National Tourism Day: जियो टूरिज्म से पर्यटकों को लुभाएगा बिहार, राजगीर और वीटीआर बने मिसाल

राष्ट्रीय पर्यटन दिवस बिहार में प्राकृतिक व पुरातात्विक पर्यटन केंद्रों पर राज्‍य सरकार का विशेष फोकस राजीगर बोधगया वैशाली और वीटीआर जैसे स्‍थलों को विकसित करने के लिए बनाया जा रहा ब्लूप्रिंट हाल के वर्षों में काफी हुआ है काम

By Shubh Narayan PathakEdited By: Publish:Mon, 25 Jan 2021 09:55 AM (IST) Updated:Mon, 25 Jan 2021 09:55 AM (IST)
National Tourism Day: जियो टूरिज्म से पर्यटकों को लुभाएगा बिहार, राजगीर और वीटीआर बने मिसाल
पटना के सचिवालय तालाब में विहार करता प्रवासी पक्षी। जागरण आर्काइव

पटना [कुमार रजत]। National Tourism Day Special Story: बिहार की पहचान धार्मिक पर्यटन (Tourism in Bihar) वाले राज्य के रूप में है। यही कारण है कि पटना साहिब से लेकर राजगीर, बोधगया, वैशाली जैसे पर्यटन केंद्रों पर बड़ी संख्या में देशी-विदेशी सैलानी पहुंचते हैं। इसके साथ अब राज्य सरकार बिहार में जिओ टूरिज्म को भी बढ़ावा देने की योजना बना रही है। जिओ टूरिज्म यानी प्राकृतिक और पुरातात्विक रूप से संपन्न स्थलों तक पर्यटकों को लाने की योजना। पर्यटन मंत्री जिवेश कुमार की पहल पर इसका ब्लूप्रिंट बनाया जा रहा है।

बिहार प्राकृतिक रूप से काफी धनी है। यहां वाल्मिकीनगर और जमुई के जंगल हैं, तो राजगीर और ककोलत की पहाडिय़ां और झरने-कुंड भी। प्राचीन विक्रमशिला और नालंदा विश्वविद्यालय के खंडहर हैं, तो वाणावर में 2500 साल पुरानी मानव निर्मित गुफाएं भी। यह सब मानव विकास की भी निशानियां हैं। इन सभी को एक साथ जोड़कर जिओ टूरिज्म का रूप दिया जा सकता है। हाल ही में जमुई के नागी-नकटी झील में राजकीय पक्षी महोत्सव का आयोजन हुआ। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी इसमें शामिल हुए। यहां साइबेरियन सहित अन्य प्रवासी पक्षियों की लगभग 150 प्रजातियां जाड़े के समय जलाशय में डेरा डालती हैं। बेगूसराय की कांवर झील भी ऐसा ही एक ठिकाना है। यह सब भी जिओ टूरिज्म का हिस्सा हो सकती हैं।

नए पुरातात्विक स्थल भी होंगे शामिल

जिओ टूरिज्म में पुराने प्राकृतिक और ऐतिहासिक केंद्रों के अलावा नए पुरातात्विक स्थल भी शामिल किए जाएंगे। नालंदा के तेल्हाड़ा और सारण के चिरांद में भी पुरातात्विक अवशेष मिले हैं। दोनों ही स्थलों पर पुरातत्व निदेशालय के दिशा-निर्देश में खोदाई की जा चुकी है। नए सिरे से खोदाई होनी भी है। चिरांद के तार तो नवपाषाण युग से जुड़े हैं। हाल के दिनों में भागलपुर के नवगछिया के गुआरी और बांका के भदरिया में भी पुरातात्विक अवशेष मिले हैं। इन जगहों को पुरातत्व निदेशालय ने सुरक्षित स्मारक भी घोषित कर दिया है। ऐसे स्थलों को भी विकसित कर जिओ टूरिज्म में शामिल किया जा सकता है।

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