तब एक झटके में टूट गई थी लालू यादव व रघुवंश प्रसाद सिंह की 32 साल पुरानी दोस्ती, एक नहीं कई थे कारण

Raghuvansh Prasad Singh Death Anniversary आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव एवं रघुवंश प्रसाद सिंह जननायक कर्पूरी ठाकुर के जमाने से 32 सालों तक साथ रहे। पर रघुवंश प्रसाद सिंह के निधन के महज कुछ दिनों पहले हीं यह दोस्‍ती टूट गई थी। आइए जानते हैं इसके कारण।

By Amit AlokEdited By: Publish:Mon, 13 Sep 2021 10:39 AM (IST) Updated:Mon, 13 Sep 2021 07:58 PM (IST)
तब एक झटके में टूट गई थी लालू यादव व रघुवंश प्रसाद सिंह की 32 साल पुरानी दोस्ती, एक नहीं कई थे कारण
आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव एवं रघुवंश प्रसाद सिंह। फाइल तस्‍वीर।

पटना, आनलाइन डेस्‍क। Raghuvansh Prasad Singh Death Anniversary जिंदगी भर राष्‍ट्रीय जनता दल (RJD) सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव (lalu Prasad Yadav) के संकटमोचक रहे रघुवंश प्रसाद सिंह (Raghuvansh Prasad Singh) ने जीवन के अंतिम दिनों में उनसे किनारा कर लिया था। करीब 32 साल का साथ एक झटके के साथ टूट गया। आरजेडी से इस्‍तीफा देने के बाद रघुवंश प्रसाद सिंह के जीवन की डोर भी ठीक एक साल पहले 13 सितंबर को टूट गई। उन्‍होंने लालू व आरजेडी से नाता तोड़ने का कोई कारण तो नहीं बताया, लेकिन यह सवाल तो खड़ा हो ही गया कि आखिर ऐसा क्‍या हुआ? आखिर इतनी लंबी व गहरी दोस्‍ती क्‍यों और कैसे टूट गई?

एक पत्र से टूट गया 32 साल पुराना नाता

करीब 32 साल की दोस्‍ती के बाद 74 साल की उम्र में बीमार रघुवंश प्रसाद सिंह ने लालू प्रसाद यादव को पत्र भेजकर आरजेडी से इस्तीफा दे दिया। पत्र में उन्‍होंने कर्पूरी ठाकुर (Karpoori Thakur) के निधन के बाद 32 वर्षों तक लालू प्रसाद यादव के पीछे-पीछे खड़े रहने की बात लिखी, साथ हीं पार्टी व आमजनों से मिले स्नेह को भी याद किया। यह भी लिखा कि अब और नहीं, मुझे क्षमा करें। हालांकि, यह भी तथ्‍य है कि लालू प्रसाद यादव ने रघुवंश प्रसाद सिंह के इस्‍तीफा को स्‍वीकार नहीं किया। बहुत संभव है, अगर उनका तुरंत निधन नहीं हो जाता, तो लालू उन्‍हें मनाने में सफल हो जाते, लेकिन रघुवंश प्रसाद सिंह के साथ यह संभावना खत्‍म हो गई।

धीरे-धीरे पार्टी में जाती रही पुरानी हैयिसत

रघुवंश प्रसाद सिंह व लालू प्रसाद यादव की दोस्‍ती की मिसाल दी जाती थी। दोनों जननायक कर्पूरी ठाकुर के वक्‍त से ही साथ थे। कर्पूरी ठाकुर के निधन के बाद रघुवंश प्रसाद सिंह ने ही आगे बढ़ाया था। उन्‍होंने लालू के विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष बनने में बड़ी मदद की थी। आरजेडी की स्‍थापना में भी रघुवंश प्रसाद सिंह की बड़ी भूमिका रही। पार्टी में रघुवंश प्रसाद सिंह की हैसियत लालू प्रसाद यादव जैसी रही, लेकिन बदलते वक्‍त के साथ सियासत बदली तो तेजस्वी यादव के साथ कई मुद्दों पर उनके मतभेद सामने आए। रघुवंश को कई बार बैकफुट पर जाना पड़ा। धीरे-धीरे पार्टी में उनकी पहले वाली हैायिसत जाती रही।

जगदानंद सिंह के खिलाफ उठाई आवाज

सवर्ण आरक्षण के मुद्दे पर रघुवंश प्रसाद सिंह एवं तेजस्‍वी यादव का मतभेद स्‍पष्‍ट दिखा। तेजस्‍वी नहीं झुके, रघुवंश को पीछे होना पड़ा। रघुवंश प्रसाद सिंह के विरोध को दरकिनार कर तेजस्‍वी यादव की पसंद जगदानंद सिंह को आरजेडी प्रदेश अध्‍यक्ष बनाया गया। जगदानंद सिंह द्वारा पार्टी में अनुशासन के नाम पर बनाए गए नियमों का विरोध आज भले हीं तेज प्रताप यादव कर रहे हों, लेकिन इसके खिलाफ पहली आवाज रघुवंश प्रसाद सिंह ने ही उठाई थी। इस मामले में भी रघुवंश प्रसाद सिंह की बातों को अहमियत नहीं दी गई।

रामा सिंह को पार्टी में लाले की कोशिश

साल 2019 के लोकसभा चुनाव में आरजेडी की हार के बाद रघुवंश प्रसाद सिंह को राज्यसभा भेजे जाने के कयास लगाए जा रहे थे। रघुवंश को भी इसकी उम्‍मीद थी, लेकिन लालू ने अपने एक अन्‍य पुराने सहयोगी प्रेमचंद गुप्ता तथा व्‍यवसायी अमरेंद्र धारी सिंह को राज्यसभा भेज दिया। रही-सही कसर रघुवंश के विरोधी व उन्‍हें साल 2014 के लोकसभा चुनाव में लोक जनशक्ति पार्टी के टिकट पर हरा चुके रामा सिंह को पार्टी में लाने की कोशिशों ने पूरी कर दी। रामा सिंह ने भी कहा कि वे आरजेडी में जरूर आएंगे। साथ ही उन्‍होंने रघुवंश प्रसाद सिंह के खिलाफ बयान भी दे दिया। इसपर तेजस्वी यादव के मौन से भी रघुवंश की नाराजगी को हवा मिली। रामा सिंह को पार्टी में लाने की कोशिशों के बाद ही रघुवंश प्रसाद सिंह कड़े एक्‍शन में आते दिखे। उन्‍होंने पार्टी उपाध्‍यक्ष के पद से इस्‍तीफा दे दिया।

नीतीश को बनाना चाहते थे सीएम फेस

रघुवंश प्रसाद सिंह मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार को महागठबंधन में रखने तथा उन्‍हें मुख्‍यमंत्री चेहरा बनाने के पक्षधर थे। वे नीतीश कुमार को तेजस्वी यादव का राजनीतिक गुरु बनाने की बात करते थे। जबकि, लालू प्रयसाद यादव अपने छोटे बेटे तेजस्‍वी यादव के राजनीतिक भविष्‍य से जुड़े इस मसले पर मौन साध गए। ऐसे में रघुवंश प्रसाद सिंह फिर बेकफुट पर नजर आए।

तेज प्रताप के बयानों ने पूरी कर दी कसर

रघुवंश प्रसाद सिंह का लालू प्रसाद यादव के परिवार से गहरे जुड़े थे। लालू के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव के तलाक के मामले में वे चंद्रिका राय और लालू परिवार के रिश्ते बनाए रखने के पक्ष में थे। रघुवंश प्रसाद सिंह के इस स्‍टैंड से तेज प्रताप यादव सहमत नहीं दिखे। कालक्रम में रघुवंश प्रसाद सिंह के खिलाफ तेज प्रताप यादव के हमलों ने उन्‍हें बेहद आहत किया। पार्टी में नाराज रघुवंश की तुलना तेज प्रताप यादव ने आरजेडी के समंदर में एक लोटा पानी से कर दी। कहा कि अगर आरजेडी के समंदर से रघुवंश का एक लोटा पानी निकल भी जाए तो कोई फर्क नहीं पड़ने जा रहा।

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