाजार मरीजों के लिए रखी दवा दी जाएगी मरीजों को

ब्लैक फंगस मरीजों के उपचार में काम आने वाली दवा  लाइपोसोमल एम्फोटेरिसिन-बी बाजार में उपलब्ध नहीं होने की सूचना के बाद शुक्रवार शाम आपदा प्रबंधन विभाग में उच्च स्तरीय बैठक हुई। इसमें निर्णय लिया गया कि कालाजार रोगियों के लिए रखी दवा ब्लैक फंगस के मरीजों को उपलब्ध कराई जाए। चूंकि यह दवा विश्व स्वास्थ्य संगठन उपलब्ध कराता है, इसलिए स्वास्थ्य विभाग ने भारत सरकार से अनुमति मांगी है। अधिकारियों को औषधि विभाग ने बताया था कि कंपनियों से दवा मंगवाने में काफी समय लग जाएगा, क्योंकि अधिसंख्य कंपनियां उन्हीं राज्यों में है जहां ब्लैक फंगस के रोगी ज्यादा हैं। 

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