बिहार: हाकिमों का चैन वैन सब उजड़ा, सरकार की रफ्तार से नहीं मिला रहे कदमताल

बिहार में एनडीए की सरकार की काम करने की गति काफी तेज चल रही है लेकिन सरकारी अफसर सरकार के साथ कदमताल नहीं मिला पा रहे हैं। वजह ये है कि उन्हें ज्यादा काम करने की आदत नहीं।

By Kajal KumariEdited By: Publish:Wed, 16 Jan 2019 02:17 PM (IST) Updated:Wed, 16 Jan 2019 06:00 PM (IST)
बिहार: हाकिमों का चैन वैन सब उजड़ा, सरकार की रफ्तार से नहीं मिला रहे कदमताल
बिहार: हाकिमों का चैन वैन सब उजड़ा, सरकार की रफ्तार से नहीं मिला रहे कदमताल

पटना [दीनानाथ साहनी]। बिहार में एनडीए की सरकार बेशक सरपट दौड़ रही है, लेकिन सरार के अफसर हलकान हैं। वजह ये है कि वे आराम से काम करने के आदी हैं, लिहाजा सरकार के साथ कदमताल नहीं मिला पा रहे। उसपर ये ठंड का मौसम। इस मौसम में दर्जन से ज्यादा आला अफसर सर्दी-जुकाम और वायरल-फीवर से पीडि़त हैं। ऊपर से, वर्कलोड ने हाकिमों की परेशानी बढ़ा दी है।

इस मौसम में किसी हाकिम का ब्लडप्रेशर बढ़ गया है तो किसी अफसर का शुुगर लेवल। कई अफसर बैकपेन से त्रस्त हैं। नतीजा, दफ्तरों में फाइलों का अंबार लगा है और कामकाज मंद गति से चल रहा है। इसकी दुहाई देते  हुए एक वरिष्ठ अफसर ने बताया कि  वर्कलोड बढ़ेगा तो उसका असर सेहत पर पड़ेगा ही। तमाम अफसरों को कमर दर्द, रीढ़ दर्द, ब्लड-प्रेशर, मधुमेह और तनाव आदि ने घेर रखा है।

इधर स्वास्थ्य महकमे के एक डिप्टी सेक्रेटरी सर्दी और वायरल-फीवर से परेशां नजर आए। वे सूचना भवन के पास मिल गए। उन्होंने बताया-'पहले से ही ब्लड प्रेशर का शिकार हूं। ऊपर से सर्दी-जुकाम। दफ्तर में आना मजबूरी है। कुछ जरूरी फाइलें भी निपटानी हैं।'

दिलचस्प बात यह कि शिक्षा विभाग में तीन डिप्टी डायरेक्टर का ब्लडप्रेशर बढ़ा हुआ है। उनमें से एक ने बताया कि अपने बढ़े शुुगर लेवल से हलकान हूं।' एक डिप्टी सेक्रेटरी के चैम्बर में टेबल पर कुछ मेडिसीन टेबलेट थे। पूछने पर बोले-कोर्ट केस ने परेशान कर रखा है। ऐसे में अच्छे-खासे का ब्लडप्रेशर बढ़ जाएगा। 

श्रम संसाधन विभाग में मंगलवार को दो पदाधिकारी परेशान दिखे। पूछने पर उनमें से एक मजाकिया लहजे में बोले-'सर्दी से ज्यादा वर्कलोड से हलकान हैं। ब्लडशुगर भी सिर चढ़कर बोल रहा।'

इधर खाद्य एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग के एक अधिकारी ने स्वीकार किया कि काम के बोझ से पूरी दिनचर्या बदल गई है। रात में उन्हें देर से नींद आती है, हर महीने स्वास्थ्य जांच से गुजरना पड़ता है।

राजस्व पर्षद के एक शीर्ष अफसर सर्दी-जुकाम से परेशान हैं। पूछने पर बोले-शीर्ष पदों पर तैनात प्राय: सभी अफसर पचास वर्ष की आयु सीमा पार कर चुके हैं। आमतौर पर इस उम्र से ही बीमारियां शरीर में स्थान बनाने लगती हैं।

लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग के एक अफसर की मानें तो लगातार काम के दबाव, बढ़ते तनाव, खान-पान की अनियमितता तथा समुचित आराम न मिलने के चलते उनके जैसे कई अफसर रुग्ण होते जा रहे हैं। उन्हें 'मेडिकल लीव' पर भी जाने को मजबूर होना पड़ता है।  

chat bot
आपका साथी