मधुबनी एडीजे पर हमला मामले में पटना हाई कोर्ट की तल्ख टिप्पणी, सीआइडी में एसपी स्तर के अधिकारी करेंगे जांच
Patna High Court News हाईकोर्ट ने कहा- जरूरत पड़ी तो डीजीपी को भी बुलाएंगे पावर मिलने का मतलब यह नहीं कि कुछ भी कर सकते हैं। मधुबनी के एसपी की कार्यशैली ठीक नहीं। एसपी स्तर के अधिकारी से कराइए जांच
पटना, राज्य ब्यूरो। मधुबनी जिले के झंझारपुर कोर्ट के एडीजे पर पुलिस के हमले के मामले में पटना हाई कोर्ट गंभीर हो गया है। हाई कोर्ट के समक्ष बुधवार को झंझारपुर के एडिशनल डिस्ट्रिक्ट एन्ड सेशंस जज अविनाश कुमार - 1 पर किये गए कथित आक्रमण और मारपीट की घटना के मामले पर सुनवाई हुई। जस्टिस राजन गुप्ता व जस्टिस मोहित कुमार शाह की खंडपीठ ने उक्त कांड के अनुसंधान को राज्य के सीआइडी को सौंप दिया है। कोर्ट ने राज्य सरकार को कल तक अनुसंधान को सीआइडी को सौंपने का आदेश दिया है। अनुसंधान एसपी रैंक या इससे उच्च पुलिस अधिकारी से करवाने को कहा गया है। एडीजी इस मामले को सुपरवाइज करेंगे।
मधुबनी पुलिस का नहीं होगा हस्तक्षेप
कोर्ट ने माना है कि इस कांड के अनुसंधान में मधुबनी पुलिस का हस्तक्षेप नहीं होगा। कोर्ट ने आगे की कार्रवाई की रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में पेश करने को कहा है। वरीय अधिवक्ता मृग्यांक मौली को कोर्ट ने इस मामले में कोर्ट को सहयोग करने के लिए एमिकस क्यूरी नियुक्त किया है। कोर्ट का कहना था कि फिलहाल डीजीपी को कोर्ट में आने की जरूरत नहीं है, लेकिन जरूरत पड़ने पर बुलाया जाएगा। कोर्ट द्वारा मधुबनी के एसपी की कार्यशैली पर भी नाराजगी जताई गई। कोर्ट ने मौखिक रूप से तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि पावर मिलने का मतलब यह नहीं होता है कि कुछ भी कर सकते हैं।
18 नवंबर को हाई कोर्ट ने लिया था संज्ञान
सुनवाई के दौरान राज्य सरकार के महाधिवक्ता ललित किशोर ने मौखिक रूप से कहा कि राज्य में अराजकता जैसी कोई स्थिति नहीं है। उल्लेखनीय है कि मधुबनी के डिस्ट्रिक्ट एन्ड सेशंस जज द्वारा 18 नवंबर, 2021 को भेजे गए पत्र पर हाई कोर्ट ने 18 नवंबर को ही मामले पर स्वतः संज्ञान लिया था। पटना हाई कोर्ट ने 18 नवंबर को कहा था कि प्रथम दृष्टया ऐसा लगता है कि यह प्रकरण न्यायपालिका की स्वतंत्रता को खतरे में डालता है। अब इस मामले पर आगे की सुनवाई आगामी 8 दिसंबर को की जाएगी।