प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात में छठ को लेकर कही बड़ी बात, बिहार में जल्‍द ही शुरू होंगी तैयारियां

PM Narendra Modi in Man ki Baat प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात में बिहार के महापर्व छठ का जिक्र करते हुए बड़ी बात कही है। उनके इस कार्यक्रम को सुनने के लिए लोग सुबह से ही इंतजार कर रहे थे।

By Shubh Narayan PathakEdited By: Publish:Sun, 26 Sep 2021 11:17 AM (IST) Updated:Sun, 26 Sep 2021 11:38 AM (IST)
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात में छठ को लेकर कही बड़ी बात, बिहार में जल्‍द ही शुरू होंगी तैयारियां
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात में किया छठ का जिक्र। फाइल फोटो

पटना, आनलाइन डेस्‍क। PM Narendra Modi in Man ki Baat: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने नियमित कार्यक्रम मन की बात में बिहार के महापर्व छठ (Chhatha Mahaparv) का जिक्र किया है। उन्‍होंने इसे नदियों की स्‍वच्‍छता के लिए बड़ा अवसर बताते हुए कहा कि कुछ दिनों में छठ के लिए नदियों की सफाई शुरू हो जाएगी। प्रधानमंत्री ने इस बार नदियों की स्‍वच्‍छता पर अपना फोकस रखा। उन्‍होंने विश्‍व नदी दिवस (World River Day) का जिक्र करते हुए कहा कि हम नदियों को मां कहते हैं और इनके लिए गीत गाते हैं तो यह सवाल उठता है कि ये नदियां प्रदूषित कैसे हो जाती हैं।

देश के हर हिस्‍से में ऐसे आयोजन पर दिया जोर

प्रधानमंत्री ने कहा कि छठ में नदियों की सफाई की परंपरा है। वस्‍तुत: जन जागृति से ही नदियों को स्‍वच्‍छ बनाया जा सकता है। उन्‍होंने कहा कि नदियां परोपकार करती हैं। वे अपना जल खुद नहीं पीती हैं। ऐसे में देश के हर हिस्‍से में नदियों की स्‍वच्‍छता के लिए दिवस मनाया जाना चाहिए। उन्‍होंने एक तरह से छठ को भी नदी दिवस से जोड़ दिया।

छठ में चकाचक हो जाती हैं बिहार की नदियां

आपको बता दें कि दीपावली के ठीक बाद बिहार, झारखंड और उत्‍तर प्रदेश के कुछ हिस्‍सों में छठ का त्‍योहार मनाया जाता है। यह त्‍योहार मूलत: बिहार से जुड़ा हुआ है। बिहार से सटे इलाकों ही नहीं देश के हर हिस्‍से और विदेशों में भी बिहारियों की वजह से यह त्‍योहार मनाया जाने लगा है। यह त्‍योहार मुख्‍य तौर पर नदियों और जलाशयों के किनारे मनाया जाता है। इसके लिए नदियों के घाटों को पूरी तरह स्‍वच्‍छ बनाने की प्रक्रिया कई इलाकों में तो दशहरा के दौरान ही शुरू हो जाती है। छठ के दिन बिहार के नदी घाट इतने साफ रहते हैं कि आप जहां चाहें बैठ जाएं।

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