धान खरीद प्रक्रिया की पोल खोल रहे गोपालगंज के आंकड़े, 15 दिनों में लक्ष्य का केवल एक फीसद लिया गया धान
गोपालगंज मिले में अबतक महज 790 एमटी हुई धान की खरीद सुस्ती में फंसा अभियान 70 हजार मीट्रिक टन जिले में निर्धारित किया गया है धान खरीद का लक्ष्य 197 पैक्स व व्यापार मंडल से जिले में खरीदी जा रही धान
गोपालगंज, जागरण संवाददाता। पैक्स व व्यापार मंडल के माध्यम से धान क्रय का अभियान अबतक महज कागजी साबित हुआ है। धान क्रय का अभियान शुरु हुए 15 दिन की अवधि पूरी हो चुकी है। लेकिन इस अभियान में अबतक महज 790 मीट्रिक टन धान का क्रय होना अभियान की विफलता की कहानी बता रहा है। स्थिति यह है कि अबतक लाइसेंस प्राप्त सभी पैक्स धान का क्रय शुरू भी नहीं कर सके हैं। 15 नवंबर से जिले में धान क्रय का अभियान शुरू किया गया। इस अभियान के लिए जिले में 70 हजार मीट्रिक टन धान की खरीद का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। यह धान जिले में स्थित 197 पैक्सों तथा व्यापार मंडल के माध्यम से खरीदे जाने का निर्णय लिया गया। अभियान की शुरुआत के समय से ही इस कार्य में सुस्ती प्रारंभ हो गई।
धान खरीद अभियान उद्घाटन के बाद धान की खरीद में सुस्ती का आलम यह रहा कि शुरुआती 15 दिनों में पूरे जिले में महज 790 एमटी धान की खरीद हो सकी है। यह जिले में कुल लक्ष्य का 1.13 प्रतिशत ही है। ऐसे में 15 फरवरी तक चलने वाले इस अभियान में धान क्रय का लक्ष्य प्राप्त होने की संभावना दूर-दूर तक नजर नहीं आ रही है। विभागीय स्तर पर धान क्रय में लापरवाही का आलम यह है कि लाइसेंस प्राप्त सभी पैक्सों में अबतक धान की खरीद का कार्य भी प्रारंभ नहीं हो सका है। जिला सहकारिता अधिकारी रामनरेश पांडेय ने बताया कि जिले में धान की खरीद में तेजी लाने का निर्देश दिया गया है। सभी पैक्स व व्यापार मंडल को निर्धारित लक्ष्य को ध्यान में रखकर धान खरीद का निर्देश दिया गया है।
कई व्यापार मंडल में भी नहीं शुरू हुई धान खरीद
धान की खरीद में इस साल व्यापार मंडल काफी पीछे दिख रहा है। आंकड़े बताते हैं कि वर्तमान वित्तीय वर्ष में व्यापार मंडल के माध्यम से 16 हजार मीट्रिक टन धान की खरीद किये जाने का लक्ष्य निर्धारित है। लेकिन अबतक कई व्यापार मंडल की ओर से एक किलोग्राम भी धान की खरीद नहीं की जा सकी है।
नमी के नाम पर किसानों का शोषण
धान की खरीद में सबसे बड़ी समस्या नमी है। नमी के नाम पर किसानों का धान लेने से पैक्स इंकार कर रहे हैं। ऐसे में रबी अभियान में पैसों की दरकार को देखते हुए किसान अपना धान खुले बाजार में बेचने को विवश हो रहे हैं। ज्ञातव्य है कि विभाग 17 प्रतिशत से कम नमी वाले धान को ही खरीदने का निर्देश जारी किया है।
खुले बाजार में शोषण
किसानों का धान पैक्स या व्यापार मंडल के क्रय केंद्र पर नहीं लिये जाने के कारण किसान खुले बाजार में धान बेचने को विवश हो रहे हैं। आलम यह कि मोटे धान की बिक्री बाजार में 1100 रुपये तथा अच्छी क्वालिटी की धान की कीमत मात्र 1400 रुपये प्रति ङ्क्षक्वटल है। जो सरकारी दर से काफी कम है। बावजूद इसके किसान पैसों की जरूरत को देखते हुए अपना धान सरकारी दर काफी कम कीमत पर बाजार में धान बेचने को विवश हो रहे हैं।