पटना में लगने लगे हैं कई जनता दरबार, सीएम नीतीश कुमार से मिलना बिहार के लोगों की पहली पसंद
Nitish Kumar in Janta Darbar सीएम डैशबोर्ड से मानीटर होती है जनता दरबार में आई शिकायतों पर क्या काम हुआ संबंधित महकमे को तय अवधि में अपलोड करना है अनुपालन रिपोर्ट जनता दरबार के कई फोरम पर लोगों की रूचि मुख्यमंत्री से मिलने में ही
पटना, भुवनेश्वर वात्स्यायन। जनता के दरबार में मुख्यमंत्री कार्यक्रम की तर्ज पर पटना में आजकल आम लोगों की शिकायतें सुनने के लिए कई स्तर पर फोरम सक्रिय हो गए हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार हर सोमवार आम लोगों से मिलकर उनकी शिकायतें सुनते ही हैं, भाजपा, जदयू और हम के मंत्री अलग से अपने-अपने पार्टी दफ्तर में भी दरबार लगाकर लोगों की शिकायतें सुन रहे हैं। इतने सारे मौकों के बावजूद लोग सीएम से मिलकर ही अपनी बात कहना चाहते हैं। इसकी वजह है कि जनता के दरबार में मुख्यमंत्री कार्यक्रम में आए मामलों में क्या कार्रवाई हुई इसकी निगरानी के लिए सीएम डैशबोर्ड है। अधिकारियों की टीम देखती है कि जो मामले आए उन पर संबंधित महकमे ने किस तरह से काम किया, जबकि राजनीतिक दलों के दफ्तर में जो जनता दरबार हो रहे हैं, उसमें मौके पर निष्पादन के लिए मंत्री संबंधित अधिकारी को निर्देश तो जरूर दे रहे पर उनके परिणाम जल्द मालूम नहीं होते।
इस तरह काम करता है मानीटरिंग डैशबोर्ड
जनता के दरबार में मुख्यमंत्री कार्यक्रम में जो मामले आते हैं, उन्हें सीएम डैश बोर्ड पर डालने की व्यवस्था है। मुख्यमंत्री सचिवालय में इसके लिए अधिकारी हैं। सीएम डैश बोर्ड अलग-अलग विभाग के लिए आइकान बने हुए हैं। मुख्यमंत्री सचिवालय के तय अधिकारी को सीएम डैशबोर्ड के एक्सेस का अधिकार है। संबंधित महकमे की शिकायत डाले जाने के बाद उक्त विभाग के अधिकारी को एक तय अवधि में अपना अनुपालन रिपोर्ट उक्त डैश बोर्ड पर अपलोड करना है। इससे यह मालूम करने में सहूलियत होती है कि आवेदकों की गुहार पर किस तरह से कार्रवाई हुई।
इस बार अब तक आधा दर्जन बार जनता दरबार हो चुके हैं
इस बार 12 जुलाई से जनता के दरबार में मुख्यमंत्री कार्यक्रम नए सिरे से आरंभ हुआ था। अब तक छह बार यह आयोजन हो चुका है। इस संबंध में मिली जानकारी के अनुसार 12 जुलाई को 146, 19 जुलाई को 106, 2 अगस्त को 153, 9 अगस्त को 134, 16 अगस्त को 134 और 6 सितंबर 195 लोगों ने अपनी शिकायतें मुख्यमंत्री के समक्ष रखी। कोरोना की वजह से प्राविधान किया गया है कि 200 की संख्या से अधिक लोगों को जनता के दरबार में नहीं बुलाया जाए।
पार्टी दफ्तर में औपचारिक अंदाज में दिखता है मंत्रियों का जनता दरबार
जदय और भाजपा दोनों के मंत्रियों ने रोटेशन के हिसाब से अपने-अपने दफ्तर में मूल रूप से पार्टी कार्यकर्ताओं की विभाग से जुड़ी समस्याओं को सुनने के लिए बैठना शुरू किया है। पर यह औपचारिक अंदाज में होता है। मुख्यमंत्री के जनता दरबार में अधिकारी मौजूद रहते हैं, पर मंत्रियों के दरबार में मंत्री स्वयं फोन पर संबंधित से बात कर समस्या के समाधान का प्रयास करते हैं। उप मुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद का भी जनता दरबार लगता है। वह भी फोन पर ही देखते हैं मामलों को। हम के जनता दरबार में जीतन राम मांझी ने अधिकारियों को चिट्ठी लिखने की बात कही है।