पटनाः कोरोना ने धुंधली की पीतल नगरी की चमक, कारीगरों के सामने रोटी का संकट

बिहार के अग्रणी औद्योगिक क्षेत्र में शुमार पीतल नगरी परेव का बर्तन उद्योग दम तोड़ रहा है। सधे हाथों से उम्दा बर्तन बनाने वाले कारीगर लॉकडाउन की मार झेल रहे हैं। आर्डर कैंसिल होने से पीतल नगरी में कारीगरों के परिवार के सामने रोटी का संकट उपन्न हो गया है।

By Akshay PandeyEdited By: Publish:Fri, 07 May 2021 01:57 PM (IST) Updated:Fri, 07 May 2021 01:57 PM (IST)
पटनाः कोरोना ने धुंधली की पीतल नगरी की चमक, कारीगरों के सामने रोटी का संकट
बिहटा के परेव में बर्तन बनाता कारीगर। जागरण।

रवि शंकर बिहटा (पटना)। फूल तथा पीतल के बर्तनों के लिए बिहार के अग्रणी औद्योगिक क्षेत्र में शुमार पीतल नगरी, परेव का बर्तन उद्योग दम तोड़ रहा है। सधे हाथों से उम्दा बर्तन बनाने वाले कारीगर लॉकडाउन की मार झेल रहे हैं। आर्डर कैंसिल होने से पीतल नगरी में खुशहाल कारीगरों के परिवार के सामने रोटी का संकट उपन्न हो गया है। परेव का फूल एवं पीतल के साथ तांबे के बर्तन बनाने के कारोबार की प्रदेश में अलग पहचान है। शादी-विवाह का लग्न शुरू होने के पूर्व से कारीगर बर्तन बनाकर तैयारी कर रखे हुए थे, लेकिन लॉकडाउन होने से पूंजी फंस गई।

बड़ी संख्या में ऑर्डर हुए कैंसिल

इस बाबत व्यवसायी संघ के अध्यक्ष जीवन कुमार कुशल कारीगर राजकुमार कसेरा, सूरज कसेरा आदि का कहना है कि लग्न शुरू होते ही परेव का बर्तन शादी में देने के लिए होड़ लगी रहती थी। कारीगर बैंक से लोन या निजी कर्ज पर लग्न में इस्तेमाल करने वाले बर्तन बनाकर रखे हुए थे। वहीं कुछ दुकानदारों ने पहले से ऑर्डर ले रखा था, लेकिन वैश्विक महामारी के खात्मे को लेकर लगे लॉकडाउन से ऑर्डर कैंसिल हो गया है। उन्होंने सरकार से मांग करते हुए कहा कि लॉकडाउन में बैंक लोन माफ किया जाए, ताकि हमलोगों को कुछ राहत मिल सके। 

दूर-दूर से आते थे खरीदार

बताते चलें कि पीतल नगरी, परेव में ढलाई के लिए दो बड़ी रोलिंग मिलें, कसेरा रोलिंग मिल तथा जनता रोलिंग मील स्थापित हैं। उक्त मिलों पर मुरादाबाद, मिर्जापुर, सहारनपुर आदि से कच्चा माल आता है और इसे परिशोधित करके ढलाई की जाती है। परेव में बने बर्तनों की गुणवत्ता उम्दा होने के कारण दूर-दूर से व्यापारी थोक में खरीद करते हैं। बर्तन कारोबार में लगभग चार सौ परिवारों को सीधा रोजगार है। ये लोग या तो रोलिंग मिल में काम करते हैं अथवा अपने घर पर बर्तनों को चमकाने तथा कसीदाकारी करते थे। शादी विवाह के अवसर पर परात, थाला व पुराने बर्तनों की छिलाई पर आश्रित होकर परिवार का भरणपोषण करते हैं।

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