कश्मीर के बाद बंगाल चुनाव में भाजपा नेता शाहनवाज हुसैन को मिल सकती है बड़ी जिम्मेदारी
शाहनवाज हुसैन ने कश्मीर में कमल खिलाने में बड़ी भूमिका निभाई। बिहार के सीमांचल के भी बड़े चेहरे बन कर उभर सकते हैं । पश्चिम बंगाल के सौ से अधिक मुस्लिम बहुल सीटों पर भी शाहनवाज भाजपा का चेहरा हो सकते हैं। पढि़ए भाजपा की रणनीति पर डिटेल रिपोर्ट।
पटना, रमण शुक्ला । पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव (West Bengal Assembly polls) के पहले शाहनवाज हुसैन (Shahnawaz Hussain) को मुख्यधारा की राजनीति (mainstream Politics) में लाने के पीछे भाजपा (BJP) का मकसद व्यापक हो सकता है। बिहार के सीमांचल में तो वे कारगर हो ही सकते हैं, पश्चिम बंगाल में भी भाजपा उन्हें भुना सकती है, जहां करीब सौ से ज्यादा विधानसभा सीटों पर मुस्लिम मतदाताओं (Muslim voters) की अच्छी तादाद है। यही नहीं, 70 से अधिक सीटों पर तो निर्णायक स्थिति में हैं।
कश्मीर में कमल खिलाने में शाहनवाज की बड़ी भूमिका
कश्मीर (Kashmir) में जिला विकास परिषद (डीएलसी) चुनाव में बतौर सह प्रभारी शाहनवाज ने खुद को साबित भी किया है। कश्मीर में कमल खिलाने में बड़ी भूमिका निभाई। पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती (Mehbooba Mufti ) और फारूख अब्दुला (Farooq Abdullah) परिवार के अभेद दुर्ग में भाजपा ने पैठ बनाने में कामयाब रही है। अब सीमांचल में असदुद्दीन ओवैसी (Assuddin Owaisi) की पार्टी ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लिममीन ( AIMIM) की पांच सीटों पर कब्जे को भाजपा चुनौती के रूप में ले रही है।
बिहार में ही भाजपा अपने बूते सरकार नहीं बना पाई
दरअसल, हिंदी पट्टी के प्रदेशों में बिहार ही इकलौता ऐसा प्रांत है जहां भाजपा अभी तक अपने बूते सरकार नहीं बना पाई। शेष राज्यों में भाजपा झंडा गाड़ चुकी है। ऐसे में बतौर मुस्लिम चेहरा भाजपा बिहार में शाहनवाज हुसैन को आगे कर एक नई राजनीतिक प्रयोग करती दिख रही है। पार्टी पहले मुस्लिम बाहुल्य प्रदेशों जैसे जम्मू कश्मीर (Jammu and Kashmir) , पश्चिम बंगाल (West Bengal) , असम (Assam) और केरल (Keral) में मुस्लिम चेहरों को आगे करके जमीन तैयार करने का सफल प्रयोग करती रही है।
अहम यह है कि असम जैसे राज्य जहां भाजपा ने बहुत देर से प्रवेश किया वहां भी भाजपा अपने पैरों पर सरकार बनाने में कामयाब रही है। अब बंगाल को भेदने में जुटी है। पर, भाजपा को इस बात का मलाल है कि बिहार उन राज्यों में है जहां पूरी संभावना के बाजवूद भी पार्टी अभी तक दोयम दर्जे की राजनीती करने को मजबूर दिख रही है।
बिहार में भाजपा की नई फील्डिंग
अपने इसी द्वन्द को तोड़ते हुए भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने एक मजबूत कदम उठाते हुए एक ही झटके में बिहार में पूरी पार्टी को बदल दिया। पार्टी ने अपने पुराने सभी नेताओं को किनारे करते हुए नई फील्डिंग सजाई है।
भाजपा का नेतृत्व इस परिवर्तन का प्रयोग पूरे देश में पेश कर रही है। इस परिवर्तन के बाद अब विपक्षी दलों के सामने भाजपा को अल्पसंख्यक विरोधी करार देने में दिक्कत बढ़ेगी।
उधर, शाहनवाज के कंधे पर भी बड़ी चुनौती होगी की केंद्रीय नेतृत्व के उम्मीदों को पूरा करे। शाहनवाज को बिहार की राजनीति में तब उतारा जा रहा है जब उन्हेंं ना सिर्फ विपक्ष कांग्रेस और राजद से चुनौतियों का सामना करना है बल्कि जदयू से संबंधों के उतार चढ़ाव को भी सुनियोजित ढंग से पार पाना है।