बच्चों के जोड़ो में सात दिन से अधिक दर्द-सूजन खतरनाक

बच्चों के जोड़ों में सात दिन से अधिक समय से सूजन व दर्द की अनदेखी जीवन भर की दिव्यांगता के रूप में सामने आ सकती है। कुछ मामलों में यह कैंसर की शुरुआत हो सकती है।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 12 Oct 2021 08:36 PM (IST) Updated:Tue, 12 Oct 2021 08:36 PM (IST)
बच्चों के जोड़ो में सात दिन से अधिक दर्द-सूजन खतरनाक
बच्चों के जोड़ो में सात दिन से अधिक दर्द-सूजन खतरनाक

पटना । बच्चों के जोड़ों में सात दिन से अधिक समय से सूजन व दर्द की अनदेखी जीवन भर की दिव्यांगता के रूप में सामने आ सकती है। कुछ मामलों में यह कैंसर की शुरुआत हो सकती है। कुछ संक्रमण का सही इलाज नहीं होने से शरीर में बनने वाले कुछ एंटीबाडी या आनुवंशिक कारणों से होने वाला जुवेनाइल इडियोपैथिक आर्थराइटिस ( जेआइए) इसका कारण है। यदि लक्षण उभरते ही इलाज कराया जाए तो दवाओं-फिजियोथेरेपी व पौष्टिक आहार से इसे ठीक किया जा सकता है। देर करने पर यह चार या इससे अधिक अंगों को प्रभावित कर सकता है, उसे पाली जुवेनाइल इडियोपैथिक आर्थराइटिस कहते हैं। यह आर्थराइटिस बच्चों में एनीमिया, ग्लूकोमा, मोतियाबिद, बुखार, लिवर बढ़ने आदि का भी कारण बन सकता है। ये बातें मंगलवार को आइजीआइएमएस में विश्व आर्थराइटिस दिवस पर आयोजित सीएमई में शिशु रोग के विभागाध्यक्ष डा. मनीष कुमार ने कहीं। इसके पूर्व समाज कल्याण मंत्री मदन सहनी, निदेशक डा. एनआर विश्वास व अन्य विभागाध्यक्ष ने संयुक्त रूप से सीएमई का उद्घाटन किया।

समाज कल्याण मंत्री मदन सहनी ने कहा कि मैंने देखा है कि गठिया इंसान को अल्पकाल और इलाज नहीं होने पर स्थायी रूप से विकलांग बना देता है। समाज कल्याण विभाग दिव्यांगों के बेहतर इलाज, प्रशिक्षण व उनकी सामाजिक भागीदारी सुनिश्चित कराने के साथ दिव्यांगता को रोकने के लिए संकल्पित है। चिकित्साधीक्षक डा. मनीष मंडल व डा. कृष्ण गोपाल ने अल्ट्रासाउंड से आर्थराइटिस की जल्द पहचान, गाइडेड साफ्ट टिश्यू, जोड़ों व नस ब्लाकेज को इंजेक्शन से दूर करने जैसी अंतरराष्ट्रीय इलाज सुविधाओं के संस्थान में होने की जानकारी दी। निदेशक डा. एनआर विश्वास व डीन प्रोफेसर डा. वीएम दयाल व प्रोफेसर राघवेंद्र ने ऐसे कार्यक्रमों और ट्रेनिग को बढ़ावा देने के साथ संस्थान में जल्द रीजनल सेंटर आफ आर्टिफिशियल लिब एंड गेट स्टडीज निर्माण पर जोर दिया। ताकि, यहां अल्प व दीर्घकालीन दिव्यागंता में शोध, ट्रेनिग फार ट्रेनर समेत रोगियों का विश्वस्तरीय इलाज व रिहैबलिटेशन किया जा सके।

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आरामदेह जीवनशैली के कारण आस्टियोआर्थराइटिस सबसे आम

पीएमआर के डा. गणेश कुमार ने बताया कि बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक में सैकड़ों प्रकार के गठिया होते हैं। मोटापे, गलत खानपान, चोट व आरामदेह जीवनशैली के कारण आस्टियोआर्थराइटिस सबसे आम है। आर्थराइटिस, शरीर के विभिन्न अंगों को प्रभावित करता है। ऐसे में व्यस्कों को चाहिए कि अगर लगातार एक माह से जोड़ों में दर्द या सूजन हो तो तुरंत आर्थराइटिस विशेषज्ञ या पीएमआर विशेषज्ञ से परामर्श करना चाहिए।

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गठिया रोगियों की

किडनी जांच जरूरी

नेफ्रोलाजी के विभागाध्यक्ष डा. ओम कुमार ने गठिया रोगियों की किडनी जांच की उपयोगिता और रेडिएशन ओंकोलाजी के विभागाध्यक्ष डा. राजेश कुमार सिंह ने कैंसर संबंधी रोगों की स्क्रीनिग की जरूरत पर प्रकाश डाला। आयोजन के अध्यक्ष फिजिकल मेडिसिन व रिहैबिलिटेशन विशेषज्ञ डा. राजकुमार ने अल्ट्रासाउंड से गठिया को जल्द पकड़ने की विधि, आस्टियो व रह्यूमेटाइड आर्थराइटिस की जटिलताओं से निजात के तरीकों की जानकारी दी।

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कार्यक्रम में मौजूदगी

कार्यक्रम में डा. राजीव रंजन, डा. बीपी सिंह, डा. राजेश कुमार, डा. जयंत प्रकाश, डा. आनंद कुमार गुप्ता, डा. संतोष कुमार व डा. कांति, डा. संजय कुमार, डा. संजन कुमार सुमन, डा. मनीष शंकर मुख्य थे। डा. सुधीर कुमार कार्यक्रम के चेयरपर्सन थे।

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