बिहार में हर महीने 500 'दंगों' से पुलिस परेशान, केंद्र सरकार को प्रस्‍ताव भेजने की तैयारी में जुटा गृह विभाग

बिहार पुलिस मुख्यालय के प्रस्ताव पर गृह विभाग ने जताई सहमति केंद्रीय गृह मंत्रालय को भेजा जाएगा पत्र छोटी-मोटी घटनाओं को दंगा की परिभाषा से बाहर निकालने की योजना जानें बिहार पुलिस से जुड़ी और भी कई महत्‍वपूर्ण खबरें

By Shubh Narayan PathakEdited By: Publish:Fri, 23 Jul 2021 06:29 AM (IST) Updated:Fri, 23 Jul 2021 06:29 AM (IST)
बिहार में हर महीने 500 'दंगों' से पुलिस परेशान, केंद्र सरकार को प्रस्‍ताव भेजने की तैयारी में जुटा गृह विभाग
बिहार में दंगे रोकने के लिए पुलिस ने बनाई रणनीति। प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर

पटना, राज्य ब्यूरो। पुलिस रिकॉर्ड में अब तक दर्ज 'दंगा' विषय को दूसरे रूप में नामांकित किया जाएगा। दंगा के अंतर्गत होने वाली घटनाओं का नए सिरे से वर्गीकरण होगा। बिहार पुलिस मुख्यालय के इस प्रस्ताव पर गृह विभाग ने अपनी सहमति दे दी है। गृह विभाग अब इस प्रस्ताव से जुड़ा पत्र केंद्रीय गृह मंत्रालय को भेजेगा। गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव की अध्यक्षता में पिछले दिनों हुई समीक्षा बैठक में इस बाबत निर्णय लिया गया। पुलिस सूत्रों के अनुसार, अभी कहीं छिटपुट ङ्क्षहसा की घटना को भी दंगा के दायरे में रखा जाता है। इस कारण दंगे से जुड़े आंकड़े कई बार अधिक दिखाई देते हैं। इस शब्द की गंभीरता को देखते हुए इसे नए सिरे नामांकित व वर्गीकृत करने की तैयारी है।

हर माह औसत 500 मामले

राज्य में अभी हर माह औसत 500 छोटे-बड़े दंगों के मामले आते हैं। पुलिस रिकार्ड में दर्ज इस वर्ष अप्रैल माह तक 1998 मामले सामने आए हैं। इसमें सबसे अधिक 608 मामले मार्च में जबकि सबसे कम 375 मामले जनवरी माह में दर्ज किए गए हैं। पिछले साल 2020 में राज्य भर में कुल 9419 मामले दर्ज किए गए थे। सेंट्रल रेंज यानी पटना और नालंदा जिले में सबसे अधिक 1503 मामले दर्ज किए गए थे।

थानों में महिला एसएचओ

गृह विभाग की समीक्षा बैठक में राष्ट्रीय मानक के अनुसार पुलिसकर्मियों की आवश्यकता व पद सृजन पर भी विमर्श हुआ। थाना प्रभारी एवं जिलों में पदस्थापना के लिए पुलिस पदाधिकारियों का पुरुष एवं महिला के आधार पर वर्गीकरण करने को भी कहा गया ताकि थानों में महिला एसएचओ की तैनाती हो सके। इसके अलावा सभी थानों में महिला हेल्प डेस्क के लिए फर्नीचर उपलब्ध कराने का भी निर्देश दिया गया।

जून में भूमि विवाद की मांगी रिपोर्ट

गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव ने सभी जिलों से भूमि विवाद से जुड़े जून माह की रिपोर्ट मांगी है। इस दौरान भूमि विवाद को लेकर हुई बैठकें, आए कुल मामले, निष्पादित मामलों आदि के संबंध में भी जानकारी मांगी गई है। रिपोर्ट के आधार पर भूमि विवाद की अलग से समीक्षा होगी। इसके अलावा सभी डीएम को कब्रिस्तान घेराबंदी व मंदिर चहारदिवारी निर्माण की प्रक्रियाधीन योजना को प्राथमिकता के आधार पर दो माह में पूरा करने का निर्देश दिया गया है।

97 थाने व 47 ओपी अब भी भूमिहीन

समीक्षा के क्रम में पाया गया कि राज्य के कुल 1096 थानों एवं 264 ओपी में अब भी 97 थाने एवं 47 ओपी भूमिहीन हैं। इनमें 34 भूमिहीन थानों एवं नौ ओपी का प्रस्ताव एनओसी के लिए उपलब्ध है। चार भूमिहीन थाना एवं 13 ओपी के भूमि हस्तांतरण का प्रस्ताव भी प्राप्त है। 53 भू-अर्जन एवं 17 चिन्हित सरकारी भूमि का हस्तांतरण लंबित है। 14 इकाईयों के लिए भूमि चिन्हित नहीं की जा सकी है।

101 गाडिय़ों में लगा जीपीएस

पुलिस मुख्यालय द्वारा बताया गया कि अब तक 101 गाडिय़ों में जीपीएस लगाया गया है, जिसका नियंत्रण जिलों में स्थित कंट्रोल रूम के माध्यम से किया जा रहा है। समीक्षा बैठक में क्षेत्रीय विधि-विज्ञान प्रयोगशाला के निर्माण के लिए भूखंड पुलिस केंद्र में सुनिश्चित करने को कहा गया। संयुक्त भवन के निर्माण के लिए भी मॉडल प्राक्कलन तैयार करने को कहा गया है।

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