गुरु गोविंद सिंह अस्पताल में अब रात में भी होगा ऑपरेशन, महिला डॉक्टर के बूते नहीं चल पा रहा विभाग

दो निश्चेतक हो जाने के बाद अब अस्पताल प्रशासन ने चौबीस घंटे मरीजों का ऑपरेशन किए जाने की व्यवस्था सुनिश्चित कर ली है। अगले सप्ताह से यह बदली व्यवस्था के क्रियान्वयन की संभावना अधीक्षक ने जतायी है। -

By Akshay PandeyEdited By: Publish:Fri, 22 Jan 2021 03:34 PM (IST) Updated:Fri, 22 Jan 2021 03:34 PM (IST)
गुरु गोविंद सिंह अस्पताल में अब रात में भी होगा ऑपरेशन, महिला डॉक्टर के बूते नहीं चल पा रहा विभाग
पटना सिटी स्थित श्री गुरु गोविंद सिंह सदर अस्पताल।

जागरण संवाददाता, पटना सिटी: श्री गुरु गोविंद सिंह सदर अस्पताल को एक और निश्चेतक डॉ. पंकज कुमार मिल गए हैं। पहले से एक निश्चेतक डॉ. राजीव कुमार वर्मा कार्यरत थे। दो निश्चेतक हो जाने के बाद अब अस्पताल प्रशासन ने चौबीस घंटे मरीजों का ऑपरेशन किए जाने की व्यवस्था सुनिश्चित कर ली है। अगले सप्ताह से यह बदली व्यवस्था के क्रियान्वयन की संभावना अधीक्षक ने जतायी है। 

अधीक्षक डॉ. पशुपति प्रसाद सिंह ने बताया कि निश्चेतक का ही इंतजार था। उन्होंने बताया कि सर्जरी विभाग में डॉ. आरिफ अब्दुल्लाह, डॉ. कैलाश प्रसाद लाडिया और डॉ. अशोक कुमार कारीवाल कार्यरत हैं। इन विशेषज्ञ चिकित्सकों का अधिक लाभ अब मरीजों को मिलेगा। उन्होंने बताया कि स्त्री एवं प्रसूति विभाग में कार्यरत पांच महिला डॉक्टरों में से एक डॉ. सरिता राज्य स्वास्थ्य समिति में प्रतिनियुक्ति पर हैं। इन्हें अस्पताल लौटाने के लिए विभाग को पत्र लिखा है। पहले से विभाग में डॉ. प्रेमलता वर्मा, डॉ. निशा, डॉ. प्रबिता राय कार्यरत हैं। इसी विभाग की डॉक्टर सह उपाध्यक्ष डॉ. मणि दीपा मजूमदार इसी माह सेवानिवृत हो रही है। 

सदर अस्पताल के अधीक्षक ने बताया कि चौबीस घंटे ओटी चलाने के लिए रोस्टर तैयार किया जा रहा है। एक महिला डॉक्टर के प्रतिनियुक्ति से लौटते ही स्त्री एवं प्रसूति विभाग का ओपीडी, ओटी, प्रसूति, इमरजेंसी सब कुछ सामान्य तरीके से चलने लगेगा। चौबीस घंटे और सातों दिन यह विभाग काम करने लगेगा। अधीक्षक ने स्पष्ट किया कि निश्चेतना विभाग में दो डॉक्टर हो जाने से अस्पताल के इंडोर में मरीजों की संख्या बढ़ेगी। अस्पताल सुधार समिति के महासचिव बलराम चौधरी ने कहा कि चौबीस घंटे सातों दिन ओटी नहीं चलने के कारण यहां से मरीजों को रेफर कर दिया जाता है। गरीब मरीज निजी अस्पताल के चंगुल में फंस जाते हैं। दो निश्चेतक हो जाने से अब मरीजों को अस्पताल का लाभ मिलना चाहिए।

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