Republic Day Padma Shri Award: 94 साल की उम्र में भी थिरकते हैं भोजपुरी के शेक्सपियर रामचंद्र मांझी के कदम

Republic Day Padma Shri Award बिहार के रामचंद्र मांझी को 94 वर्ष की उम्र में केंद्र सरकार ने पद्मश्री अवार्ड देने का एलान किया तो उनकी आंखें छलक आईं। खबर फैलते ही छपरा में लोक कलाकारों के साथ लोगों ने उनके घर पहुंचकर बधाइयां दीं।

By Akshay PandeyEdited By: Publish:Tue, 26 Jan 2021 07:55 AM (IST) Updated:Wed, 27 Jan 2021 08:36 AM (IST)
Republic Day Padma Shri Award: 94 साल की उम्र में भी थिरकते हैं भोजपुरी के शेक्सपियर रामचंद्र मांझी के कदम
सारण जिले के नगरा, तुजारपुर के रहने वाले रामचंद्र मांझी। जागरण आर्काइव।

राजीव रंजन, छपरा। Republic Day Padma Shri Award भोजपुरी के शेक्सपियर कहे जाने वाले लोक कलाकार भिखारी ठाकुर के साथ काम कर चुके रामचंद्र मांझी चर्चित लोक कलाकार रहे हैं। 94 वर्ष की उम्र में उन्हेंं केंद्र सरकार ने सोमवार को पद्मश्री अवार्ड देने का एलान किया तो उनकी आंखें छलक आईं। खबर फैलते ही छपरा में लोक कलाकारों के साथ लोगों ने उनके घर पहुंचकर बधाइयां दीं। 

भिखारी ठाकुर के शिष्य लोक कलाकार रामचंद्र मांझी सारण जिले के नगरा, तुजारपुर के रहने वाले हैं।  मांझी को संगीत नाटक अकादमी अवार्ड 2017 से भी नवाजा जा चुका है। उन्हेंं राष्ट्रपति ने प्रशस्ति पत्र के साथ एक लाख रुपये की पुरस्कार राशि भेंट की थीं। रामचंद्र मांझी 94 वर्ष के होने पर भी आज मंच पर जमकर थिरकते और अभिनय करते हैं। लौंडा नाच के लिए प्रसिद्ध भिखारी ठाकुर की मंडली के अंतिम कलाकार रामचंद्र मांझी ने बताया कि उन्होंने भिखारी ठाकुर के दल में 10 वर्ष की उम्र में ही इंट्री पा ली थी। 1971 तक भिखारी ठाकुर के नेतृत्व में काम किया और उनके मरणोपरांत गौरीशंकर ठाकुर, शत्रुघ्न ठाकुर, दिनकर ठाकुर, रामदास राही और प्रभुनाथ ठाकुर के नेतृत्व में काम कर चुके हैं। 

लोक कलाकार को सरकार ने दिया बड़ा सम्मान

मांझी ने खुशी जाहिर करते हुए कहा कि उनके जैसे लोक कलाकार को सरकार ने बड़ा सम्मान दिया है। केंद्रीय संगीत नाटक अकादमी द्वारा इसके पूर्व रामचंद्र मांझी को लोक रंगमंच पुरस्कार हेतु चयनित किया गया था। यह अकादमी पुरस्कार 1954 से हर साल रंगमंच, नृत्य, लोक संगीत, ट्राइबल म्यूजिक सहित कई अन्य क्षेत्रों में दिया जाता है। जिसके लिए हर साल देश भर से कलाकारों का चयन होता है। 

विधा को जिंदा रखना जरूरी

उन्होंने कहा कि आज भिखारी ठाकुर द्वारा चर्चित लोक नृत्य जिसे लौंडा नाच कहा जाता है, हाशिए पर खड़ा है। गिनी-चुनी मंडलियां ही बची हैं, जो इस विधा को जिंदा रखे हुए हैं, लेकिन उनका भी हाल खस्ता ही है। नाच मंडली में अब बहुत कम ही कलाकार बचे हैं। जबकि बिहार में आज भी लोग इसे पसंद करते हैं। भिखारी ठाकुर रंगमंडल के संयोजक जैनेंद्र दोस्त द्वारा गठित रंगमंडल में आज भी कई आयोजनों में रामचंद्र मांझी अभिनय करते नजर आते हैं।

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