शहर में तीन दशक बाद गांव से ज्यादा लोग रहेंगे
पटना साइंस कॉलेज और भूगर्भशास्त्र विभाग ने संयुक्त रूप से आयोजित की कार्यशाला
पटना। पटना साइंस कॉलेज और भूगर्भशास्त्र विभाग ने संयुक्त रूप से बुधवार को 'भारतीय शहरों की चुनौतियां : डिजाइन, तकनीक एवं इनोवेशन' विषय पर व्याख्यान का आयोजन किया। मुख्य वक्ता के तौर पर राष्ट्रीय डिजाइन संस्थान, अहमदाबाद के वरीय शिक्षक डॉ. मिहिर भोले ने कहा कि जिस तेजी से शहरीकरण का दायरा बढ़ रहा है, देश में 2050 तक गांवों से अधिक लोग शहरों में रहने लगेंगे। यह चिंता पैदा करने वाली बात है कि आबादी की वृद्धि दर के अनुपात में शहरों में सुविधाओं पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। ऐसी परिस्थिति में तकनीक एवं डिजाइन की मदद से चुनौतियों का सामना किया जा सकता है। ऊर्जा, जल, खाद्यान्न, भवन निर्माण, कचरा प्रबंधन, स्वास्थ्य आदि के लिए तकनीक विकसित करनी होगी। तकनीक जनसुलभ एवं समय के अनुरूप हो। जीपीएस और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर निर्भरता बढ़ेगी। स्मार्ट सिटी बेहतर विकल्प हो सकता है, लेकिन इसकी लागत और दायरा अपने देश में सीमित है।
शहरीकरण के लिए तकनीक पर हो शोध
पटना विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. रास बिहारी प्रसाद सिंह ने व्याख्यान की अध्यक्षता करते हुए कहा कि शहरीकरण पश्चिम का मॉडल है। इसके खतरे भी काफी हैं। शहरों में जन पलायन रोकने के लिए गांव को विकसित करना अनिवार्य है। खेती-पशुपालन, कुटीर उद्योग आदि को बढ़ावा देकर शहर पर निर्भरता को कम किया जा सकता है। शहरों में बेतहाशा पलायन का परिणाम देखने को अब मिल रहा है। उन्होंने कहा कि शहरीकरण के लिए तकनीक की निर्भरता पर विभाग और विश्वविद्यालय को शोध करना चाहिए। अतिथियों का स्वागत भूगर्भ शास्त्र विभाग के अध्यक्ष प्रो. रमेश शुक्ला और संचालन पटना साइंस कॉलेज के प्रो. अतुल आदित्य पांडेय ने किया। पटना साइंस कॉलेज के प्राचार्य प्रो. केसी सिन्हा, पूर्व प्राचार्य प्रो. बीके मिश्रा, प्रो. उर्षा वर्मा, कुलसचिव कर्नल मनोज मिश्र आदि मौजूद थे।