कुत्तों के लिए हवा में तैर रही मौत, उल्टी के साथ शुरू होते हैं 'पार्वो' के लक्षण; फिर जाती है जान

बिहार में पार्वो बीमारी के लक्षण देखे जा रहे हैं। चाहे घर में पाले जाने वाले पालतू स्वान हो या सड़कों पर रहने वाले। सभी में यह बीमारी काफी तेजी से फैल रही है। देखरेख के अभाव में कई श्वानों की मौत हो जा रही है।

By Akshay PandeyEdited By: Publish:Thu, 28 Jan 2021 11:41 AM (IST) Updated:Thu, 28 Jan 2021 11:41 AM (IST)
कुत्तों के लिए हवा में तैर रही मौत, उल्टी के साथ शुरू होते हैं 'पार्वो' के लक्षण; फिर जाती है जान
राजधानी सहित राज्य के अधिकांश इलाकों में पार्वो बीमारी के लक्षण देखे जा रहे हैं।

जागरण संवाददाता,  पटना: राजधानी सहित राज्य के अधिकांश इलाकों में 'पार्वो' बीमारी के लक्षण देखे जा रहे हैं। घर में पाले जाने वाले पालतू स्वान के साथ सड़कों पर रहने वाले स्वान में यह बीमारी काफी तेजी से फैल रही है। देखरेख के अभाव में कई श्वानों की मौत हो जा रही है। चिकित्सक भी इस बीमारी को लेकर काफी सशंकित हैं। राजधानी की वरिष्ठ पशु चिकित्सक तथा पशु उत्पादन एवं अनुसंधान संस्थान के पूर्व निदेशक डॉ. अजीत कुमार का कहना है कि राजधानी में काफी तेजी से श्वानों में 'पार्वो' की बीमारी पैर प्रसार रही है। प्रतिदिन 100 से अधिक श्वान इस बीमारी के चपेट में आ रहे हैं। राजधानी में सबसे ज्यादा श्वान इस बीमारी के चपेट में आ रहे हैं। ठंड इस बीमारी को और बढ़ावा दे रहा है।

संक्रमण जनित है यह बीमारी 

पशु चिकित्सकों का कहना है कि यह बीमारी संक्रमण जनित है, जो हवा के माध्यम से एक जगह से दूसरी जगह फैल रही है। संक्रमण की चपेट में जैसे ही कोई श्वानआता है। वह उल्टी करने लगता है। खून का दस्त शुरू हो जाता है। जानवर को बुखार आने लगता है। खून की कमी या बुखार से श्वान की मौत हो जा रही है। 

टीकाकरण बीमारी से बचाव का सबसे सशक्त माध्यम

पशु चिकित्सकों का कहना है कि इस बीमारी से बचाव के लिए टीकाकरण जरूरी है। तीन टीका लगवाना हर श्वान के लिए जरूरी है। यह बीमारी से बचाव के लिए लगाए जाते हैं। स्वान का नियमित टीकाकरण कर दिया जाए तो इस बीमारी से बहुत हद तक बचाया जा सकता है। ठंड से फिलहाल काफी संख्या  में संक्रमण बढ़ गया है। ऐसे में मालिकों को बेहद सावधान रहने की जरूरत है। अपने श्वान को घर के अंदर ही संभाल कर रखें । 

श्वान से आदमी में नहीं फैलती बीमारी

पशु चिकित्सकों ने स्पष्ट किया है कि पार्वो बीमारी श्वान से मानव में फैलने वाली नहीं है। इस बीमारी से मानव पूरी तरह से सुरक्षित है, लेकिन सावधानी बरतनी बहुत जरूरी है। स्वान में जैसे ही पार्वो बीमारी का लक्षण दिखाई दें यानी बुखार का लक्षण दिखाई दे, उल्टी करें तो तत्काल पशु चिकित्सक से संपर्क करने की जरूरत है। यह श्वान के लिए अत्यंत घातक बीमारी मानी जाती है। खासकर श्वान के छोटे बच्चों के लिए। दो से चार माह के बच्चे इस बीमारी के चपेट में आसानी से आ जाते हैं, उन्हीं की सर्वाधिक मौतें भी हो रही हैं। पशुपालकों की सावधानी से इस बीमारी पर नियंत्रण स्थापित किया जा सकता है।

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