नेताजी सुभाष चंद्र बोस को पटना में चंदे में मिले थे 500 रुपये, बांकीपुर और खगौल में हुई थी सभाएं

सुभाषचंद्र बोस की जयंती पर विशेष भाषण सुनने के लिए पटना में भी उमड़ती थी भारी भीड़ बांकीपुर दानापुर खगौल के कच्ची तालाब व पटना सिटी में हुई थीं सभाएं आजादी की लड़ाई के दौरान अपने ओजस्वी भाषण से लोगों में जोश भरते थे नेताजी

By Shubh Narayan PathakEdited By: Publish:Fri, 22 Jan 2021 10:11 AM (IST) Updated:Sat, 23 Jan 2021 10:49 PM (IST)
नेताजी सुभाष चंद्र बोस को पटना में चंदे में मिले थे 500 रुपये, बांकीपुर और खगौल में हुई थी सभाएं
नेताजी सुभाष चंद्र बोस का पटना से लगाव रहा। प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर

पटना, प्रभात रंजन। Subhash Chandra Bose Birth Anniversary Special: जीवन की आखिरी सांस तक स्वतंत्रता की लड़ाई लड़ने वाले नेताजी सुभाषचंद्र बोस के व्यक्तित्व से पूरा देश प्रभावित था। 'तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा' का नारा देने वाले बोस का जन्म 23 जनवरी 1897 में उड़ीसा (वर्तमान में ओडिशा) के कटक में हुआ था। स्वतंत्रता आंदोलन में राजनीतिक गुरु देशबंधु चितरंजन दास और गुरु रवींद्रनाथ टैगोर का सान्निध्य मिलते ही उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ बिगुल फूंका। आंदोलन के दौरान प्राय: देश के कोने-कोने में गए। उन्हें सुनने के लिए भीड़ उमड़ती थी। बोस का बिहार और खासतौर पर पटना से गहरा लगाव रहा। उन्होंने आजादी के पूर्व पटना के बांकीपुर, दानापुर, खगौल के कच्ची तालाब व पटना सिटी आदि जगहों पर सभाएं कीं।

बांकीपुर लेन में हुई थी बोस की सभा

29 अगस्त 1939 को पटना के बांकीपुर मैदान में पब्लिक मीटिंग का आयोजन किया गया था। शाम पांच बजे से लेकर शाम 6:40 बजे तक चलने वाले आयोजन में 20 हजार लोगों की भीड़ थी। भीड़ में 150 से अधिक बंगाली महिलाएं भी मौजूद थीं। बिहार राज्य अभिलेखागर के निदेशक डॉ. महेंद्र पाल ने ऐतिहासिक साक्ष्य के आधार पर बताया, बांकीपुर मैदान में आयोजन के दौरान बोस का स्वागत बंगाली समुदाय से जुड़ीं महिलाओं ने फूल फेंक कर किया था। उससे नेताजी काफी खुश हुए थे।

बोस को उपहार में मिले थे 500 रुपये

कार्यक्रम आरंभ होने से पूर्व साहित्यकार रामवृक्ष बेनीपुरी और जयप्रकाश नारायण आदि स्वागत के लिए मौजूद थे। पूरा मैदान लाल झंडे से पटा था और नारे लग रहे थे। बोस के मंच पर आने के बाद रामवृक्ष बेनीपुरी ने संबोधित करते हुए कहा कि बिहार के लोगों ने इतने बड़े नेता को नजदीक से देखा है, इस कारण इनका उत्साह दोगुना हुआ है। लोगों ने चंदे जुटाकर 500 रुपये का पर्स बेनीपुरी के हाथों उपहारस्वरूप बोस को दिया था। बिहार के लोगों का प्यार देख सुभाषचंद्र बोस ने कहा था, 'हमें मालूम नहीं था बांकीपुर में इतना बड़ा आयोजन होगा।'

बोस के स्वागत में पढ़ी थीं कविताएं

पटना विश्वविद्यालय के इतिहास विभागाध्यक्ष स्व. डॉ. योगेंद्र मिश्र ने बोस के स्वागत के लिए काव्य पाठ किया था। उनकी पुत्री व सेवानिवृत्त प्रो. जयश्री की मानें तो आठ फरवरी 1940 को सुबह आठ बजे सुभाषचंद्र बोस का नालंदा जिले के एकंगरसराय में आगमन हुआ था। उसी दौरान डॉ. योगेंद्र मिश्र ने उनके स्वागत में 'है स्वागत तुम्हें राष्ट्र गौरव हमारे, गरीबों के आंसू किसानों के तारे। तुम्हें देखने की बड़ी लालसा थी, बड़ी की कृपा जो यहां पर पधारे' कविता पढ़ी थी। उसे सुनकर बोस काफी प्रभावित हुए थे।

दानापुर खगौल के कच्‍ची तालाब में हुई भी सभा

27 अगस्त 1939 को बोस की सभा दानापुर खगौल के कच्ची तालाब पर हुई थी। बोस को स्टेशन से लाने के लिए लोगों की भीड़ उमड़ी थी। सभा में अनिसुर रहमान व डॉ. रामलोचन ने बोस के बारे में बताते हुए जनता की जिज्ञासा शांत की थी। बोस ने अपने संबोधन में किसान और मजदूरों की स्थिति के साथ देश की अर्थव्यवस्था के बारे में अवगत कराया था। उन्होंने लोगों का एकजुट होने के साथ अपने अधिकारों के लिए लडऩे की बात पर जोर दिया था। बोस ने लोगों को स्वराज का असली अर्थ भी बताया था। बोस की स्मृति को जिंदा रखने के लिए गांधी मैदान स्थित आइएमए हॉल के पास उनकी प्रतिमा मौजूद है, जिसका अनावरण 21 अक्टूबर 1992 को पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद ने किया था।

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