अब इंसाफ की राह में बाधक नहीं बनेगी पीएमसीएच की यह व्‍यवस्‍था, किए जा रहे इस तरह के इंतजाम

पीएमसीएच में अधिकतम 15 दिन में संबंधित पुलिस अधिकारी को पोस्टमार्टम रिपोर्ट मुहैया कराना डाक्टर की लिखावट नहीं समझ पाने की समस्या से निजात दिलाने के लिए कंप्यूटर से रिपोर्ट जारी करने के अलावा जरूरतमंदों को शव वाहन उपलब्ध कराने की व्यवस्था की जा रही है।

By Vyas ChandraEdited By: Publish:Thu, 09 Dec 2021 10:36 AM (IST) Updated:Thu, 09 Dec 2021 10:36 AM (IST)
अब इंसाफ की राह में बाधक नहीं बनेगी पीएमसीएच की यह व्‍यवस्‍था, किए जा रहे इस तरह के इंतजाम
पीएमसीएच की व्‍यवस्‍था में किए जा रहे कई सुधार। सांकेतिक तस्‍वीर
पटना, जागरण संवाददाता। जल्द इंसाफ की राह में पोस्टमार्टम रिपोर्ट बाधा नहीं बने, इसके लिए पीएमसीएच प्रशासन (PMCH Administration) कई सुधार करने जा रहा है। इसमें अधिकतम 15 दिन में संबंधित पुलिस अधिकारी को पोस्टमार्टम रिपोर्ट मुहैया कराना, डाक्टर की लिखावट नहीं समझ पाने की समस्या से निजात दिलाने के लिए कंप्यूटर से रिपोर्ट जारी करने के अलावा जरूरतमंदों को शव वाहन उपलब्ध कराने की व्यवस्था की जा रही है। प्राचार्य डा. विद्यापति चौधरी ने बुधवार को यह जानकारी दी। मालूम हो कि अप्राकृतिक मौतों के मामले में पुलिस आवश्यक रूप से शव परीक्षण कराती है। जहर आदि से मौत होने पर विसरा यानी शरीर के कई अंगों जैसे फेफड़े, किडनी, आंत आदि के हिस्सों को सुरक्षित रखा जाता है। 

अधिकतम 15 दिनों में दे देनी होगी रिपोर्ट 

प्राचार्य ने बताया कि अक्सर आरोप लगते थे कि पीएमसीएच ने महीनों बाद भी पोस्टमार्टम रिपोर्ट मुहैया नहीं कराई। इस कारण न्यायालय को मामले की सुनवाई में देरी होती थी। सामान्य पोस्टमार्टम मौत के छह से दस घंटे के अंदर करने का नियम है। वहीं विसरा की सूक्ष्म जांच दो से तीन दिन में की जाती है। रिपोर्ट तैयार करने और उसे पुलिस को सौंपने में महीनों लगना कहीं से न्यायसंगत नहीं था। इसलिए दोनों विभागाध्यक्षों को निर्देश दिया गया है कि शरीर खोलकर और विसरा समेत सभी तरह की जांच कर अधिकतम 15 दिन में संबंधित पुलिस अधिकारी को पोस्टमार्टम रिपोर्ट सौंपने की व्यवस्था की जाए। इसके अलावा लिखावट नहीं समझ पाने की समस्या से निपटने के लिए रिपोर्ट तैयार करने के लिए एक कंप्यूटर व प्रिंटर उपलब्ध कराया जा रहा है। प्राचार्य ने बताया कि पीएमसीएच के पास दो शववाहन हैं।  जिन लोगों के पास शव ले जाने का साधन नहीं होगा, उन्हें ये वाहन निश्शुल्क उपलब्ध कराए जाएंगे। बता दें कि पोस्टमार्टम, विसरा जांच रिपोर्ट समय पर नहीं मिलने का फायदा अपराधियों को होता है। कई बार इसके अभाव में अपराधी के खिलाफ मामला तक दर्ज नहीं हो पाता और कई बार उन्हें इसी आधार पर कोर्ट से जमानत मिल जाती है। 
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