अब बिहार में ही हो पाएगी कोरोना के ओमिक्रोन वैरिएंट की जांच, IGIMS में जीनोम सिक्‍वेंसिंग लैब तैयार

आइजीआइएमएस (IGIMS) में बने राज्य के पहले जीनोम सिक्वेंसिंग लैब (First Genome Sequencing Lab of Bihar) के ट्रायल और मानकों की जांच का काम पूरा कर लिया गया है। अब इस लैब में कोरोना वायरस सहित अन्य प्रकार के वायरस की जीनोम सिक्वेंसिंग की जाएगी।

By Vyas ChandraEdited By: Publish:Thu, 09 Dec 2021 09:37 AM (IST) Updated:Thu, 09 Dec 2021 09:37 AM (IST)
अब बिहार में ही हो पाएगी कोरोना के ओमिक्रोन वैरिएंट की जांच, IGIMS में जीनोम सिक्‍वेंसिंग लैब तैयार
अब पटना के आइजीआइएमएस में होगी जीनोम सिक्‍वेंसिग। सांकेतिक तस्‍वीर

पटना, राज्य ब्यूरो। आइजीआइएमएस (IGIMS) में बने राज्य के पहले जीनोम सिक्वेंसिंग लैब (First Genome Sequencing Lab of Bihar) के ट्रायल और मानकों की जांच का काम पूरा कर लिया गया है। अब इस लैब में कोरोना वायरस सहित अन्य प्रकार के वायरस की जीनोम सिक्वेंसिंग की जाएगी। लैब की विभागाध्यक्ष व इंचार्ज डा. नम्रता ने बताया कि बिहार, झारखंड और नेपाल के साथ पूर्वी उत्तर प्रदेश का यह इकलौता लैब है। किसी भी वायरस के जांच की शुरुआत करने के लिए इसके मानकों को देखने के लिए ट्रायल का काम पूरा कर लिया गया है। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार ने कोरोना को देखते हुए इस लैब की स्थापना की है।

देश के कई लैबोरेट्री से मचाई गई जांच रिपोर्ट  

इसकी मान्यता केंद्र सरकार ने दी है। उन्होंने बताया कि कई चरणों में लैब के मानकों की जांच की गई। यहां के लैब के नतीजों को देश के अन्य लैबोरेट्रियों से मैच कराया गया। लैब के सभी रिपोर्ट मानकों पर सही पाए गए हैं। इस लैब के लिए सभी प्रकार के जांच के लिए सरकार द्वारा बजट का प्रविधान किया जा रहा है। लैब को जल्द ही अलग से जीनोम सिक्वेंसिंग के लिए बजट उपलब्ध हो जाएगा। उन्होंने बताया कि इसके बाद जल्द ही राज्य में भी कोरोना के ओमिक्रोन, डेल्टा सहित अन्य प्रकार के वायरसों की जांच आरंभ हो जाएगा। लैब में ट्रायल के तहत अंतिम जांच राजधानी के एक निजी अस्पताल में भर्ती कोरोना पाजिटिव का किया गया था जिसमें डेल्टा वायरस पाया गया।

बच्‍चों के मामले में बरतें विशेष सावधानी 

बता दें कि कोरोना के नए वैरिएंट ओमि‍क्रोन की जांच जीनोम सिक्‍वेंसिंग से ही हो पाती है। बिहार पर भी इसका खतरा मंडरा रहा है। इस वजह से जांच के लिए ऐसे लैब की जरूरत थी। जो अब पूरी हो गई है। मालूम हो कि ओमिक्रोन वैरिएंट का खतरा मंडरा रहा है तो दूसरी ओर ब्रिटेन व स्पेन जैसे देशों में बच्चों में संक्रमण के मामले बढ़े हैं। पूर्व की लहरों में पाया गया है कि अधिकतर संक्रमित बच्चों में लक्षण नहीं दिखते हैं। ऐसे में सुपर स्प्रेडर बनकर संक्रमण के मामले तेजी से बढ़ा सकते हैं। इससे बचाव को जरूरी है कि न केवल बच्चों को कोरोना अनुकूल व्यवहार का पालन करने की आदत डलवाएं बल्कि उन्हें माल, सिनेमा हाल, स्कूल या अन्य बंद सार्वजनिक स्थलों पर नहीं ले जाएं। ऐसा नहीं करने पर उनके माध्यम से घर के बुजुर्गों, बीमार लोगों और कमजोर इम्युनिटी वाले सदस्यों को कोरोना संक्रमण के गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं। ये बातें एम्स पटना में शिशु रोग के विभागाध्यक्ष डा. लोकेश तिवारी ने कहीं। 

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