पांच सौ रुपये के चंदे से शुरू हुआ था पटना आर्ट कॉलेज

आरंभ के दिनों से ही बिहार कला संस्कृति प्रेमी प्रदेश रहा है। बिहार राज्य की स्थापना के बाद यहां पर किसी प्रकार का कोई कला शिक्षा संस्थान नहीं था।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 16 Feb 2021 01:59 AM (IST) Updated:Tue, 16 Feb 2021 01:59 AM (IST)
पांच सौ रुपये के चंदे से शुरू हुआ था पटना आर्ट कॉलेज
पांच सौ रुपये के चंदे से शुरू हुआ था पटना आर्ट कॉलेज

पटना । आरंभ के दिनों से ही बिहार कला संस्कृति प्रेमी प्रदेश रहा है। बिहार राज्य की स्थापना के बाद यहां पर किसी प्रकार का कोई कला शिक्षा संस्थान नहीं था। यहां के युवा कला प्रेमी व्यक्तिगत रूप से पटना कलम के चित्रकारों से ही कला की बारीकियों से अवगत होते थे। आर्थिक रूप से संपन्न युवा कला शिक्षा के लिए कोलकाता, शांति निकेतन, मद्रास, लखनऊ और मुंबई चले जाते थे। इन सभी परिस्थितियों को देखते हुए पटना कलम के वरिष्ठ चित्रकार मुंशी महादेव लाल गुरु-शिष्य परंपरा की तहत कला शिक्षा देते थे। ऐसे में चित्रकार मुंशी महादेव लाल के शिष्य रहे राधामोहन प्रसाद ने गुरु की प्रेरणा से 25 जनवरी 1939 बसंत पंचमी के दिन कला विद्यालय की स्थापना पटना के गोविंद मित्रा रोड पर एक किराए के मकान में की थी। स्थापना काल से 82 बसंत देख चुका पटना आर्ट कॉलेज आज भी सूबे का मान बढ़ाने में लगा है।

शहर के नामचीन वकील

नागेश्वर प्रसाद ने की थी मदद

पटना आर्ट कॉलेज के पूर्व प्राचार्य व पद्मश्री प्रो. श्याम शर्मा की मानें तो राज्य में कला महाविद्यालय खोलने में उस समय के नामचीन वकील नागेश्वर प्रसाद का अहम योगदान रहा है। नागेश्वर प्रसाद उन दिनों यूरोप की यात्रा कर पटना लौटे थे। उन्होंने इंग्लैंड की कला संग्रहालयों, कला दीर्घाओं और कला शिक्षण संस्थानों के वर्णन को लेकर संगोष्ठी आयोजित की थी, जिसमें चित्रकार राधामोहन प्रसाद भी थे। राधामोहन प्रसाद ने नागेश्वर प्रसाद को कला विद्यालय खोलने को लेकर प्रारूप दिया था। नागेश्वर प्रसाद ने राधामोहन प्रसाद को पांच सौ रुपये विद्यालय खोलने को दिए थे।

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गोविंद मित्रा रोड पर किराये

के मकान भी चला था

प्रो. श्याम शर्मा ने बताया कि पटना संग्रहालय के क्यूरेटर एसए शेर, कलाकार श्यामलानंद, जेएन बनर्जी, देशरत्न डॉ. राजेंद्र प्रसाद, मुख्यमंत्री अनुग्रह नारायण सिंह, तत्कालीन शिक्षा मंत्री आचार्य बद्री नाथ वर्मा, शिक्षा सचिव जगदीश चंद्र माथुर ने विद्यालय के विकास में अपना योगदान दिया। गोविंद मित्रा रोड पर किराये के मकान पर चलने के बाद विद्यालय खुदाबख्श लाइब्रेरी के बगल में चला गया।

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राधामोहन प्रसाद बने थे कॉलेज

के पहले प्राचार्य

शिक्षा मंत्री व जीएस माथुर की प्रेरणा से विद्यापति मार्ग पर जमीन मिलने के बाद कॉलेज को 1957 में स्थानांतरित कर दिया। सरकार ने 1949 में अपने नियंत्रण में लिया और स्कूल ऑफ आ‌र्ट्स एंड क्राफ्ट के नाम पर डिप्लोमा कोर्स आरंभ कर दिया गया। 12 अप्रैल 1977 को कॉलेज को पटना विवि को हस्तांतरित कर दिया। राधामोहन प्रसाद कॉलेज के पहले प्राचार्य बने।

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कालांतर में यहां छापाकला

विभाग हुआ था प्रारंभ

कॉलेज स्थापित होने के बाद भारत के अन्य राज्यों के अलावा मॉरीशस, लॉओस, बांग्लादेश, थाईलैंड से भी छात्र आए। यहां पर बच्चों को चित्रकला के साथ मूर्तिकला, व्यवसायिक कला, शिल्प कला की शिक्षा दी जाने लगी। कालांतर में यहां छापाकला विभाग प्रारंभ हुआ। इसमें यहां के शिक्षक बटेश्वर नाथ श्रीवास्तव, वीरेश्वर भट्टाचार्य कला की उच्च शिक्षा के लिए विदेश भी गए।

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