पैरों की धूल से कोरोना समेत कई संक्रमण का राज खोलेगा पटना एम्स, ऐसे होगी जांच

एम्स पटना पैरों की धूल से कोरोना समेत किस-किस प्रकार के संक्रमण फैल सकते हैं इस पर शोध करेगा। जानें कैसे आप ले सकेंगे इस थेरेपी से लाभ।

By Akshay PandeyEdited By: Publish:Thu, 04 Jun 2020 09:23 AM (IST) Updated:Thu, 04 Jun 2020 09:23 AM (IST)
पैरों की धूल से कोरोना समेत कई संक्रमण का राज खोलेगा पटना एम्स, ऐसे होगी जांच
पैरों की धूल से कोरोना समेत कई संक्रमण का राज खोलेगा पटना एम्स, ऐसे होगी जांच

पटना, जेएनएन। पैरों की धूल से कोरोना समेत किस-किस प्रकार के संक्रमण फैल सकते हैं, एम्स पटना इस पर शोध करेगा। इस शोध के लिए निदेशक डॉ. पीके सिंह के नेतृत्व में माइक्रोबायोलॉजी के विभागाध्यक्ष डॉ. विनोद कुमार पति, डॉ. असिम सरफराज और ट्रॉमा विभागाध्यक्ष डॉ. अनिल कुमार ने एक सैनिटाइजिंग ट्रे बनाई है। इस ट्रे को आइपीडी के दोनों द्वार, ओपीडी, ट्रामा और प्रशासनिक भवन के प्रवेश द्वार पर लगाया गया है। पायलट प्रोजेक्ट रिसर्च में शामिल डॉक्टरों के अनुसार सैनिटाइजिंग ट्रे पर से गुजरने पर न केवल कोरोना से बचाव होगा बल्कि पैरों से फैलने वाले अन्य संक्रमणों की खोज में भी सहायता होगी।

कोरोना जैसे संक्रमणों से सुरक्षित रहेगा संस्थान

डॉ. प्रभात कुमार सिंह ने बताया कि उपरोक्त प्रवेश द्वारों पर 9 फीट लंबी 3 फीट चौड़ी ट्रे बनाकर उसमें इतना ही बड़ा स्पंज रखा गया है। इसमें 9 भाग पानी और एक भाग सोडियम हाइपोक्लोराइट केमिकल डाला जाता है। इतनी ही मात्रा में पानी डाला जाता है कि सिर्फ पैरों का निचला हिस्सा ही गीला हो सके।

इमरजेंसी व ट्रॉमा विभागाध्यक्ष डॉ. अनिल कुमार ने बताया कि इस ट्रे में चलने से कोविड-19 बीमारी के वायरस यदि पैर और जूते-चप्पल में लगे भी होंगे तो नष्ट हो जाएंगे। इससे संस्थान में किसी तरह के संक्रमण का डर नहीं रहेगा।

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नए संक्रमणों की क्षेत्रवार जानकारी से रोकथाम में मिलेगी मदद

सैनिटाइजिंग ट्रे में चलने से पहले और बाद में पैरों की धूल आदि का नमूना लिया जाएगा। ट्रे से गुजरने वाले व्यक्ति का नाम-पता और जिस रास्ते से वह पैदल या वाहन से आया है, उसका ब्योरा लिया जाएगा। इससे क्षेत्रवार संक्रमण और उसके प्रकार के बारे में जानकारी मिल सकेगी। अगर किसी नए संक्रमण की जानकारी मिलती है तो उस पर शोध व रोकथाम में क्षेत्रवार हिस्ट्री से काफी फायदा होगा।

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