महज 20 फीसद बच्चे ही अटेंड कर रहे ऑनलाइन क्लास, बिहार में एक लाख बच्चों को किताबें तक नहीं
Bihar Education News हाईस्कूलों में पढऩे वाले छात्रों के लिए दूरदर्शन का ही सहारा बचा है। बिहार शिक्षा परियोजना की ओर से तैयार पाठ्यक्रम के आधार पर दूरदर्शन की ओर से बच्चों की पढ़ाई कराई जा रही है।
पटना, जागरण संवाददाता। Bihar CoronaVirus News: कोरोना संक्रमण के मद्देनजर सरकार ने स्कूलों को बंद कर दिया है। फिलहाल, ऑनलाइन क्लास के जरिए ही बच्चों की पढ़ाई सुचारू रखी जा रही है। लेकिन संसाधनों के अभाव में सरकारी स्कूलों के ब'चे काफी कम संख्या में ऑनलाइन क्लास में शामिल हो पा रहे हैं। जबकि निजी स्कूलों में इससे थोड़ी बेहतर स्थिति है। प्राइवेट स्कूलों में 50 फीसद से अधिक बच्चे ऑनलाइन क्लास अटेंड कर रहे हैं।
पटना जिले के कार्यक्रम अधिकारी मनोज कुमार ने कहा, फिलहाल स्कूल बंद होने के कारण केवल ऑनलाइन क्लास ही बच्चों का एकमात्र सहारा है, इसलिए स्कूलों की ओर से ऑनलाइन कक्षाएं ही संचालित कराई जा रही हैं। लेकिन कई बच्चों के पास संसाधनों का अभाव है, जिससे वे ऑनलाइन क्लास में शामिल नहीं हो पा रहे।
वर्तमान में जिले में एक से लेकर आठ तक की कक्षाओं में कुल पांच लाख 73 हजार आठ बच्चों का नामांकन है। उसमें से मात्र 20 फीसद बच्चे ही ऑनलाइन कक्षाओं में शामिल हो रहे हैं। एसोसिएशन ऑफ पब्लिक स्कूल के अध्यक्ष डॉ. सीबी सिंह व कोषाध्यक्ष एके नाग ने कहा, वर्तमान में निजी विद्यालयों में 50 फीसद से अधिक बच्चे ऑनलाइन क्लास कर रहे हैं। धीरे-धीरे इसमें वृद्धि होती जा रही है।
हाईस्कूलों के छात्रों को दूरदर्शन का सहारा
हाईस्कूलों में पढऩे वाले छात्रों के लिए दूरदर्शन का ही सहारा बचा है। बिहार शिक्षा परियोजना की ओर से तैयार पाठ्यक्रम के आधार पर दूरदर्शन की ओर से बच्चों की पढ़ाई कराई जा रही है। वर्तमान में नौवीं व दसवीं के छात्रों को एक घंटे तक दूरदर्शन के माध्यम से पढ़ाई कराई जाती है। इसी तरह 11वीं व 12वीं के छात्रों को भी एक घंटे तक पढ़ाया जाता है।
एक लाख से अधिक छात्रों के पास किताबें भी नहीं
एक लाख से अधिक छात्रों के पास अभी तक किताबें नहीं पहुंची हैं। ऐसे बच्चों की पढ़ाई तो लगभग ठप ही हो चुकी है। जिन छात्रों के पास ऑनलाइन क्लास करने के साधन नहीं हों और किताबें भी नहीं हैं, फिर ऐसे बच्चों की पढ़ाई की कल्पना सहज की जा सकती है। वर्तमान में एक से लेकर आठवीं तक की कक्षाओं में पांच लाख 73 हजार बच्चे नामांकित हैं। उनमें से अब तक चार लाख 30 हजार 258 बच्चों को ही किताबें मिल पाई हैं। शेष बच्चे बिना किताब के ही पढ़ाई कर रहे हैं।