बच्चों का 'गुल्लक बच्चा बैंक' बच्चे ही करते हैं संचालित
- 2009 में बाल भवन किलकारी के सौजन्य से हुई गुल्लक बैंक की शुरुआत - 10 रुपये न्यूनतम जमा कराकर खोला जाता है बचों का खाता - 500 रुपये से अधिक की निकासी पर प्रबंधन को बचे देते हैं आवेदन -447 खाते खुले थे बचों के बैंक की स्थापना के समय - 2017 में लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड में जुड़ा था नाम ------------ जागरण संवाददाता पटना
पटना । पैसे की महत्ता और उसकी बचत को लेकर माता-पिता हमेशा सीख देते रहे हैं। बच्चों में बचत की इसी आदत को मजबूत करने को लेकर अब माता-पिता हीं नहीं, बल्कि शिक्षक भी इसकी उपयोगिता बताने में लगे हैं। बिहार बाल भवन 'किलकारी' बच्चों को पैसे की उपयोगिता और बचत की आदत डालने को लेकर 'गुल्लक बैंक' के जरिए बचत की सीख देने में लगा है। विश्व बचत दिवस पर प्रभात रंजन की रिपोर्ट।
..............
राजधानी में एक ऐसा बैंक भी है जहां ग्राहक और प्रबंधक भी बच्चे ही हैं। बिहार बाल भवन किलकारी की ओर से बच्चों में पैसे की बचत करने की आदत डालने के लिए 'गुल्लक बच्चा बैंक' की स्थापना बाल दिवस 14 नवंबर 2009 में की गई थी। बैंक का उद्घाटन राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने किया था। बैंक के संचालन को लेकर बच्चों द्वारा एक समिति बनाई गई हैं, जो प्रबंधन पर नजर रखता है। बाल भवन किलकारी में पढ़ने वाले बच्चे ही गुल्लक बैंक के सदस्य और ग्राहक बनते हैं। न्यूनतम राशि से खुलता है बैंक खाता :
बच्चों का खाता न्यूनतम 10 रुपये से खुलता है। बैंक में जमा करने के लिए न्यूनतम राशि एक रुपये है। 500 रुपये से अधिक निकासी को लेकर बच्चों को बैंक प्रबंधन के नाम से आवेदन देना होता है। पैसे की निकासी को लेकर आवेदन फार्म भर बच्चों के पिता का हस्ताक्षर जरूरी होता है। वहीं, दो हजार से अधिक रुपये की निकासी को लेकर बैंक प्रबंधन को तीन-चार दिन पहले आवेदन देना होता है। इसके बाद बच्चों को पैसे दिए जाते हैं। अधिक पैसे निकालने को लेकर अभिभावक का भी होना जरूरी होता है। जमा राशि पर गुल्लक बैंक छह प्रतिशत वार्षिक ब्याज देता है। 16 वर्ष से अधिक होने पर बच्चों का खाता इंडियन ओवरसीज बैंक में स्थानांतरित कर दिया जाता है। अब तक का कारोबार -
11 साल पहले स्थापित होने वाला गुल्लक बच्चा बैंक की नींव समय के साथ मजबूत होती गई। अकाउंट ऑफिसर विनय मिश्रा ने बताया, अभी तक बैंक में 3855 खाता खुल चुका है। जिसमें से 37,67,979 रुपये बच्चों द्वारा जमा की गई है। जिसमें 36,25,412 रुपये की निकासी बच्चों द्वारा की गई है। उन्होंने बताया कि बैंक की स्थापना के समय 451 बच्चों का खाता खुला था। वित्तीय वर्ष - खातों की संख्या
2009-2010 - 451
2010-2011 - 189
2011-2012 - 163
2012-2013 - 482
2013-2014 - 466
2014-2015 - 530
2015-2016 - 692
2016-2017 - 498
2017-2018 - 136
2018-2019 - 103
2019-2020 - 142
2020-2021 - 3 बच्चों को मिलता है प्रशिक्षण -
किलकारी की प्रोग्राम अधिकारी अनीता ठाकुर बताती हैं, बैंक को चलाने को लेकर बच्चों को एक माह का प्रशिक्षण दिया जाता है। प्रतिवर्ष बैंक के कर्मचारी यानी बच्चों को बदलता जाता है और नये बच्चे इसकी जिम्मेदारी संभालते हैं। बैंक चलाने वाले बच्चों को भी जेब खर्च को लेकर मासिक पैसे दिए जाते हैं। आने वाले समय में मिलेगा लोन :
कल तक जो बच्चे बैंक में अपना पैसे जमा करते थे, उन्हें आने वाले समय में लोन भी मिलेगा। किलकारी की निदेशक ज्योति परिहार ने बताया कि बच्चों को उच्च शिक्षा के लिए गुल्लक बच्चा बैंक से लोन भी मिलेगा। लोन की राशि कितनी होगी? प्रावधान क्या होगा? इसको लेकर बैठक के बाद निर्णय होगा। उन्होंने बताया, वर्ष 2017 में बैंक की उपलब्धियों को देख इसका नाम लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड में दर्ज हुआ है।
.............