मेडिकल कोर्स में दाखिले की प्रक्रिया पर भाजपा नेता ने खड़े किए सवाल, कहा- 50 फीसद छात्रों से हो रही नाइंसाफी
बिहार भाजपा अध्यक्ष डॉ. संजय जायसवाल ने शनिवार को लोकसभा में देशभर में 2019 में खाली रह गई मेडिकल चार हजार से सीटों पर सवाल खड़ा किया। उन्होंने लोकसभा में शून्यकाल के दौरान कहा कि सात वर्षों में तकरीबन 100 नये मेडिकल कॉलेज प्रधानमंत्री के प्रयास से खोले गए।
पटना, राज्य ब्यूरो। बेतिया सांसद और बिहार भाजपा अध्यक्ष डॉ. संजय जायसवाल ने शनिवार को लोकसभा में देशभर में 2019 में खाली रह गई मेडिकल चार हजार से सीटों पर सवाल खड़ा किया। उन्होंने लोकसभा में शून्यकाल के दौरान कहा कि सात वर्षों में तकरीबन 100 नये मेडिकल कॉलेज प्रधानमंत्री के प्रयास से खोले गए। 21 दिसंबर को स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने कहा कि 2021 में 80 हजार छात्रों को मेडिकल कॉलेजों में दाखिला देंगे। वितमंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि 602 जिलों में क्रिटिकल केयर यूनिट खोलेंगे। पर, एक सच्चाई है कि 2019 में साढ़े चार हजार सीटें और 2020 में पोस्ट ग्रेजुएशन की 4000 सीटें मेडिकल कॉलेजों में खाली रहीं।
उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला है कि 50 परसेंटाइल पासिंग मार्क्स होना चाहिए। अंडर ग्रेजुएशन में 12 लाख बच्चे परीक्षा देते हैं, 6 लाख बच्चों का सेलेक्शन होता है, 60 हजार बच्चे मेडिकल में जाते हैं। लेकिन हमें समझना पड़ेगा कि पोस्ट ग्रेजुएशन एमबीबीएस डॉक्टर जो यूनिवर्सिटी से पास होते हैं, वही यह परीक्षा देते हैं और इनमें से 50 फीसद बच्चों को चुनना बाकी 50 प्रतिशत बच्चों के साथ अन्याय है।
अनुरोध है कि पोस्ट ग्रेजुएशन में और सुपर स्पेशियलिटी में 50 फीसदी का परसेंटाइल के नियम को समाप्त करके पोस्ट ग्रेजुएशन में नई ट्रेनिंग करवाने और जो डॉक्टर जिस लेवल पर सीट भर सके, उसे भरा जाए। सभापति अध्यक्ष ने जायसवाल की मांग को वाजिब बताते हुए सरकार को इस दिशा में काम करने का नियमन दिया।