पटना एम्स में एआइएस की शिकार कोरोना संक्रमित बच्ची हुई स्वस्थ
नलिनी रंजन पटना। वैसे तो कोविड संक्रमित बच्चों में दिमागी परेशानी नहीं होती है लेकिन अि
नलिनी रंजन, पटना। वैसे तो कोविड संक्रमित बच्चों में दिमागी परेशानी नहीं होती है, लेकिन अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में पहली बार आर्टेरियल इस्केमिक स्ट्रोक (एआइएस) की शिकार नौ वर्षीया कोरोना संक्रमित बच्ची को इस बीमारी से निजात दिलाया गया है। विश्व में यह पहला विलक्षण केस बताया जा रहा है। इस बीमारी में दिमाग की नसें जाम हो जाती हैं जिससे मरीज लकवाग्रस्त हो जाता है।
एम्स के शिशु विभागाध्यक्ष डॉ. लोकेश कुमार तिवारी के निर्देशन में पटना की एआइएस से जूझ रही बच्ची का दो महीने तक उपचार किया गया और स्वस्थ होने पर उसे डिस्चार्ज किया गया। सितंबर में मरीज के स्वजन उसका दायां हाथ-पैर काम नहीं करने के कारण एम्स लेकर आए थे। उस समय कोविड का लक्षण नहीं था। लेकिन, एडमिट करने के बाद डॉक्टरों ने जांच कराई तो वह पॉजिटिव निकली। धीरे-धीरे उसकी स्थिति गंभीर हो गई। वह एक महीने आइसीयू और इसके बाद 12 दिन वेंटिलेटर पर रही।
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हार्ट अटैक के साथ मल्टी ऑर्गन फेल्योर :
डॉ. लोकेश ने बताया, डब्ल्यूएचओ के अनुसार पीडियाट्रिक्स मल्टी सिस्टम इंफेमिट्री सिंड्रोम (पीएमआइएस) के अब तक 662 केस डिटेक्ट हुए हैं। इसमें आर्टियल इसकेमिक स्ट्रोक (एआइएस) का विश्व में पहला केस एम्स में डिटेक्ट हुआ है। इसे अमेरिकन जर्नल लेंसेट ने प्रमुखता से प्रकाशित किया है। साधारणत: बच्चों में कोविड के साथ एआइएस के मामले डिटेक्ट नहीं होते हैं। इसमें दिमाग की नसों में रक्त का संचार रुक जाता है। लकवा जैसी स्थिति हो जाती है। इस बच्ची में बीच में हार्ट अटैक के साथ पीएमआइएस का भी असर देखने को मिला। बच्ची को कई स्टेरॉयड के साथ रेमेडिसीवर दवा भी देना पड़ी। दो महीने के उपचार के बाद मरीज के पूर्णरूप से स्वस्थ होने पर उसे घर भेजा गया।
अब तक 140 बच्चे कोविड के शिकार होकर हुए भर्ती :एम्स में कोरोना संक्रमण के शिकार 140 बच्चों का अब तक भर्ती कर उपचार किया गया। इसमें सभी बच्चे स्वस्थ होकर अपने घर लौट चुके हैं। एम्स में पीडियाट्रिक्स विभाग के डॉक्टर बच्चों के उपचार में जुटे हैं।
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कोट ::
शिशु विभाग में पीएमआइएस की शिकार बच्ची को भर्ती किया गया था। उसमें पहली बार आर्टियल इसकेमिक स्ट्रोक (एआइएस) के मामले सामने आए, जो पूरे विश्व के सामने एक नई बीमारी बनकर उभरी है। डब्ल्यूएचओ ने भी इसे स्वीकार किया है।
- डॉ. पीके सिंह, निदेशक, पटना एम्स।