सदन में गूंजी पटना के पारस अस्पताल की लापरवाही का मामला, बिहार विधान परिषद की पांच सदस्यीय टीम करेगी जांच
संजय सिंह गुलाम गौस नवल किशोर यादव समेत कई सदस्यों ने पारस अस्पताल की चिकित्सा व्यवस्था पर नाराजगी जताई। कहा कि आए दिन अस्पताल की शिकायतें आती रहती हैं। गुलाम गौस ने तो यहां तक कह दिया कि पारस अस्पताल नहीं कत्लगाह है।
पटना, राज्य ब्यूरो। बिहार विधान परिषद में मंगलवार को शून्यकाल के दौरान पारस अस्पताल की मनमानी और चिकित्सा में लापरवाही बरतने का मामला सदस्यों ने जोर-शोर से उठाया। सबसे पहले विधान पार्षद संजीव श्याम सिंह ने बताया कि रोहतास निवासी 17 वर्षीय आयुष रंजन को शौच नहीं होने की शिकायत पर 22 जुलाई को पारस अस्पताल के जनरल वार्ड में शिफ्ट किया गया था। राउंड पर आए इंडोक्राइनोलाजिस्ट डा. नीरज सिन्हा ने दवा खाने को दी, जिसके बाद लगातार शौच होने लगा और तबीयत बिगड़ती चली गई।
इस बीच अस्पताल प्रबंधन से संपर्क करने पर कहा गया कि डा. नीरज फोन नहीं उठा रहे। बाद में आयुष को सीसीयू वार्ड में भर्ती कराया गया और कहा गया कि कोई अन्य डाक्टर नहीं है। 26 जुलाई को स्वजनों को बताया गया कि आयुष की मौत हो गई। सदस्य ने कहा कि यह पूरी तरह अस्पताल की लापरवाही है, ऐसे में सदन से कार्रवाई की मांग की गई।
इस पर अन्य सदस्य संजय सिंह, गुलाम गौस, नवल किशोर यादव समेत कई सदस्यों ने पारस अस्पताल की चिकित्सा व्यवस्था पर नाराजगी जताई। कहा कि आए दिन अस्पताल की शिकायतें आती रहती हैं। गुलाम गौस ने तो यहां तक कह दिया कि पारस अस्पताल नहीं, कत्लगाह है। इस पर कार्यकारी सभापति अवधेश नारायण सिंह ने कहा कि उनके संज्ञान में भी यह मामला है। अगर सदस्यों की राय हो तो इस मामले की जांच के लिए पांच सदस्यीय कमेटी का गठन किया जाए। इस पर सदस्यों ने अपनी सहमति जताई। उसके बाद परिषद की पांच सदस्यीय कमेटी गठित कर पूरे मामले की जांच करने का निर्णय लिया गया।
सदन में हंगामे के बाद पारस एचएमआरआइ अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डा. आसिफ रहमान ने कहा कि हमारे लिए मरीज हमारी सबसे बड़ी प्राथमिकता हैं। हम अपने सभी रोगियों को बेजोड़ स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करते हैं। हमें युवक के निधन पर खेद है, जिसे हमने सर्वोत्तम संभव सेवा प्रदान करने का भी प्रयास किया।
आइसीयू टीम के साथ-साथ जनरल फिजिशियन, गैस्ट्रोएंटेरोलाजिस्ट, गैस्ट्रो सर्जन, स्पाइन सर्जन, एंडोक्राइनोलाजिस्ट सहित चिकित्सकों की एक बहु-विषयक टीम ने मरीज का इलाज किया। उस मरीज के इलाज में हमारी ओर से कोई चूक नहीं हुई है। राज्य के एक जिम्मेदार स्वास्थ्य सेवा प्रदाता के रूप में हम जांच की प्रक्रिया को सुगम बनाने में सहयोग करेंगे।