बिहार में धान खरीद की रफ्तार सुस्त, खरीद एजेंसियों को नमी में कमी का इंतजार

बिहार में अगेती धान खेतों से कटकर घरों में आने लगे हैं। सरकार के दावे के विपरीत जमीनी स्तर पर तैयारी नहीं है। खरीद एजेंसियों की मनमानी है। धान में 17 फीसद से ज्यादा नमी के चलते तरह-तरह के बहाने कर खरीदने से कन्नी काट रही हैैं।

By Akshay PandeyEdited By: Publish:Mon, 30 Nov 2020 04:34 PM (IST) Updated:Mon, 30 Nov 2020 04:34 PM (IST)
बिहार में धान खरीद की रफ्तार सुस्त, खरीद एजेंसियों को नमी में कमी का इंतजार
बिहार में धान खरीद की रफ्तार सुस्त हो गई है।

राज्य ब्यूरो, पटना। बिहार में अगेती धान खेतों से कटकर घरों में आने लगे हैं। संग्रहण के संसाधनों की कमी है। सरकार के दावे के विपरीत जमीनी स्तर पर तैयारी नहीं है। खरीद एजेंसियों की मनमानी है। धान में 17 फीसद से ज्यादा नमी के चलते तरह-तरह के बहाने कर खरीदने से कन्नी काट रही हैैं। इसलिए किसानों के सामने खेत-खलिहान से ही अपनी मेहनत की कमाई को बिचौलियों के हाथ औने-पौने दाम में बेच देने की मजबूरी है। सरकार ने ए ग्रेड के धान का 1888 रुपये प्रति क्विंटल समर्थन मूल्य तय किया है। साधारण धान का मूल्य 1868 रुपये क्विंटल है। 

धान खेतों से आने लगे हैैं। किंतु बिक्री की रफ्तार बहुत सुस्त है। सहकारिता विभाग के आंकड़े ही सच्चाई बयान कर रहे हैैं। प्रदेश में 23 नवंबर से धान की खरीदारी शुरू हो चुकी है। सभी जिला अधिकारियों को खरीद प्रक्रिया की निगरानी और समुचित व्यवस्था करने की हिदायत दी गई है। इसके लिए जिले मेें अपर समाहर्ता स्तर के अधिकारी की पूर्णकालिक ड्यूटी लगा दी गई है। कागजों में रोज निगरानी हो रही है, लेकिन हकीकत है कि सात दिनों में ढाई सौ क्विंटल भी खरीदारी नहीं की जा सकी है, जबकि लक्ष्य है 30 लाख मीट्रिक टन का। लापरवाही साफ दिख रही है।

फैक्ट फाइल

अभी तक निबंधन : 88317

रैयत : 51788

गैर रैयत : 36529

पैक्स के लिए आवेदन : 82470

व्यापार मंडल के लिए आवेदन : 5847

स्वीकृत आवेदन : 34766

लंबित आवेदन : 53551

अस्वीकृत आवेदन : 05

खरीद की स्थिति (30 नवंबर तक)

जिला : किसान : मात्रा (मीट्रिक टन में)

मुंगेर : 26 : 193.41

भोजपुर : 2 : 14.20

बक्सर : 2 : 15.00

नालंदा : 2 : 9.80

वैशाली : 2 : 10.10

कुल : 242.51 

किसानों के सामने कई तरह की मजबूरियां

किसानों के सामने कई तरह की मजबूरियां हैैं। किसी को बेटी की शादी करनी है तो किसी को कर्ज भरने हैैं। किसी को खेत खाली करके गेहूं की बुआई भी करनी है। बीज के लिए पैसे चाहिए। ऐसे में स्थानीय व्यापारी और बिचौलिए की शरण में जाने के अलावा दूसरा साधन नहीं है। 

मानसून अच्छा होने से धान की उपज भी बेहतर

इस बार मानसून अच्छा था। धान की उपज भी अच्छी हुई है। पिछले साल की तुलना में निबंधन कराने वाले किसानों की संख्या भी तेजी से बढ़ रही है। खरीद प्रक्रिया में सुस्ती का आलम यह है कि सोमवार दोपहर तक 88 हजार 317 निबंधन हो चुके हैैं। इनमें से मात्र 34 हजार 766 आवेदनों का ही सत्यापन हो सका है। बाकी 53 हजार से ज्यादा आवेदनों का सत्यापन अभी बाकी है। अब खरीदारी की स्थिति पर भी गौर करने लायक है। सात दिनों में मात्र 26 किसानों से 245 मीट्रिक टन धान की ही खरीदारी हो सकी है। जाहिर है, लीपापोती हुई तो किसानों को नुकसान और बिचौलियों का मालामाल होना तय है। 

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