अब निजी बोरिंग से पानी निकालने पर भी लग सकेगी बंदिश, पटना के छात्र ने बनाई है ऐसी डिवाइस

जितनी जरूरत उतना ही मिलेगा पानी इसे कंट्रोल करेगी डिवाइस पटना स्थित किलकारी केंद्र के राजा ने की खोज इसे लगाने पर तय क्षमता से एक बूंद अधिक पानी नहीं मिलेगा बोरिंग से राज्य के बाल विज्ञानियों ने खोजा जनसमस्याओं का समाधान विज्ञान कांग्रेस में प्रोजेक्ट पेश किए

By Shubh Narayan PathakEdited By: Publish:Mon, 18 Jan 2021 06:55 AM (IST) Updated:Mon, 18 Jan 2021 06:55 AM (IST)
अब निजी बोरिंग से पानी निकालने पर भी लग सकेगी बंदिश, पटना के छात्र ने बनाई है ऐसी डिवाइस
पटना के छात्र ने बनाई है यह अनोखी डिवाइस। जागरण

पटना [नीरज कुमार]। एक डिवाइस आपके बोरिंग से निकलने वाले पानी की खपत तय कर देगी। इससे पानी की बर्बादी रुकेगी। भूगर्भ जल के संरक्षण में मदद मिलेगी। राजधानी के तारामंडल सभागार में चल रहे तीन दिवसीय 28वीं बाल विज्ञान कांग्रेस में ऑनलाइन तरीके से बाल विज्ञानियों ने उपयोगी प्रोजेक्ट प्रस्तुत किए गए हैं। इनमें रोजमर्रा की समस्याओं का समाधान खोजने का प्रयास है। जल संरक्षण, स्वास्थ्य की सुरक्षा, कचरामुक्त समाज, आहार शंृखला, तालाबों का इको सिस्टम एवं नेचुरल एयर कंडीशनर हाउस जैसे प्रोजेक्ट काफी पसंद किए गए हैं।

पटना किलकारी के छात्र राजा कुमार केसरी का प्रोजेक्ट जल संरक्षण पर है। उसने बातचीत में कहा कि अगर उसकी डिवाइस का उपयोग किया जाए तो धरती के 80 फीसद जल का संरक्षण किया जा सकता है। उसने एक ऐसी डिवाइस तैयार की है जिसका उपयोग पानी चढ़ाने वाले मोटर में लगाकर किया जा सकता है। इस डिवाइस का नाम 'ग्राउंड वाटर मॉनीटरिंग एवं ट्रैकिंग' रखा गया है। इस डिवाइस में फ्लोरेट सेंसर एवं माइक्रो कंट्रोलर जैसे अत्याधुनिक उपकरण का इस्तेमाल हुआ है।

निर्धारित हो सकती पानी की खपत

राजा का कहना है कि इस डिवाइस के माध्यम से हर घर के लिए पानी की खपत तय की जा सकती है। किस घर में कितने पानी की जरूरत है, सरकार तय कर सकती है। पानी के मोटर के पास डिवाइस लगा देने से कोई भी व्यक्ति निर्धारित से ज्यादा ग्राउंड वाटर नहीं निकाल सकता है। जैसे ही पूर्व निर्धारित पानी की मात्रा टंकी में जाएगी मोटर स्वत: बंद हो जाएगी। उसके बाद अगले चौबीस घंटे या तय समय के बाद ही बोरिंग चल पाएगी।

ऐसे काम करती डिवाइस

ग्राउंड वाटर मॉनीटरिंग एंड ट्रैकिंग डिवाइस बोरिंग एवं मोटर के बीच फिट किया जाता है। इसमें लगा फ्लोरेट सेंसर महत्वपूर्ण यंत्र है। इससे पानी की खपत निर्धारित की जाती है। मोटर चलने के दौरान बोरिंग से जैसे ही पानी टंकी में जाता है फ्लोरेट सेंसर डिवाइस में लगे माइक्रो कंट्रोलर को तत्काल मैसेज देता है और कंट्रोलर के माध्यम से मोटर स्वत: बंद हो जाता है। इससे तय मात्रा से एक बूंद भी अधिक पानी टंकी में नहीं जाता। डिवाइस में डिस्प्ले बोर्ड है। बोर्ड से पानी की खपत के बारे में आपको हमेशा पता चलता रहेगा। इससे पानी खपत की क्षमता को  घटा-बढ़ा सकते हैं।

50 बाल विज्ञानियों ने प्रस्तुत किए प्रोजेक्ट

रविवार को राज्य के 50 बाल विज्ञानियों ने तारामंडल सभागार में ऑनलाइन तरीके से प्रोजेक्ट प्रस्तुत किए। इसमें अरवल के छात्र आदित्य कुमार ने बालों से खाद बनाने की तकनीक बताई। भोजपुर की छात्रा आयुषि कुमारी ने कचरायुक्त एवं कचरामुक्त वातावरण के पौधे पर पडऩे वाले प्रभावों पर आधारित प्रोजेक्ट को प्रस्तुत किया। बांका की छात्रा सोनाली ने अपने प्रोजेक्ट के माध्यम से परंपरागत एवं आधुनिक भोजन में पोषण के अंतर पर प्रकाश डाला है। खगड़ि‍या के छात्र राम शंकर ने तालाबों की कमी से मानव जीवन पर पड़ने वाले प्रभावों को दिखाया।

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