Citizenship Amendment Bill के खिलाफ अब वामदल तेवर में, 19 दिसंबर को बुलाया बिहार बंद

नागरिकता संशोधन विधेयक के खिलाफ बिहार में वामदल भी तेवर में हैं। वामदलों ने 19 दिसंबर को बिहार बंद बुलाया है। इस मुद्दे पर उनके प्रतिनिधि राजद के तेजस्‍वी यादव से भी मिलेंगे।

By Rajesh ThakurEdited By: Publish:Sat, 14 Dec 2019 08:16 PM (IST) Updated:Sun, 15 Dec 2019 10:55 PM (IST)
Citizenship Amendment Bill के खिलाफ अब वामदल तेवर में, 19 दिसंबर को बुलाया बिहार बंद
Citizenship Amendment Bill के खिलाफ अब वामदल तेवर में, 19 दिसंबर को बुलाया बिहार बंद

पटना, राज्य ब्यूरो। वामपंथी दलों की ओर से सीएबी एवं एनआरसी के खिलाफ 19 दिसंबर को बिहार बंद की घोषणा की गई है। भाकपा माले के पोलित ब्यूरो सदस्य धीरेन्द्र झा एवं राजाराम, भाकपा के राज्य सचिव सत्यनारायण सिंह, माकपा के केंद्रीय कमेटी के सदस्य अरूण मिश्रा तथा गणेश शंकर सिंह, फारवर्ड ब्लॉक के  अमेरिका महतो और आरएसपी के विरेंद्र ठाकुर ने शनिवार को पत्रकारों को बताया कि मोदी सरकार का नागरिकता संशोधन कानून व एनआरसी पूरी तरह संविधान की मौलिक संरचना तथा आजादी के आंदोलन के संपूर्ण मूल्यबोध के खिलाफ है। आज पूरे देश में इसका कड़ा विरोध हो रहा है। 

भाकपा माले के राज्य सचिव कुणाल ने बताया कि 19 दिसंबर का दिन स्वतंत्रता आंदोलन के महान नायक रामप्रसाद बिस्मिल, अशफाकउल्ला खान और रोशन सिंह का शहादत दिवस भी है। इस ऐतिहासिक दिन को देशव्यापी प्रतिवाद को देखते हुए वाम दलों ने राजद से 21 दिसंबर के बदले 19 दिसंबर को ही बिहार बंद करने की संयुक्त अपील की है। वैसे वामपंथी दलों का एक प्रतिनिधि मंडल रविवार को राजद नेताओं से मुलाकात करेगा और बिहार बंद में शामिल होने के लिए आमंत्रित भी करेगा। 

गौरतलब है कि राजद ने शुक्रवार को ही 21 दिसंबर को बिहार बंद करने की घोषणा कर दी है। नेता प्रतिपक्ष तेजस्‍वी यादव ने ट्वीट कर इसकी जानकारी दी थी। वहीं, शनिवार को राजद के प्रदेश अध्‍यक्ष जगदानंद सिंह ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि राजद का प्रस्‍तावित बिहार बंद ऐतिहासिक होगा। उन्‍होंने लोगों से बिहार बंद को सफल बनाने में सहयोग देने की अपील की। बता दें कि अाज ही युवा राजद ने भी नागरिक संशोधन विधेयक के खिलाफ पटना में जोरदार प्रदर्शन किया है। जदयू कार्यालय के सामने उनकी पार्टी के संविधान की प्रतियों को फाड़ कर जलाया। साथ ही केंद्र और बिहार सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। केंद्र सरकार से इस विधेयक को वापस लेने की मांग की। 

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