पटना में गुजरा था गुरु गाेविंद सिंह का बचपन, कम उम्र में ही हैरतअंगेज कारनामों से किया हैरान
Guru Govind Singh Birth Anniversary सिखों के दसवें औरर आखिरी गुरु गोविंद सिंह का आज मनाया जा रहा जन्मोत्सव बचपन के गोविंद ने गंगा में फेंका एक कंगन तो चारों ओर दिखा कंगन ही कंगन कंगन घाट पर दिखा था दशमेश गुरु के बचपन का चमत्कार
पटना सिटी, जागरण संवाददाता। Guru Govind Singh Jayanti: सिखों के दसवें गुरु श्रीगुरु गोविंद सिंह का 354वां प्रकाश उत्सव आज पटना सिटी स्थित तख्त श्रीहरिमंदिर में धूमधाम से मनाया जा रहा है। उन्होंने बचपन के सात वर्ष पटना साहिब में गुजारे। गोविंद राय जब कुछ बड़े हुए तो खेलने-कूदने लगे। बालक गोविंद राय धनुष-बाण व गुलेल से निशाना लगाते थे। बालक गोविंद राय ने बचपन के चमत्कार गोविंद घाट पर यानी वर्तमान के कंगन घाट में किए।
दो टोली बनाकर लड़ाई कर किले बनाते, हमेशा सेनापति बने
गुरुजी बचपन में दोस्तों की दो टोली बनाकर लड़ाई करते और किले बनाते थे। वे दोस्तों को विजय प्राप्त करने के गुर बताते थे। वे गंगा घाट किनारे ही विजयी टोली को पुरस्कृत करते थे। जब लड़के सेना और युद्धों की नकल उतारते तो गोविंद सेनापति या राजा बनते थे। वे न्यायालय की नकल उतारते और लड़कों के मामलों को सुनकर उनका न्याय करते थे।
खेल-खेल में एक कंगन गंगा में फेंका तो चारों ओर कंगन दिखा
गुरु जी ने खेल-खेल में गंगा में अपने कंगन फेंके थे। बताया जाता है कि लोग जब गंगा से कंगन निकालने गए तो चारों ओर कंगन ही कंगन देख आश्चर्यचकित रह गए। मांझी जब गंगा से कंगन निकालने गया तो ढेर सारे कंगन देखा। तब गुरु महाराज ने मांझी से दूसरा कंगन निकालने से मना कर दिया। तब गोविंद राय ने कहा गंगा हमारी तिजोरी है और तुम हमारा कंगन पहचान कर निकाल दो। इस तरह गुरुजी ने माया का त्याग प्रकट किया था। इसी कारण तख्त श्री हरिमंदिर से 100 गज की दूरी पर कंगन घाट गुरुद्वारा का निर्माण किया गया। इसी गोविंद घाट पर गुरु जी ने पंडित शिवदत्त शर्मा को मानसिक शांति का वरदान भी दिया था।
गुलेल से फोड़ देते थे महिलाओं के घड़े
वे गुलेल से निशाना लगाने का खुद अभ्यास करते और मित्रों को भी करवाते। मार्ग में जब महिलाएं खाली घड़े सिरों पर उठाकर कुआं तथा नदियों पर पानी भरने जाती तो वे घड़ों पर भी निशाना लगाने से नहीं चूकते। महिलाओं के घड़े तोड़ देते थे। उनके इस खेल से महिलाएं तंग आकर उनकी शिकायत दादी माता नानकी से करतीं। दादी मां से उन्हें डांट भी मिली।