मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार पहुंचे तख्‍त श्रीहरिमंदिर, पटना में मनाया जा रहा गुरु गोविंद सिंह का जन्‍मोत्‍सव

Takht Shri Harimandir Sahib सिखों के लिए आज का दिन काफी खास है। आज पटना साहिब स्थित तख्‍त श्रीहरिमंदिर साहिब में सिखों के दसवें और आखिरी गुरु गोविंद सिंह का जन्‍मोत्‍सव मनाया जा रहा है। इस समारोह में भाग लेने के लिए मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार भी पहुंचे हैं।

By Shubh Narayan PathakEdited By: Publish:Wed, 20 Jan 2021 01:22 PM (IST) Updated:Wed, 20 Jan 2021 01:39 PM (IST)
मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार पहुंचे तख्‍त श्रीहरिमंदिर, पटना में मनाया जा रहा गुरु गोविंद सिंह का जन्‍मोत्‍सव
तख्‍त श्रीहर‍िमंदिर में पहुंचे मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार। जागरण

पटना, जागरण टीम। Praksah Parv of Guru Govind Singh: बिहार की राजधानी पटना (Patna Sahib) में सिखों के दसवें व आखिरी गुरु गोविंद सिंह जी के 354वें प्रकाशोत्‍सव में भाग लेने के लिए मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) भी पहुंचे हैं। दशमेश गुरु की जन्‍मस्‍थली तख्‍त श्रीहरिमंदिर (Takht Shri Harimandir) में उनका जन्‍मोत्‍सव काफी धूमधाम से मनाया जा रहा है। मुख्‍यमंत्री ने यहां आकर गुरु को नमन किया। उन्‍होंने प्रबंधक कमेटी से मिलकर तैयारियों और कार्यक्रम का हालचाल लिया। उन्‍होंने प्रशासन‍िक इंतजामों के बारे में भी फीडबैक हासिल किया। प्रकाशोत्‍सव में देश-विदेश के श्रद्धालु शिरकत कर रहे हैं। सभी ने प्रशासनिक इंतजामों पर संतोष जताया है।

भव्‍य तरीके से मनाया गया था 350वां प्रकाश पर्व

गुरु गोविंद सिंह का 350वां प्रकाश पर्व जबर्दस्‍त धूमधाम से मनाया गया था। इस आयोजन को सफल बनाने के लिए खुद मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार ने लगातार निगरानी की। उन्‍हीं के निर्देशन में ऐसा उत्‍सव मनाया गया कि देश-विदेश से आए सिख श्रद्धालु वाह-वाह कर उठे थे। 350वें प्रकाशोत्‍सव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी शिरकत किया था। इस आयोजन को अभी भी सिख श्रद्धालु याद करते हैं। इस उत्‍सव के जरिये बिहार के प्रति लोगों की धारणा बदलने में भी मदद मिली।

प्रकाश उत्‍सव के बाद बदल गई पटना सिटी की सूरत

350वें प्रकाश पर्व पर पटना सिटी यानी पटना साहिब में किए गए इंतजामों से इस इलाके की सूरत ही बदल गई है। पटना सिटी के कंगन घाट पर आजकल रमणिक नजारा देखने को मिल रहा है। आज तो यहां विशेष भीड़ दिख रही है। कहा जाता है कि गुरु गोविंद सिंह जी ने अपने बचपन में कंगन घाट के पास ही गंगा में एक कंगन फेंका। इसके बाद गंगा में कंगन ही कंगन दिखाई देने लगे। इसी वजह से इसे कंगन घाट कहा जाता है।

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