निकल पड़े तो फिर मुड़ना क्या, कड़ी धूप में चलना होगा

बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन में कार्यक्रम आयोजित

By Edited By: Publish:Tue, 14 May 2019 01:28 AM (IST) Updated:Tue, 14 May 2019 01:28 AM (IST)
निकल पड़े तो फिर मुड़ना क्या, कड़ी धूप में चलना होगा
निकल पड़े तो फिर मुड़ना क्या, कड़ी धूप में चलना होगा
पटना। 'निकल पड़े तो फिर मुड़ना क्या, कड़ी धूप में चलना होगा, आग उगलती लू-लपटों में खुशी-खुशी मन जलना होगा, एक घना साया बादल का हो सिर पर, यह तो नामुमकिन, अपने बूते अपने ही बल आगे तुम्हें निकलना होगा' कविता की इन पंक्तियों पर ओम प्रकाश पांडेय को उपस्थित श्रोता समूह और साथी कवियों की भरपूर दाद मिली। ऐसी ही एक से बढ़कर एक रचनाओं की प्रस्तुति से बिहार ¨हदी साहित्य सम्मेलन का सभागार सोमवार को गुलजार रहा। काव्य गोष्ठी में साहित्यकारों ने अपनी रचनाओं को पेश कर सभी का ध्यान आकर्षित किया। मौका था बिहार ¨हदी सम्मेलन की ओर से कवि पंडित शिवदत्त मिश्र की पुण्य-स्मृति पर काव्य गोष्ठी के आयोजन का। पंडित शिवदत्त मिश्र के व्यक्तित्व पर प्रकाश डालते हुए वरिष्ठ साहित्यकार और भूपेंद्र नारायण मंडल विवि मधेपुरा के पूर्व कुलपति प्रो. अमरनाथ सिन्हा ने कहा कि पंडित मिश्र का व्यक्तित्व आदरणीय था। वे लोक-कल्याण के सभी कार्य अपनी पूरी निष्ठा से और पूरा मन-प्राण लगा कर करते थे। यही गुण उनके साहित्य में भी दिखाई देता है। सम्मेलन के उपाध्यक्ष नूपेंद्र नाथ गुप्त ने कहा कि मिश्र में आध्यात्मिक चिंतन होने के साथ लोक-कल्याण की भावना भी थी। वे संकल्प के धनी और अपने उद्देश्यों की पूर्ति हेतु किसी भी तरह का बलिदान देने के लिए तत्पर रहते थे। वे संकटों में भी मुस्कुराने वाले वे एक विरल व्यक्तित्व थे। सम्मेलन के अध्यक्ष डॉ. अनिल सुलभ ने कहा कि पंडित मिश्र धर्म और अध्यात्म में उनकी गहरी अभिरूचि थी। अध्यात्म पर लिखी पुस्तक 'कैवल्य' एक अत्यंत मूल्यवान रचना है, जिसमें उनकी आध्यात्मिक दृष्टि और ज्ञान का परिचय मिलता है। इनकी पुस्तक का विमोचन पुरी के शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती ने किया था। सम्मेलन में डॉ. मधु वर्मा, डॉ. मेहता नगेंद्र सिंह, अमियनाथ चटर्जी, डॉ. विनय विष्णुपुरी, आभा ठाकुर, अनिता मिश्र ने अपने विचार दिए। पुण्य स्मृति के मौके पर कवि गोष्ठी के दौरान अनेक रचनाकारों ने अपनी रचनाएं पेश कर सभी का ध्यान आकर्षित किया। गोष्ठी का आरंभ पंडित मिश्र की पत्‍‌नी चंदा मिश्र ने किया। शायर ओम प्रकाश ने 'दिल बिछा लेने दो फूलों की तो मस्ती होगी' ओम प्रकाश पांडेय ने 'छूना तो नजाकत से एक बार मेरे दिल को' सुलभ ने ' वह किनारा कर गया तो सब किनारे हो गए' डॉ. मेहता नगेंद्र, बच्चा ठाकुर, राज कुमार प्रेमी, डॉ. दिनेश दिवाकर, आचार्य आनंद किशोर शास्त्री, संजू शरण आदि ने अपनी रचनाएं पेश की। मंच का संचालन योगेंद्र प्रसाद मिश्र तथा धन्यवाद ज्ञापन कृष्णरंजन सिंह ने किया।

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