बिहार की शिक्षा व्यवस्था में अनियमितता का नया खुलासा, शिक्षकों को बिना प्रशिक्षण के ही दे दिया प्रशिक्षित वेतनमान
बिहार की शिक्षा व्यवस्था में अनियमितता का यह नया खुलासा है। यहां पहली से पांचवीं तक के नियोजित शिक्षकों को बिना प्रशिक्षण के ही दे प्रशिक्षित वाला वेतनमान दे दिया गया है। पूरी जानकारी के लिए पढ़ें यह खबर।
पटना, स्टेट ब्यूरो। बिहार में शिक्षा व्यवस्था (Education System of Bihar) के हाल को उजागर करती यह ताजा खबर है। प्रदेश के प्रारंभिक विद्यालयों (Primary Schools) में कक्षा एक से पांच तक उन शिक्षकों को भी प्रशिक्षित वेतनमान (Traind Pay Scale to Untrained Teachers) का भुगतान कर दिया गया है, जिन्होंने सरकार द्वारा संचालित संवर्धन कोर्स नहीं किया है। ऐसे शिक्षकों की संख्या 10 हजार से ज्यादा बतायी जाती है। शिक्षा विभाग (Deaprtment of Education) ने इसे वित्तीय अनियमितता का मामला मानते हुए सभी जिलों से रिपोर्ट तलब की है और इसके लिए जिम्मेदार अधिकारियों से स्पष्टीकरण मांगा है।
शिक्षा विभाग ने शिक्षा अधिकारियों से मांगी रिपोर्ट
शिक्षा विभाग ने जिलों के प्रखंड शिक्षा अधिकारियों एवं विद्यालय अवर निरीक्षकों से यह रिपोर्ट देने को कहा है कि ऐसे कितने शिक्षक होंगे, जिन्हें बिना संवर्धन कोर्स किए प्रशिक्षित वेतन दिया गया है। राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद के प्रविधान के अनुसार कक्षा एक से पांच तक के बेसिक ग्रेड में बीएड उत्तीर्ण अभ्यर्थी का इंटरमीडिएट (12वीं) की योग्यता के आधार पर अप्रशिक्षित शिक्षक के रूप में नियोजन करना है।
प्रावधान के अनुपालन में अनियमितता उजागर
प्रावधान के अनुपालन के लिए प्राथमिक शिक्षा निदेशक डॉ.रणजीत कुमार सिंह का स्पष्ट आदेश है कि नियोजन इकाईयों में कक्षा एक से पांच तक के बेसिक ग्रेड के वैसे शिक्षक, जो बीएड, बीएड-स्पेशल या डीएड डिग्रीधारी हैं और छह माह का संवर्धन कोर्स पूर्ण कर चुके हैं, उन्हें संवर्धन उत्तीर्णता की तिथि से प्रशिक्षित वेतनमान भुगतान किया जाएगा। इस प्रावधान के विरुद्ध जिन शिक्षकों को प्रशिक्षित वेतन में शामिल किया गया है, उनको अप्रशिक्षित वेतनमान की कोटि में रखने का निर्देश जिलों को दिया गया है।
शिक्षकों को सता रहा विभागीय कार्रवाई का डर
बहरहाल, शिक्षा विभाग के इस आदेश से शिक्षकों में हड़कम्प है। वैसे शिक्षक जो अप्रशिक्षित होकर भी प्रशिक्षित का वेतनमान पा रहे हैं, उन्हें अभी तक प्राप्त अधिक राशि की वसूली के साथ अन्य विभागीय कार्रवाई का डर भी सताने लगा है।