पटना नवरात्र 2020 : महिलाओं ने एक-दूसरे के संग सिंदूर की होली खेल मां दुर्गा को दी विदाई

लाल बॉर्डर वाली साड़ी कुमुकुम गुलमोहर के रंग के आलते से सजी हथेलियां और एक-दूसरे को सुर्ख लाल सिंदूर लगाती महिलाएं ऊर्जा से भरी नजर आ रही थीं। सोमवार को विजयादशमी के मौके पर कुछ ऐसा ही नजारा बंगाली समाज के पूजा पंडालों में देखने को मिला।

By Prashant ShekharEdited By: Publish:Mon, 26 Oct 2020 04:13 PM (IST) Updated:Mon, 26 Oct 2020 04:13 PM (IST)
पटना नवरात्र 2020 : महिलाओं ने एक-दूसरे के संग सिंदूर की होली खेल मां दुर्गा को दी विदाई
राजधानी में मां की विदाई के दौरान सिंदुर लगाकर आशीर्वाद लेतीं महिलाएं।

पटना । लाल बॉर्डर वाली साड़ी, कुमुकुम, गुलमोहर के रंग के आलते से सजी हथेलियां और एक-दूसरे को सुर्ख लाल सिंदूर लगाती  महिलाएं ऊर्जा से भरी नजर आ रही थीं। सोमवार को विजयादशमी के मौके पर कुछ ऐसा ही नजारा बंगाली समाज के पूजा पंडालों में देखने को मिला। सिंदूर खेल का आयोजन का नजारा ही कुछ और दिख रहा था। शादीशुदा महिलाएं एक-दूसरे के साथ सिंदूर की होली खेल मां दुर्गा की विदाई में लगी थीं।

कोरोना के कारण एहतियात

शहर के भीखना पहाड़ी में आयोजित सिंदूर खेला के दौरान महिलाएं कोरोना संक्रमण को देखते हुए एहतियात बरतते हुए आयोजन में भाग लीं। वहीं, दूसरी ओर लंगर टोली स्थित बंगाली अखाड़ा में भी समुदाय से जुड़ी महिलाओं ने सिंदूर खेल का पर्व मनाया। संक्रमण को देखते हुए इस बार सामूहिक रूप से सिंदूर खेल का आयोजन यारपुर स्थित काली बाड़ी मंदिर समेत अन्य जगहों पर नहीं हुआ। कालीबाड़ी के संयुक्त सचिव अशोक चक्रवर्ती ने बताया कि कोरोना संक्रमण को देखते हुए इस बार मंदिर परिसर में धुनची नृत्य, सिंदूर खेला का आयोजन नहीं हो सका। सिंदूर खेला के साथ ही कई पूजा समितियों की ओर से मां दुर्गा की विदाई दी गई। बंगाली अखाड़ा के अशोक घोसाल ने बताया कि कोरोना संक्रमण को देखते हुए कई सारे सामूहिक आयोजन नहीं हो सका। बंगाली अखाड़ा में सोमवार मां का विधि-विधान के साथ पूजा करने के बाद मां की प्रतिमा का विसर्जन किया गया। पूजा समिति  के लोगों ने मां दुर्गा की नम आंखों से विदाई करते हुए कोरोना संक्रमण से मुक्ति दिलाने की प्रार्थना करने के साथ अगले वर्ष जल्दी आने की गुहार लगाई।

इससे पूर्व सुबह से ही माता दरबार में मां के दर्शनों के लिए भीड़ उमड़ी थी। हालांकि, कोरोना के कारण पिछले साल की तरह श्रद्धालु नहीं पहुंचे थे। कई तरह के आयोजन इस बार देखने को नहीं मिला।

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