बिहार में बीमार पड़ते बच्‍चों की वजह आई सामने, पटना के डाक्‍टरों ने बताया कोरोना की तीसरी लहर का खतरा

पटना के डाक्‍टरों ने बिहार में तेजी से बीमार हो रहे बच्‍चों की वजह बताई बोले- कोरोना की तीसरी लहर आई तो ऐसे बच्‍चों पर अधिक खतरा एनएफएचएस-5 सर्वे की रिपोर्ट के अनुसार चार साल में एक्यूट रेस्पेरेटरी इंफेक्शन व साथ में बुखार के मामले बढ़े

By Shubh Narayan PathakEdited By: Publish:Mon, 13 Sep 2021 06:48 AM (IST) Updated:Mon, 13 Sep 2021 06:48 AM (IST)
बिहार में बीमार पड़ते बच्‍चों की वजह आई सामने, पटना के डाक्‍टरों ने बताया कोरोना की तीसरी लहर का खतरा
कुपोषण के कारण बिहार में तेजी से बीमार हो रहे बच्‍चे। प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर

पटना, जागरण संवाददाता। बिहार में वायरल के कहर से बड़ी संख्या में बच्चों को अस्पतालों में भर्ती कराना पड़ा। हाल ये रहा कि नवजात व बच्चों के आइसीयू में जगह नहीं मिल रही थी। वहीं इससे करीब पांच गुना ज्यादा बच्चों का इलाज क्लीनिक में परामर्श लेकर घर पर इलाज चल रहा है। शिशु व कोरोना रोग विशेषज्ञ वायरल संक्रमण के अधिक गंभीर रूप में सामने आने का कारण कुपोषण को मान रहे हैं। उनके अनुसार कुपोषण से रोग प्रतिरोधक क्षमता और कम हो जाती है। यही नहीं गंभीर रूप से कुपोषित बच्चे शरीर की आंत, नाक, त्वचा व गले में पाए जाने वाले अच्छे बैक्टीरिया और वायरस से भी संक्रमित हो जाते हैं। 2019-20 के नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-5 के आंकड़ों के अनुसार प्रदेश में पांच वर्ष से कम उम्र के 41 फीसद बच्चों का वजन कम था। वहीं 42.9 फीसद बच्चों की लंबाई उम्र के अनुसार काफी कम थी।

ज्यादा दिन कुपोषित रहने पर उम्र के अनुरूप नहीं बढ़ती लंबाई

इंडियन एसोसिएशन आफ पीडियाट्रिक की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य शिशु रोग विशेषज्ञ डा. बीरेंद्र कुमार सिंह के अनुसार बच्चों में कमजोर होती रोग प्रतिरोधक क्षमता का कारण उन्हें छह माह बाद मां के दूध के साथ अन्य पौष्टिक आहार नहीं मिलना है। यदि लंबे समय तक पौष्टिक आहार नहीं मिलता तो उम्र के अनुरूप उनकी लंबाई भी नहीं बढ़ती। उमस भरी गर्मी में जब वायरस व बैक्टीरिया के कारण सामान्य सर्दी-खांसी या फ्लू के मामले बढ़ते हैं, तो ऐसे बच्चों में इनके गंभीर लक्षण सामने आते हैं।

जानकारी का अभाव बड़ा कारण

एम्स में कोरोना के नोडल पदाधिकारी डा. संजीव कुमार के अनुसार यदि तीसरी लहर आई तो कुपोषित बच्चों में गंभीर लक्षण सामने आ सकते हैं। इसमें अभिभावकों को सचेत होना होगा। छह माह से अधिक उम्र के बच्चों को मां के दूध के साथ अर्ध तरल खाद्य सामग्री जैसे दाल का पानी, खिचड़ी, दलिया, मसल कर मौसमी फल, सब्जियों का सूप आदि देना चाहिए।

कुपोषण के मानक -- एनएफएचएस-4 (2015-16) फीसद -- एनएफएचएस-5  (2019-20 )फीसद में

5 वर्ष से कम उम्र के बच्चे जिनका वजन कम, 43.9 -- 41 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चे जिनका लंबाई कम, 48.3-- 42.9 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चे जिनकी ऊंचाई व वजन दोनों कम, 7--- 8.8 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चे जिनका वजन अधिक, 1.2--- 2.4

सांस का संक्रमण,   2.5--   3.5 सांस के संक्रमण के साथ बुखार, 59.8------ 64.4 डायरिया रोग से पीडि़त,  10.4--- 13.7 छह से 59 माह तक के बच्चे जिनमें खून की कमी    63.5 ---   69.7

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