केवल 500 रुपये में मिल रहा है 1000 वाला स्‍वेटर, ठंड खत्‍म होते ही पटना में शुरू हुई सीजन सेल

पटना के ऊलेन बाजार में अब आधे दाम पर कपड़े मिल रहे हैं। शोरूम के साथ ही बाहर से आए व्‍यापारियों की दुकानों में भी सेल चल रही हैं। साथ ही मेलों में भी 50 फीसद तक की भारी छूट मिलने लगी है।

By Shubh Narayan PathakEdited By: Publish:Sun, 21 Feb 2021 06:42 AM (IST) Updated:Sun, 21 Feb 2021 06:42 AM (IST)
केवल 500 रुपये में मिल रहा है 1000 वाला स्‍वेटर, ठंड खत्‍म होते ही पटना में शुरू हुई सीजन सेल
पटना में सस्‍ते ऊनी कपड़े खरीदने का मौका। प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर

पटना, जागरण संवाददाता। पटना के ऊलेन बाजार में अब आधे दाम पर कपड़े मिल रहे हैं। शोरूम के साथ ही बाहर से आए व्‍यापारियों की दुकानों में भी सेल चल रही हैं। साथ ही मेलों में भी 50 फीसद तक की भारी छूट मिलने लगी है। खरीदारी हालांकि सामान्य चल रही है, क्योंकि इस साल जाड़े का मौसम समय से शुरू हो गया था। इसके साथ ही गर्म कपड़ों की खरीदारी भी शुरू हो गई थी।

उम्‍मीद से बेहतर रहा ऊलेन कपड़ों का बाजार

ऊलेन कपड़ों का बाजार इस साल उम्मीद से बेहतर रहा। अक्टूबर अंत से ही गर्म कपड़ों की खरीदारी शुरू हो गई थी। इसके साथ ही शहर में 20 से अधिक जगहों पर ऊलेन मेले भी लग गए। दिसंबर से जनवरी के बीच कड़ाके की ठंड में जमकर कारोबार हुआ। जानकारों का कहना है कि इस साल 40 से 50 करोड़ रुपये का कारोबार पटना में हुआ है। यह संतोषजनक है। कश्मीर से आए व्यवसायियों ने भी कारोबार पर संतोष जताया है।

कश्‍मीरी आर्ट वाले कपड़ों की रही अच्‍छी मांग

बुद्ध मार्ग पर लगे कश्मीरी मेले के विक्रेता बशीर अहमद और इमत्याजुद्दीन ने कहा कि कश्मीरी आर्ट वाले ऊलेन सलवार-सूट, शाल, स्वेटर, कार्डिगन आदि की पटना में अच्छी मांग रही। कश्मीर का निडिल वर्क यहां खूब पसंद किया जाता है। उन्होंने कहा कि अब 40 से 50 फीसद तक की छूट हर तरह के कपड़ों पर दी जा रही है। अन्य मेलों में भी कमोवेश इसी के अनुरूप छूट मिल रही है।

कंबल की अभी भी हो रही है बिक्री

विक्रेताओं का कहना है कि इस समय कंबल की मांग बनी हुई है। पहनने वाले कपड़े लोग पहले ही ले चुके हैं। लेकिन कंबल की खरीदारी चल रही है। अच्छी छूट मिलने से अगले साल के लिए भी लोग कंबल की खरीदारी कर रहे हैं। अन्य कपड़ों की मांग सीमित है। कुछ लोग अंतिम समय में अगले साल के लिए गर्म कपड़ो की खरीदारी करते हैं। इससे उन्हें अच्छी बचत हो जाती है। वैसे ग्राहक भी खरीदारी कर रहे हैं। बच्चों के कपड़ों की मांग अब बहुत कम रह गई है।

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