पटना में खुदाबख्‍श खां लाइब्रेरी में लगी दुर्लभ पुस्‍तकों की ऑनलाइन प्रदर्शनी

प्रदर्शनी में स्वतंत्रता संग्राम गणतंत्र दिवस भारतीय संविधान से जुड़ी पुस्तकों को रखा गया है। पटना विवि के पूर्व कुलपति प्रो. रास बिहारी सिंह ने प्रदर्शनी का उद्घाटन किया । कहा- छात्र जीवन में यहां का नियमित पाठक था । पुस्तक से अच्छा दोस्त कोई नहीं ।

By Sumita JaiswalEdited By: Publish:Tue, 26 Jan 2021 12:36 PM (IST) Updated:Tue, 26 Jan 2021 12:36 PM (IST)
पटना में खुदाबख्‍श खां लाइब्रेरी में लगी दुर्लभ पुस्‍तकों की ऑनलाइन प्रदर्शनी
खुदा बख्‍श खां लाइब्रेरी में ऑनलाइन प्रदर्शनी का उद्घाटन करते हुए प्रो रास बिहारी सिंह। जागरण फोटो ।

 पटना, जागरण संवाददाता। 26 जनवरी के मौके पर अशोक राजपथ स्थित खुदाबख्श लाइब्रेरी की ओर से दुर्लभ पुस्तकों की ऑनलाइन प्रदर्शनी लगाने के साथ व्याख्यान का आयोजन किया गया। पटना विवि के पूर्व कुलपति प्रो. रास बिहारी सिंह ने प्रदर्शनी का उद्घाटन करते हुए अपने विचार दिए। लाइब्रेरी की निदेशक डॉ. शाइस्ता बेदार ने अतिथियों का स्वागत किया।

पूर्वजों की कुर्बानियां याद करने की जरूरत

इस मौके पर निदेशक ने कहा कि प्रदर्शनी में स्वतंत्रता संग्राम, गणतंत्र दिवस, भारतीय संविधान से जुड़ी पुस्तकें हैं। उन्होंने कहा कि हमारे पूूर्वजों ने अतीत में देश की आजादी के लिए जो कुर्बानियां दी है उन्हें समय-समय पर याद करने की जरूरत है। लाइब्रेरी की ओर से अहम अवसरों पर प्रदर्शनी व व्याख्यान का आयोजन करता रहा है।

पुस्‍तकों से दोस्‍ती है जरूरी

प्रो.रासबिहारी सिंह ने कहा कि छात्र जीवन में इस लाइब्रेरी का नियमित पाठक था। यहां के दुर्लभ पुस्तक संग्रहों का भरपूर लाभ उठाया। उन्होंने कहा कि पुस्तक से बेहतर कोई अच्छा दोस्त नहीं हो सकता। भविष्य को संवारने के लिए इनसे गहरी दोस्ती करने की जरूरत है। पुस्तकों का जीवन में अहम योगदान होता है। आज के दिन हम सभी को दिल ये बातें उतारने की जरूरत है कि अंग्रेज से मुक्ति के लिए हर समुदाय के लोगों ने अपना योगदान दिया था। न कोई हिंदू था और न कोई मुस्लिम और सिख सभी का एक ही धर्म हुआ करता था वो था हिंदुस्तानी। देश को प्रगति के पथ पर ले जाने के लिए सभी को एकजुट होकर काम करने की जरूरत है।

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